Home सहरसा पेट की खातिर ‘परदेस जाना मजबूरी’

पेट की खातिर ‘परदेस जाना मजबूरी’

2 second read
Comments Off on पेट की खातिर ‘परदेस जाना मजबूरी’
0
255

पेट की खातिर ‘परदेस जाना मजबूरी

पेट की खातिर ‘परदेस जाना मजदूर लोगों की मजबूरी है। अपने और परिवार की खातिर दो जून रोटी की जुगाड़ में हजारों की संख्या में मजदूर दिल्ली, पंजाब और हरियाणा कमाने जा रहे हैं। उनके चेहरे पर दिल्ली की पुरानी मंडी में लगी आग से हुई जानमाल की क्षति का खौफ भी था।

कोसी और सीमांचल क्षेत्र के मजदूर अमृतसर जाने वाली जनसेवा एक्सप्रेस में मंगलवार को भी सफर करते दिखे। धान या गेहूं रौपनी-कटाई का सीजन नहीं रहने के कारण ट्रेन में सीट के लिए मारामारी नहीं थी। लेकिन अभी भी ऊपर और नीचे का सीट मजदूर यात्रियों से ही भरा था। कोई आपस में बातचीत तो कोई सुबह के नाश्ता में मशगूल थे। लेकिन एक बात सभी में समान थी कि हर कोई दिल्ली की पुरानी मंडी में लगी आग से हुई मजदूर लोगों की मौत पर चर्चा कर रहे थे। मौत का उन्हें गम और व्यवस्था के प्रति गुस्सा था।

पूछने पर सुपौल जिले के वीणा एकमा निवासी सुबोध पासवान ने लपकते हुए कहा कि दिल्ली की घटना के बाद परिवार के लोग जाने से रोक रहे थे। लेकिन हरियाणा कमाने नहीं जाएंगे तो परिवार और अपना भरण पोषण कैसे चलेगा। वहां मकान निर्माण का काम कर रोज पांच सौ रुपए कमा लेंगे। अररिया जिले के फारबिसगंज निवासी रूपेश कुमार विश्वास ने कहा कि अपने घर और परिवार को छोड़ कौन 1500 किमी दूर बाहर जाना पड़ता है। अगर रोजगार के साधन कोसी और सीमांचल इलाके में मिल जाते तो यही रहकर काम करते। कुछ कम भी मिलता वह भी चलता। रूपेश का साथी सुनील कुमार विश्वास ने कहा कि मशीन चलाकर पठानकोट पंजाब में 16 से 17 हजार महीना में कमा लेंगे। सहरसा के खपौती गांव का रमेश मुखिया ने कहा कि यहां कोई रोजगार मिलता तो दिल्ली कमाने नहीं जाना पड़ता।

नए उधोग धंधे खुल नहीं रहे पुराने की सुधि नहीं : कोसी क्षेत्र में नए उद्योग धंधे खुल नहीं रहे और पुराने की सुधि लेने की ना तो जनप्रतिनिधियों व ना ही शासन प्रशासन को फुर्सत है। बैजनाथपुर का बंद पेपर मिल और सुपौल का जुट मिल खुलता तो हजारों लोगों को रोजगार मिलता। उद्योग धंधे खुलते तो मजदूरों का पलायन रुकता।

मनरेगा: सौ दिन में सिर्फ 212 को मिला काम: मजदूरों का पलायन रोकने में मनरेगा योजना सफल नहीं हो रहा है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 212 जॉब कार्डधारियों को ही सौ दिन का रोजगार ग्रामीण विकास विभाग उपलब्ध करा पाया है। वहीं चार लाख 52 हजार 929 जॉब कार्डधारकों के विरुद्ध एक लाख 39 हजार जॉब कार्डधारी को ही रोजगार उपलब्ध कराया गया है।

Source-HINDUSTAN

Load More Related Articles
Load More By Seemanchal Live
Load More In सहरसा
Comments are closed.

Check Also

पूर्णिया में 16 KG का मूर्ति बरामद, लोगों ने कहा-यह तो विष्णु भगवान हैं, अद्भुत मूर्ति देख सभी हैं दंग

पूर्णिया में 16 KG का मूर्ति बरामद, लोगों ने कहा-यह तो विष्णु भगवान हैं, अद्भुत मूर्ति देख…