Home सहरसा नौकरी छूटी तो 20 बॉक्स में शुरू किया काम, अब सालाना कमा रहे 10 लाख, जानिए बिहार के पिंटू की कहानी

नौकरी छूटी तो 20 बॉक्स में शुरू किया काम, अब सालाना कमा रहे 10 लाख, जानिए बिहार के पिंटू की कहानी

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नौकरी छूटी तो 20 बॉक्स में शुरू किया काम, अब सालाना कमा रहे 10 लाख, जानिए बिहार के पिंटू की कहानी

Success Story: सहरसा के पिंटू कुमार (30) ने मधुमक्खी पालन में सफलता हासिल की है। उन्होंने राजस्थान में नौकरी करते हुए मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया। 2020 में गांव लौटकर उन्होंने यह काम शुरू किया। शुरुआत में दिक्कतें आईं, लेकिन मेहनत से उन्होंने कारोबार को आगे बढ़ाया। अब सालाना उनकी कमाई लाखों रुपये में है।

सहरसा: बिहार के सहरसा जिले के पिंटू कुमार (30) ने मधुमक्खी पालन में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। राजस्थान में नौकरी के दौरान उन्होंने मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया। फिर कोरोना के समय उनकी नौकरी छूट गई। 2020 में पिंटू कुमार अपने गांव लौट आए। गांव आकर उन्होंने अपना काम शुरू करने की ठानी और 20 बॉक्स के साथ मधुमक्खी पालन के व्यवसाय की शुरुआत की। शुरुआती कठिनाइयों के बावजूद, उनकी मेहनत और संकल्प ने कारोबार को ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

हर सप्ताह 35 बाल्टी शहद का उत्पादन

पिंटू कुमार वर्तमान में हर सप्ताह करीब 35 बाल्टी शहद का उत्पादन करते हैं। उनके पास 250 से ज्यादा मधुमक्खी बक्से हैं, जिनसे वे नियमित रूप से शहद निकालते हैं। सरसों और सूरजमुखी के फूलों के मौसम में उत्पादन बढ़ जाता है, क्योंकि इनसे मधुमक्खियों को भरपूर पराग और अमृत मिलता है।

पिंटू कुमार ने बताया, ‘2020 में जब भारत में कोरोना की शुरुआत हुई तो जिस कंपनी में जॉब करता था, लॉकडाउन की वजह से नौकरी छूट गई। फिर घर आया तो अपना काम करने की ठानी। पहले ज्यादा पैसे नहीं थे तो 20 बॉक्स से मधुमक्खी पालन शुरू किया। आज 250 से ज्यादा मधुमक्खी के बक्से हैं।’

बिना सरकारी मदद के आत्मनिर्भर व्यवसाय

पिंटू बिना किसी सरकारी सहायता के पूरी तरह आत्मनिर्भर होकर यह व्यवसाय चला रहे हैं। वे अपना शहद सीधे बड़ी कंपनियों को थोक में बेचते हैं, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा होता है। खुदरा बाजार में न बेचने की उनकी रणनीति अधिक लाभदायक साबित हुई है।

युवाओं को दे रहे स्वरोजगार की प्रेरणा

अपने सफल प्रयासों से पिंटू अब अन्य युवाओं को भी स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनके साथ गांव के दो अन्य साथी भी जुड़े हुए हैं, जिससे कारोबार का विस्तार हो रहा है। उनका मानना है कि स्वरोजगार से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सशक्त हुई है, बल्कि गांव के अन्य युवाओं को भी आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा मिली है।

स्वरोजगार का बना उदाहरण

मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लेते समय ही पिंटू ने खुद का व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लिया। उनका मानना है कि किसी और के लिए काम करने से बेहतर है कि व्यक्ति खुद का व्यवसाय करे। उनका यह प्रयास न केवल उनकी सफलता की कहानी है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार की संभावनाओं का भी उदाहरण बन गया है।

 

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