Home सुपौल बिहार के 30 शिक्षकों को नौकरी से धोना पड़ा हाथ, क्यों विभाग ने 17 साल बाद लिया एक्शन जानें – TEACHERS APPOINTMENT CANCELLED

बिहार के 30 शिक्षकों को नौकरी से धोना पड़ा हाथ, क्यों विभाग ने 17 साल बाद लिया एक्शन जानें – TEACHERS APPOINTMENT CANCELLED

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बिहार के 30 शिक्षकों को नौकरी से धोना पड़ा हाथ, क्यों विभाग ने 17 साल बाद लिया एक्शन जानें – TEACHERS APPOINTMENT CANCELLED

सीतामढ़ी में 30 प्रखंड शिक्षकों की नियुक्ति को राज्य अपीलीय प्राधिकार ने अवैध घोषित किया. शिक्षा विभाग ने नियुक्ति रद्द करने का आदेश दिया है.

सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिले में कितने शिक्षक अवैध रूप से यानी सेटिंग-गेटिंग कर नियुक्त हैं, इसका पता विभाग के आलावा स्थानीय अधिकारियों को भी नहीं है. इन अवैध शिक्षकों की एक बड़ी तादाद है, जो बीच-बीच में उजागर होते रहते हैं. इसी मामले में शिक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है और 30 प्रखंड शिक्षकों की नौकरी चली गई है.

30 प्रखंड शिक्षकों की जायेगी नौकरी: अवैध/फर्जी रूप से नियोजित शिक्षकों की निगरानी जांच के बाद करीब 100 से अधिक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद उन्हें नौकरी से हटाया जा चुका है. अब भी न जाने कितने अवैध बहाल शिक्षक कार्यरत हैं. इधर, जिला अपीलीय प्राधिकार के एक गलत फैसले से 30 शिक्षक नौकरी कर रहे थे, जिन्हें अब हटाने का आदेश जारी किया गया है.

क्या है पूरा मामला: जिले के बथनाहा प्रखंड के कुछ शिक्षक अभ्यर्थियों ने अपनी बहाली को लेकर हाईकोर्ट में वाद दायर किया था. हाईकोर्ट ने इन अभ्यर्थियों को प्रखंड शिक्षक के रूप में बहाल करने का आदेश दिया था. वर्ष 2008 की रिक्ति के आलोक में बहाली की जानी थी. इसके अनुसार, तीन से चार सीट ही खाली थी.

17 साल बाद गिरी गाज!: हाईकोर्ट से आदेश प्राप्त अभ्यर्थियों के अलावा 30 अभ्यर्थियों की अवैध रूप से नियुक्ति कर दी गई थी. विद्यालय आवंटन के बाद योगदान में पेंच फंसने पर अभ्यर्थियों ने जिला अपीलीय प्राधिकार में वाद दायर किया था. प्राधिकार ने प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई को उक्त 30 शिक्षकों का योगदान कराने का आदेश दिया था.

बिना विज्ञापन के हुई थी बहाली: बताया गया है कि इन 30 शिक्षकों की बहाली सेटिंग गेटिंग के तहत हुई थी. यानी इसके लिए न विज्ञापन निकाला गया था और न विधिवत कागजी/नियम की प्रक्रिया पूरी की गई थी. अधिकारियों ने कैसे हिम्मत कर इन शिक्षकों की अवैध रूप से बहाली की थी, यह चर्चा का विषय बना हुआ है.

अधिकारियों के फूले हाथ-पांव: जब वेतन भुगतान की बारी आई और डीपीओ, स्थापना के पास यह मामला पहुंचा, तो पेंच फंस गया. डीपीओ ने उक्त 30 शिक्षकों की बहाली और योगदान से संबंधित डिटेल की मांग नियोजन इकाई से की. इसके बाद संबंधित अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे. ऐसा लाजिमी था क्योंकि वे बहाली ही अवैध तरीके से किए थे. खुद को बेनकाब होने से बचाने के लिए नियोजन इकाई ने शिक्षकों के बारे में डीपीओ को कोई जानकारी ही नहीं दी.

राज्य अपीलीय प्राधिकार का आया फैसला: खबर है कि लगातार वेतन भुगतान के लिए कथित तौर पर दबाव पड़ने पर डीपीओ, स्थापना अपीलीय प्राधिकार के फैसले के खिलाफ राज्य अपीलीय प्राधिकार में अपील कर दिए. राज्य अपीलीय ने जिला अपीलीय प्राधिकार के फैसले को खारिज कर दिया है और अवैध रूप से बहाल किए गए 30 शिक्षकों का नियोजन रद्द कर हटाने का आदेश दिया है.

“पूरी प्रक्रिया के तहत बहाली नहीं होने के आधार पर राज्य अपीलीय प्राधिकार ने इन शिक्षकों की बहाली को अवैध माना है. 15 दिनों के अंदर नियोजन रद्द कर सूचित करने को कहा गया है. खास बात यह कि इन अवैध शिक्षकों को एक दिन का भी वेतन नहीं मिलेगा.”- प्रमोद कुमार साहू, डीईओ

इन शिक्षकों की जायेगी नौकरी: जिन शिक्षकों की नियुक्ति रद्द की जानी है उनमें शंभू दास, राम ईश्वर कुमार, अमित कुमार, मंसूर अंसारी, श्याम कुमार, मनीष कुमार, नूतन कुमारी, जय प्रकाश पाण्डेय, मुकेश बैठा, वीरेन्द्र कुमार, रविशंकर कुमार, शैलेन्द्र मोहन, प्रणिता कुमारी, मिली कुमारी, धीरेन्द्र कुमार, दीप्ति कुमारी, रूपा कुमारी, शंभू प्रकाश कुमार गुप्ता, शिवशंकर सुभाष कुमार, पल्लवी कुमारी, सुनीता कुमार, संतोष कुमार, सिंह, सुधीर कुमार सिंह, नीतू देवी, पुष्पांजलि कुमारी, कुमारी, आदित्य सौरभ, सुबोध कुमार और रचना कुमारी शामिल हैं.

 

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