Home सुपौल ‘2005 में मेरे पिता ने दी थी पार्टी की कुर्बानी…’ चिराग बोले – महागठबंधन मुसलमानों का इस्तेमाल सिर्फ वोट बैंक के लिए करता है

‘2005 में मेरे पिता ने दी थी पार्टी की कुर्बानी…’ चिराग बोले – महागठबंधन मुसलमानों का इस्तेमाल सिर्फ वोट बैंक के लिए करता है

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पटना:
बिहार की सियासत में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन (INDIA Alliance) के अंदर एक नया विवाद भड़क गया है।
राजद द्वारा तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद
मुस्लिम समुदाय में नाराज़गी साफ दिखाई दे रही है।

इसी बीच लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने
महागठबंधन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि —

“महागठबंधन मुसलमानों का इस्तेमाल सिर्फ वोट बैंक के तौर पर करता है।”


चिराग पासवान ने उठाया 2005 का मुद्दा

चिराग पासवान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Meta (Facebook) पर पोस्ट करते हुए लिखा —

“2005 में मेरे नेता, मेरे पिता स्व. रामविलास पासवान जी ने
बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठाई थी।
उन्होंने इसके लिए अपनी पार्टी तक कुर्बान कर दी थी।
लेकिन तब भी राजद तैयार नहीं था, और आज 2025 में भी वही कहानी दोहराई जा रही है।”

उन्होंने आगे कहा कि —

“आज भी न राजद मुस्लिम मुख्यमंत्री देने को तैयार है,
न उपमुख्यमंत्री पद देने को।
अगर मुसलमान सिर्फ वोट बैंक बनकर रहेंगे,
तो सम्मान और भागीदारी कैसे मिलेगी?”


‘तेजस्वी और सहनी को मौका, 18% मुसलमानों को नहीं’

चिराग पासवान ने जातीय समीकरणों पर सवाल उठाते हुए कहा —

“तेजस्वी यादव यादव समाज से आते हैं जिनकी आबादी लगभग 13% है।
मुकेश सहनी साहनी समाज से हैं, जिनकी आबादी मुश्किल से 2% है।
लेकिन उन्हें सीएम और डिप्टी सीएम उम्मीदवार बना दिया गया।
जबकि 18% मुसलमानों को सत्ता में कोई स्थान नहीं दिया गया।”

चिराग के इस बयान ने महागठबंधन के भीतर जातीय और धार्मिक संतुलन पर नई बहस छेड़ दी है।


2005 में रामविलास पासवान की पहल याद दिलाई

चिराग पासवान ने अपने पिता रामविलास पासवान के उस ऐतिहासिक रुख का ज़िक्र किया
जब 2005 में उन्होंने मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने की बात कही थी।

तब रामविलास पासवान ने कहा था कि —

“बिहार में मुसलमानों की बड़ी आबादी है,
उन्हें भी नेतृत्व का मौका मिलना चाहिए।”

लेकिन उस वक्त राजद और कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
इस मुद्दे पर पासवान ने गठबंधन तोड़ दिया था और पार्टी को बड़ा राजनीतिक नुकसान भी उठाना पड़ा था।


मुस्लिम समुदाय में बढ़ती नाराज़गी

राजद द्वारा हाल में घोषित उम्मीदवारों की सूची के बाद
कई मुस्लिम संगठनों और सामाजिक समूहों ने असंतोष जताया है।

कई मुस्लिम नेताओं ने सोशल मीडिया पर लिखा कि —

“18 फीसदी आबादी के बावजूद सत्ता में हिस्सेदारी नहीं देना
महागठबंधन की मुस्लिम राजनीति का असली चेहरा दिखाता है।”

पटना, दरभंगा, भागलपुर और सीवान जैसे इलाकों में
मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में मौजूद हैं,
जो महागठबंधन के पारंपरिक वोट बैंक माने जाते हैं।

लेकिन इस बार असंतोष की लहर
एनडीए के लिए संभावित अवसर बन सकती है।


एनडीए की रणनीति पर संकेत

चिराग पासवान के इस बयान को
एनडीए (NDA) की ओर से एक रणनीतिक राजनीतिक संकेत माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भाजपा और लोजपा (रामविलास) इस बार
“Inclusive Bihar” और “Representation for All” जैसे नारे के साथ
मुस्लिम मतदाताओं को साधने की कोशिश कर सकते हैं।

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. अरुण सिंह कहते हैं —

“चिराग पासवान का यह बयान भावनात्मक और रणनीतिक दोनों है।
वह एक तरफ अपने पिता की विरासत को याद दिला रहे हैं,
और दूसरी ओर एनडीए के लिए नए दरवाजे खोल रहे हैं।”


तेजस्वी यादव और राजद की प्रतिक्रिया

राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने चिराग के बयान को राजनीतिक स्टंट बताया।
उन्होंने कहा —

“चिराग पासवान को पहले अपने एनडीए के अंदर झांकना चाहिए,
जहाँ अल्पसंख्यक समुदाय की स्थिति सबको पता है।”

उन्होंने यह भी कहा कि राजद ने हमेशा मुस्लिम-यादव (MY) गठजोड़ की राजनीति की है
और आगे भी यह गठबंधन “सामाजिक न्याय की रीढ़” बना रहेगा।


बिहार चुनाव 2025: सियासत का नया समीकरण

बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में
महागठबंधन बनाम एनडीए के बीच मुकाबला पहले से ज़्यादा जटिल दिख रहा है।

  • महागठबंधन: तेजस्वी यादव (राजद), मुकेश सहनी (वीआईपी), और कांग्रेस

  • एनडीए: भाजपा, लोजपा (रामविलास), हम, और जदयू

चिराग पासवान के इस बयान से
एनडीए की राजनीति में नया उत्साह देखा जा रहा है,
क्योंकि इससे मुस्लिम और दलित मतदाताओं दोनों को साधने की संभावना बनती है।


सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बने चिराग

चिराग पासवान का बयान जैसे ही वायरल हुआ,
सोशल मीडिया पर #ChiragPaswan, #MuslimVoteBank, और #BiharElection2025 ट्रेंड करने लगे।

कई यूज़र्स ने लिखा —

“चिराग अपने पिता की विरासत को सच्चे अर्थों में निभा रहे हैं।”
वहीं कुछ लोगों ने कहा —
“यह सिर्फ चुनावी बयान है, असल में कोई बदलाव नहीं आने वाला।”


FAQs: चिराग पासवान और मुस्लिम वोट बैंक विवाद

Q1. चिराग पासवान ने क्या कहा है?
👉 उन्होंने कहा कि महागठबंधन मुसलमानों का इस्तेमाल सिर्फ वोट बैंक के लिए करता है।

Q2. उन्होंने अपने पिता रामविलास पासवान का ज़िक्र क्यों किया?
👉 क्योंकि 2005 में उनके पिता ने मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी।

Q3. किसे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया गया है?
👉 तेजस्वी यादव (सीएम फेस) और मुकेश सहनी (डिप्टी सीएम फेस)।

Q4. मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया क्या है?
👉 मुस्लिम संगठनों ने असंतोष जताया है कि 18% आबादी को सत्ता में प्रतिनिधित्व नहीं मिला।

Q5. क्या एनडीए इस बयान का फायदा उठा सकता है?
👉 संभव है, क्योंकि यह मुद्दा अल्पसंख्यक वोटों को प्रभावित कर सकता है।

Q6. क्या राजद ने इस पर कोई जवाब दिया है?
👉 राजद ने चिराग के बयान को राजनीतिक नौटंकी बताया है।


⚖️ निष्कर्ष

चिराग पासवान का यह बयान बिहार की राजनीति में नई बहस की शुरुआत कर चुका है।
उन्होंने जहां अपने पिता की राजनीतिक विरासत और मुस्लिम प्रतिनिधित्व की मांग को दोहराया,
वहीं महागठबंधन पर वोट बैंक राजनीति का आरोप लगाकर
एनडीए के लिए सियासी नैरेटिव तैयार कर दिया है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि
क्या यह बयान एनडीए को मुस्लिम मतदाताओं के बीच पैठ बनाने में मदद करेगा,
या फिर यह सिर्फ एक चुनावी बयान बनकर रह जाएगा।


📎 संदर्भ:
Hindustan Times – Bihar Election 2025 Coverage | NDTV Bihar Politics

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