
अपराध का बदलता चेहरा: सुपौल में सूखे नशे और युवाओं की बढ़ती भागीदारी से फैली दहशत
सुपौल, बिहार – शांत और सरल जीवनशैली के लिए पहचाना जाने वाला सुपौल जिला अब अपराध की चपेट में आता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इस जिले में अपराध का चेहरा और तरीका दोनों बदलते नजर आ रहे हैं, जिससे प्रशासन के साथ-साथ आम लोगों में भी चिंता बढ़ गई है।
एक महीने में चार हत्याएं: खामोश लेकिन खतरनाक अपराध शैली
पिछले एक माह में चार हत्याएं हो चुकी हैं। दो मामलों में गोलीबारी की गई, जबकि दो अन्य में धारदार हथियारों से अत्यंत क्रूर तरीके से हत्या की गई। विशेषज्ञों का मानना है कि अपराधी अब बंदूक की बजाय धारदार हथियार का प्रयोग अधिक कर रहे हैं, ताकि सबूत कम छोड़ें और पहचान से बच सकें।
युवाओं की बढ़ती भागीदारी: नशे ने छीना विवेक
इन घटनाओं में एक और चिंताजनक पहलू यह है कि अधिकतर आरोपी युवा (20-25 वर्ष) हैं, जो पेशेवर अपराधी नहीं बल्कि सूखे नशे की गिरफ्त में हैं। यह नशा व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से अस्थिर कर देता है, जिससे वे अपराध की ओर आसानी से धकेले जाते हैं।
सामाजिक माहौल में डर और अविश्वास
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अब शाम होते ही बाजार बंद होने लगते हैं, लोग जल्दी घर लौटने लगे हैं और हर अपरिचित चेहरा डरावना लगने लगा है। सुपौल की सादगी अब अपराध और भय की परछाई में डूबती जा रही है।
एसपी शैशव यादव का बयान: अपराधियों पर कस रही है नकेल
पुलिस अधीक्षक शैशव यादव ने कहा,
“हम लगातार अभियान चला रहे हैं। अपराधी लाख कोशिश करें, लेकिन बच नहीं पा रहे। सभी थानों में नियमित गश्ती की जा रही है।”
केस स्टडी: सुपौल में हालिया घटनाएं
तिथि | घटना विवरण |
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11 अप्रैल | पिपरा: टेंट मजदूर विकास यादव की गोली मारकर हत्या |
12 अप्रैल | राघोपुर: दवा व्यवसायी चंदन कुमार को लूट के दौरान गोली |
20 अप्रैल | लौकहा: मो. जहांगीर की गोली मारकर हत्या |
03 मई | छातापुर: वृद्ध नाई जगदीश ठाकुर की कुदाल से हत्या |
05 मई | बैरो ब्रह्मपुर: गांजा पीने के विवाद में हत्या |