फणीश्वरनाथ रेणु, उनके जुलुम क़िस्से, उनमें जुलुम पात्र और उनकी जुलुम बातें – बोलती, हंसती, रोती, रूठती, मनाती बातें, गाती-गुनगुनाती जीवंत दुनियाँ जहाँ बैल भी ‘कान चुनियाकर’ बातें सुनते हैं और जहाँ बावनदास भी ‘महतमा’ जी से विराट सत्याग्रही हो जाते हैं! फणीश्वरनाथ रेणु, उनके जुलुम क़िस्से, उनमें जुलुम पात्र और उनकी जुलुम बातें – बोलती, हंसती, रोती, …