
आईरा का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया
पत्रकारों के हक-अधिकार व मान सम्मान की रक्षा के लिए लगातार संघर्षरत एकमात्र संगठन ऑल इंडिया रिपोर्टर एसोसिएशन (AIRA) की 7 वां स्थापना दिवस सह पत्रकार सम्मान समारोह शुक्रवार को कोसी प्रमंडल अंतर्गत मधेपुरा जिला मुख्यालय स्थित डाक बंगला रोड़, जिला परिषद विवाह भवन के सभागार में आईरा मधेपुरा के जिला अध्यक्ष मुरारी कुमार सिंह की अध्यक्षता में बड़ी ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
इस आयोजन में आईरा से जुड़े मधुबनी जिला समेत पूरे बिहार,उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इकाइयों से पत्रकार साथी पहुँचे थे।कार्यक्रम के उदघाटन सत्र में मधेपुरा जिला परिषद अध्यक्षा मंजू देवी,जिलाधिकारी श्याम बिहारी मीणा और एस. पी. योगेंद्र कुमार ,मुख्य अतिथि के रूप में आईरा के प्रदेश अध्यक्ष सुमन कुमार मिश्रा की गरिमामय उपस्थिति के बीच कार्यक्रम का उदघाटन किया गया।
कार्यक्रम में भूपेंद्र नारायण सिंह विश्व विद्यालय, मधेपुरा के कुलपति प्रो.डॉ. आर.के.पी.रमण और प्रति कुलपति प्रो.डॉ. आभा सिंह,नगर परिषद अध्यक्ष सुधा देवी,नगर पंचायत अध्यक्ष, मधेपुरा श्वेत कमल सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद आईरा के प्रदेश अध्यक्ष सुमन कुमार मिश्रा ने शान्त मन से अपने विचार रखते हुए कहां कि जब आप सत्य लिखेंगे तो आप टारगेट बन सकते हैं।आप का ही पत्रकार आपके बुराई करते पाएं जाते हैं। सरकार भी अब लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित होती जा रही हैं।लोकतंत्र के प्रहरी बताएं जाने वाले वैसे पत्रकारों को भी सरकार ने ठिकाने लगाना शुरू कर दिया हैं जो आज की बाजारवादी पत्रकारिता के विपरीत निर्भिक और निष्पक्ष पत्रकारिता पर अड़िग रह रहा हैं।इस तरह की परिस्थिति के आलोक में ऑल इंडिया रिपोर्टर एसोशिएशन (आईरा) नामक पत्रकारों का सशक्त संगठन का बिहार में नेतृत्व प्रदान करते हुए हमलोगों ने पत्रकार सुरक्षा कानून लागू कराने के लिए सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया हैं।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद पूर्व बी.बी.सी.के हिंदी पत्रकार मणि कांत ठाकुर ने प्रशासन पर प्रहार करते हुए कहां कि पत्रकारिता के गिरते वजूद के कारण ही उसका महत्व कमतर होता जा रहा हैं।सरकार और प्रशासन भी उनके वजूद को गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता।इनके पीठ थपथपाने के लिए ही पत्रकारों को चौथा स्तम्भ का नाम दिया गया हैं।वैसे यह चौथा स्तम्भ हैं नहीं।
स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकारिता क्षेत्र से जुड़े प्रदीप कुमार नायक कहते हैं कि भले ही मीडिया को लोग गलत तथा अविश्वसनीय कहें लेकिन मीडिया में प्रसारित दृश्य एवं श्रव्य,लेखन सामग्रियां उसके चित और विवेक पर असर डालती हैं और यहीं सबसे ज्यादा खतरनाक होता हैं।अभी भी हमारा सम्पूर्ण समाज साक्षर,शिक्षित होने के बावजूद उतना समझदार नहीं हुआ कि अच्छी एवं साफ-सुथरी बातों को समझकर विश्लेषण कर सके।झूठ को जब बार-बार अनेकों बार तेज आवाज़ में चीख-चीखकर प्रसारित कर दिखाया जाय तो सैकड़ो बार कहां गया झूठ भी सच प्रतीत होने लगता हैं।शायद भारतीय मीडिया भी यही कर रहा हैं। कारपोरेट-पूंजीवादी समय मे पत्रकार साफ नजर नही आता।पीत पत्रकारिता के दाग और पेड़ न्यूज़ का खिलाड़ी पत्रकार ही हैं।किसी न किसी घराने और विचारधारा से प्रभावित मीडिया से क्या अपेक्षा की जा सकती हैं? जब बात प्रतिबद्धता और राष्ट्र हित की हो तो मीडिया ही लोकतंत्र की मजबूती में अपनी दमदार भूमिका निभा सकती हैं।कहां जाता हैं कि लोकतंत्र और देश के लिए एक तटस्थ मीडिया समाज की नितांत जरूरी हैं।
कार्यक्रम के बीच में सांस्कृतिक कार्यक्रम के कलाकारों ने अपना समा बांधे रखा।कलाकार राजीव रंजन सिंह ने किशोर कुमार द्वारा गया गीत “हाल क्या हैं दिलोंका न पूछो सनम” और धीरेंद्र जी ने मुकेश द्वारा गाया गीत “जीना यहाँ मरना यहाँ” गीत गाया।दूसरीओर सुप्रसिद्ध गायिकी तनूजा कुमारी ने लता मंगेशकर द्वारा गाई गई गीत “इन आँखों की मस्ती में” और “या “बाबरे” गीत गाकर दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया।वास्तव में उनकी सुरीली आवाज़ में जादू हैं।
प्रदीप कुमार नायक
स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार