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पूरे भारत के तापमान में 0.89 डिग्री की औसतन वृद्धि हुई, प्रतिकूल मौसम अब सामान्य घटना हुई : अध्ययन 2025

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पूरे भारत के तापमान में 0.89 डिग्री की औसतन वृद्धि हुई, प्रतिकूल मौसम अब सामान्य घटना हुई : अध्ययन

नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा): एक नवीनतम शोध में यह बड़ा खुलासा हुआ है कि भारत का औसत तापमान अब पिछली सदी की तुलना में लगभग 0.89 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। अध्ययन के अनुसार, प्रतिकूल और चरम मौसम की घटनाएँ अब असामान्य नहीं, बल्कि सामान्य पैटर्न बनती जा रही हैं।

शोधकर्ताओं ने बताया कि 2015–2024 की अवधि को जब 20वीं सदी के शुरुआती 25 वर्षों से तुलना की गई, तो पूरे भारत में तापमान में लगभग एक डिग्री की वृद्धि दर्ज की गई। यह वृद्धि जलवायु परिवर्तन की गंभीरता और उसकी दिशा दोनों को स्पष्ट करती है।


मध्य सदी तक और बढ़ेगा तापमान

अध्ययन के अनुसार, अगर उत्सर्जन स्तर वर्तमान दर पर बना रहता है, तो 1995–2014 की तुलना में सदी के मध्य तक तापमान में और 1.2–1.3°C की वृद्धि हो सकती है।

यह परिदृश्य “मध्यम उत्सर्जन परिदृश्य” (Medium Emission Scenario) के अंतर्गत तैयार किया गया है—जो दर्शाता है कि यदि वैश्विक स्तर पर कटौती के प्रयास तेज नहीं हुए, तो भारत में चरम तापमान की घटनाएँ और अधिक बढ़ सकती हैं।


देश के कई हिस्सों में असामान्य गर्मी

भारत के उत्तरी, पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों में तापमान वृद्धि सबसे अधिक रिकॉर्ड की जा रही है।
रिपोर्ट में पाया गया है कि:

  • कई राज्यों में अधिकतम तापमान सामान्य से 2–4°C ज्यादा दर्ज हुआ

  • हीटवेव की घटनाएँ पहले की तुलना में अब 2–3 गुना अधिक

  • वर्षा का पैटर्न भी असंतुलित हो रहा है

विशेषज्ञों के अनुसार यह संकेत है कि जलवायु परिवर्तन अब भविष्य का संकट नहीं, बल्कि वर्तमान समस्या है।


प्रतिकूल मौसम अब ‘नए सामान्य’ की तरह

रिपोर्ट का सबसे चिंताजनक निष्कर्ष यह है कि बारिश की अनियमितता, हीटवेव, सूखा और अचानक ठंड बढ़ना — ये सभी अब “नई सामान्य परिस्थितियाँ” बन रही हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह परिवर्तन कृषि, जलस्रोतों, ऊर्जा और स्वास्थ्य क्षेत्रों पर व्यापक असर डालेगा।


समाधान की दिशा

जलवायु विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि:

  • नवीकरणीय ऊर्जा पर अधिक निवेश

  • कार्बन उत्सर्जन में तेजी से कटौती

  • हीटवेव और मानसून के लिए बेहतर अनुकूलन नीति

  • शहरी इलाकों में ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर

यदि ये कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दशक भारत के लिए और चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।

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