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Bihar Bhumi Survey 2024: भूमि सर्वे बना सरकार के लिए चुनौती, आ गई बड़ी बाधा, जमीन मालिकों की बढ़ी मुश्किलें

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Bihar Bhumi Survey 2024: भूमि सर्वे बना सरकार के लिए चुनौती, आ गई बड़ी बाधा, जमीन मालिकों की बढ़ी मुश्किलें

Bihar Bhumi Survey 2024: बिहार में चल रहा भूमि सर्वे सरकार के लिए चुनौती बन गया है. अब इस सर्वे के दौरान एक ऐसी बाधा सामने आई है, जिसने जमीन मालिकों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है

बिहार में भूमि सर्वे को लेकर सरकार के सामने चुनौती खड़ी हो गई है.  इस वजह से अब जमीन मालिक भी काफी परेशानी में हैं. पूरा मामला कैथी भाषा के सरकारी अभिलेख की वजह से अटक गया है. यहां बक्सर में  पुराने खतियान, जमीन की रजिस्ट्री और जमींदारों के हुकुमनामा आदि कई कागजात कैथी भाषा में लिखे गए हैं. ऐसे में  भूमि सर्वेक्षण विभाग, प्रशासन या आम लोग इसे पढ़ने या लिखने में असमर्थ हैं.

अधिवक्ता प्रभाकर पांडे और राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि आजादी के बाद लगभग छठे दशक तक सरकारी कामकाज में कैथी भाषा ही प्रयोग में आती थी. उस वक्त सर्वाधिक सरकारी कागजात कैथी भाषा में ही लिखे गए हैं. कोर्ट में कैथी भाषा के अभिलेख आने पर अनुवाद कराया जाता है. बक्सर में ऐसे दो-तीन ही जानकार लोग हैं.

दरअसल, अंग्रेजी शासन काल में कैथी भाषा को आधिकारिक रूप से सरकारी और न्यायालय में कामकाज करने के लिए लागू कर दिया गया था.  शाहाबाद संप्रति बक्सर जिले में पहली दफा वर्ष 1909-10 में भूमि का सर्वेक्षण किया गया. इस दौरान खतियान कैथी भाषा में ही लिखे गए थे.  इसलिए पहले के कैडस्टल सर्वे के खतियान, जमीन की रजिस्ट्री, जमींदारों द्वारा किसानों को दिया गया हुकुमनामा या पटा, दान पत्र, जमीन की बदलेन, पुराना लगन रसीद आदि कागजात कैथी भाषा में ही पाए गए हैं.

जमीन मालिकों के बढ़ी मुश्किलें

इधर, वो रैयत काफी परेशान हैं, जिनकी 1970 के पहले खरीदी गई जमीन का सर्वे नहीं हुआ है. क्योंकि सर्वे करने वाले अधिकारी या अमीन को भी कैथी भाषा की जानकारी नहीं है. जमीन पर स्वामित्व या वंशावली से मिलान करने में कई तरह की समस्या या प्रश्न उठ खड़े होंगे. रैयत परंपरा से अपने कागजात के बारे में जानकारी रखते हैं और खुद वह पढ़ और लिख नहीं पाते हैं. जरूरत पड़ने पर किसान अनुवाद कराते हैं और इसके लिए उन्हें काफी पैसा खर्च करना पड़ता है.

1970 में नहीं हुआ था सर्वे

बता दें कि 1970 में ब्रह्मपुर अंचल के नैनीजोर, महुआर, चक्की आदि पंचायत के कई मौजों का सर्वे नहीं हुआ था. इसलिए इसका खतियान, राजस्व अभिलेख, जमीन रजिस्ट्री के दस्तावेज कैथी भाषा में ही है. बहुत से रैयत की भूमि 1970 के सर्वे में गड़बड़ी कर बिहार सरकार या किसी दूसरे व्यक्ति के नाम से कर दिया गया. वैसे लोगों के पास सबूत के तौर पर 1909 वाला पुराना खतियान है, जो कैथी भाषा में ही लिखा गया है. ऐसी स्थिति में जमीन सर्वे में दावा समझने में मुश्किलें बढ़ेंगी.

 

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