
पटना, बिहार:
बिहार चुनाव नजदीक हैं और इसी बीच अपराधों की तेज़ रफ्तार ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया है। राजधानी पटना में एक और कारोबारी की हत्या से लोग दहशत में हैं। शुक्रवार रात रामकृष्णा नगर थाना क्षेत्र के पूर्वी अशोक चक इलाके में विक्रम झा, जो एक मार्ट के मालिक थे, बाइक सवार बदमाशों की गोलियों का शिकार हो गए। वे दरभंगा के रहने वाले थे और घटनास्थल पर ही गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।
11 दिनों में 31 हत्या: बिहार में अराजकता का दौर?
राज्य भर में अपराध की घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।
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4 जुलाई: गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या
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10 जुलाई: बालू कारोबारी रामानंद यादव की हत्या
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19 जून: रजी अहमद (नालंदा)
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22 जून: अंजनी सिंह (पुनपुन)
अब विक्रम झा की हत्या ने बिजनेस समुदाय और आम लोगों में भय का माहौल बना दिया है। साथ ही 3 जुलाई को सिवान में 3 लोगों की हत्या और 7 जुलाई को पूर्णिया में एक ही परिवार के 5 लोगों को जिंदा जलाने की घटना ने सबको झकझोर दिया।
पुलिस कर रही छापेमारी, CCTV फुटेज खंगाले जा रहे
पटना (पूर्वी) के नगर पुलिस अधीक्षक परिचय कुमार ने घटना की पुष्टि की है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और सीसीटीवी फुटेज के जरिए आरोपियों की तलाश शुरू कर दी गई है। कई इलाकों में छापेमारी भी की जा रही है।
राजनीतिक घमासान: चिराग पासवान से तेजस्वी तक सब निशाने पर
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चिराग पासवान: “बिहारी अब और कितनी हत्याओं की भेंट चढ़ेंगे?”
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तेजस्वी यादव: “पटना में कारोबारी की हत्या, अचेत मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश में अराजकता फैली है।”
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राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव: “बिहार में अब कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है।”
जदयू का पलटवार: ‘अपराध सिर्फ बिहार में नहीं होता’
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा:
“अपराध पूरे देश में होता है, लेकिन बहस केवल बिहार को लेकर होती है।”
उन्होंने गृह मंत्रालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बिहार की छवि को जानबूझकर बदनाम किया जा रहा है।
निष्कर्ष:
राज्य में हो रही लगातार हत्याओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बिहार अब सुरक्षित रह गया है? चुनावी वर्ष में बढ़ती आपराधिक घटनाएं राजनीतिक मुद्दा बनती जा रही हैं, और जनता डर व असुरक्षा के बीच जीने को मजबूर हो रही है। सवाल यही है—अपराधियों पर कब लगेगा लगाम?