
बिहार चुनाव में BSP की एंट्री से गर्माया सियासी तापमान, आकाश आनंद के लिए अग्निपरीक्षा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 धीरे-धीरे करीब आ रहे हैं और राजनीतिक गहमागहमी तेज होती जा रही है। इस बीच बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सक्रियता ने नया मोड़ ला दिया है। मायावती के नेतृत्व में BSP ने घोषणा की है कि वह सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी, और यह चुनाव BSP के युवा नेता आकाश आनंद के लिए एक अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा।
243 सीटों पर अकेले लड़ने का फैसला, गठबंधन से इंकार
18 मई को दिल्ली में आयोजित BSP की राष्ट्रीय बैठक में मायावती ने न केवल आकाश आनंद को पार्टी का चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया, बल्कि बिहार में सभी सीटों पर बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ने का ऐलान कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। बसपा का लक्ष्य केवल चुनाव लड़ना नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समता के सिद्धांतों को जमीन पर उतारना है।
दलित और सीमावर्ती इलाकों पर फोकस
BSP की नजर विशेष रूप से उन जिलों पर है जो उत्तर प्रदेश सीमा से सटे हैं – जैसे बक्सर, कैमूर, और रोहतास। यहां परंपरागत जाटव और दलित वोट बैंक बसपा का मजबूत आधार माने जाते हैं। इन क्षेत्रों की 25-30 सीटों पर पार्टी की खास नजर है।
2020 में एक सीट जीती, लेकिन विधायक हुआ ‘डिफेक्शन’
पिछले चुनाव की बात करें तो 2020 में बसपा ने RLSP के साथ गठबंधन कर 80 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से बसपा को केवल चैनपुर सीट पर जीत मिली थी। हालांकि, जीतने वाले विधायक जमा खान बाद में जेडीयू में शामिल हो गए।
लोकसभा 2024 में सीमित सफलता, लेकिन संकेत स्पष्ट
2024 लोकसभा चुनाव में भले ही BSP को बिहार में केवल 1.75% वोट मिले, लेकिन कई सीटों पर पार्टी तीसरे और चौथे स्थान पर रही। इसका मतलब है कि एक संगठित प्रयास और मजबूत रणनीति के साथ BSP बिहार में कुछ सीटों पर गंभीर चुनौती बन सकती है।
BSP की आंतरिक चुनौतियाँ और रणनीतिक गठजोड़
सूत्रों के अनुसार, BSP को बिहार में फायदा तभी होगा जब वह अपनी आंतरिक कलह, नेतृत्व संघर्ष और कैंडिडेट चयन की चुनौतियों को पार कर ले। रामजी गौतम और बिहार प्रभारी अनिल कुमार के साथ आकाश आनंद को तालमेल बैठाना होगा।
नीतीश कुमार के वोट बैंक में सेंध?
BSP इस बार कुर्मी और कोइरी समुदाय के प्रत्याशियों को मैदान में उतारने की योजना बना रही है, जिससे JDU के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने की संभावना जताई जा रही है। साथ ही मुस्लिम मतदाताओं को भी बड़े पैमाने पर प्रतिनिधित्व देने की योजना है, जिससे राजद का समीकरण भी प्रभावित हो सकता है।
एनडीए को हो सकता है बड़ा नुकसान
BSP की मजबूती से उपस्थिति का सबसे बड़ा प्रभाव एनडीए पर पड़ सकता है। दलित वोट बैंक में अगर बसपा थोड़ी भी सेंध लगाती है, तो चिराग पासवान की LJP और जीतनराम मांझी की HAM पार्टी के आधार पर असर पड़ सकता है। इसका सीधा नुकसान उन सीटों पर NDA को होगा जहां भाजपा या JDU के उम्मीदवार मैदान में होंगे।
क्या BSP बनेगी बिहार में तीसरा विकल्प?
यह चुनाव BSP के लिए एक बड़ा मौका है। एक ओर जहां राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का प्रदर्शन गिरता जा रहा है, वहीं बिहार चुनाव आकाश आनंद के नेतृत्व कौशल और BSP की नई रणनीति का परीक्षण करेगा। यदि BSP कुछ सीटों पर मजबूत प्रदर्शन करती है, तो यह भविष्य में पार्टी को एक स्थायी तीसरे विकल्प के रूप में स्थापित कर सकता है।
निष्कर्ष:
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि BSP और आकाश आनंद के लिए खुद को साबित करने का मौका है। मायावती की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए आकाश को संगठनात्मक और रणनीतिक दोनों स्तर पर मजबूती दिखानी होगी।