
Bihar Assembly Election 2025:
जैसे-जैसे चुनावी तारीखें नजदीक आ रही हैं, बिहार की सियासत में हलचल तेज हो गई है। इस बार कांग्रेस ने बड़ा सियासी दांव चलते हुए EBC यानी अति पिछड़ा वर्ग को साधने की ठोस रणनीति अपनाई है। कांग्रेस का कहना है कि वह इस वर्ग को उनकी जनसंख्या के अनुपात में राजनीतिक प्रतिनिधित्व देगी — और यही बयान अब बिहार की चुनावी फिजा में चर्चा का विषय बन चुका है।
कांग्रेस का “EBC मिशन”
पटना के सदाकत आश्रम में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम “अति पिछड़ों का सवाल बनाम कांग्रेस की भूमिका” के दौरान कांग्रेस ने EBC समुदाय को साधने का खुला एलान किया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार और सह प्रभारी सुशील पासी समेत कई सामाजिक नेताओं ने मंच साझा करते हुए इसे सिर्फ घोषणा नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में एक “राजनीतिक आंदोलन” बताया।
“कांग्रेस EBC को सिर्फ वोट नहीं, बराबरी का हक दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है,” – कांग्रेस प्रस्ताव
प्रस्ताव भी हुआ पारित
इस कार्यक्रम में कांग्रेस ने एक प्रस्ताव भी पारित किया, जिसमें EBC की शैक्षणिक, सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने का वादा किया गया।
शशि भूषण पंडित को अति पिछड़ा प्रकोष्ठ का चेयरमैन नियुक्त कर उन्हें सम्मानित भी किया गया, जो कांग्रेस की इस वर्ग के प्रति गंभीरता का संकेत है।
क्यों खास है EBC वोट बैंक?
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27.12% आबादी बिहार में EBC की है
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इसमें मल्लाह, नोनिया, नाई, कानू, चंद्रवंशी जैसी जातियाँ आती हैं
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यह वर्ग सामाजिक और आर्थिक रूप से तो पिछड़ा है ही, राजनीतिक रूप से भी हाशिए पर रहा है
बीजेपी और जेडीयू की पकड़ को चुनौती
गौरतलब है कि बीजेपी ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर EBC वर्ग में अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश की थी। वहीं कांग्रेस अब इसी वर्ग को राजनीतिक भागीदारी का वादा देकर भाजपा-जेडीयू के गठबंधन को चुनौती देना चाहती है।
“यह वोट बैंक ना पूरी तरह आरजेडी के पास है, और ना ही कांग्रेस का था — अब लड़ाई इसे कब्जे में लेने की है।”
विधानसभा बनाम लोकसभा में अलग पैटर्न
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बिहार में लोकसभा और विधानसभा के वोटिंग पैटर्न अलग होते हैं। यही वजह है कि कांग्रेस अब इसे मौका मानकर NDA के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी में जुट गई है।
निष्कर्ष:
कांग्रेस की इस रणनीति ने सियासी समीकरणों को गर्मा दिया है। अब देखना यह होगा कि क्या कांग्रेस EBC कार्ड से बिहार की चुनावी राजनीति में कोई बड़ा उलटफेर कर पाएगी या यह दांव भी बाकी दलों की काट में फंस जाएगा।