
बिहार चुनाव 2025: अफसरशाही की सियासी एंट्री से सियासी हलचल, कई पूर्व IAS-IPS मैदान में उतरने को तैयार
पटना, बिहार: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच राज्य में एक नया राजनीतिक ट्रेंड देखने को मिल रहा है। इस बार पारंपरिक नेताओं के साथ-साथ कई रिटायर्ड IAS और IPS अधिकारी भी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार हैं। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेकर ये पूर्व अफसर सीधे चुनावी मैदान में उतरने की योजना बना चुके हैं।
नीतीश के पूर्व सचिव दिनेश कुमार राय मैदान में
बिहार सरकार के पूर्व सचिव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनीतिक सचिव रह चुके IAS दिनेश कुमार राय ने VRS लेकर करगहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। वे कुर्मी समुदाय से आते हैं और स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ रखते हैं। माना जा रहा है कि उनकी छवि और प्रशासनिक अनुभव उन्हें जन समर्थन दिला सकते हैं।
IPS जय प्रकाश सिंह जन सुराज में शामिल
IPS जय प्रकाश सिंह, जो हिमाचल प्रदेश में ADG के पद पर कार्यरत थे, ने VRS लेकर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का दामन थामा है। वे अपने गृह जिला सारण के छपरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। जन सुराज पार्टी नौकरशाहों के लिए एक नया राजनीतिक विकल्प बनती दिख रही है।
बिहार के ‘सिंघम’ शिवदीप लांडे ने बनाई अपनी पार्टी
लोकप्रियता के मामले में सबसे चर्चित नाम है पूर्व IPS शिवदीप लांडे, जिन्हें बिहार का सिंघम कहा जाता है। उन्होंने VRS लेकर अपनी नई पार्टी हिंद सेना पार्टी का गठन किया है और दावा किया है कि उनकी पार्टी बिहार की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
आनंद मिश्रा का उतार-चढ़ाव भरा सफर
IPS आनंद मिश्रा ने बक्सर से बीजेपी टिकट की उम्मीद में VRS लिया, लेकिन टिकट न मिलने पर उन्होंने जन सुराज पार्टी जॉइन की। हालांकि, बाद में उन्होंने उस पार्टी से भी दूरी बना ली। उनके राजनीतिक सफर में अस्थिरता देखने को मिली है।
अन्य अफसर भी तैयारी में
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पूर्व DM अरविंद कुमार सिंह
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पूर्व संयुक्त सचिव गोपाल नारायण सिंह
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पूर्व नवादा DM लल्लन यादव
ये सभी पूर्व अधिकारी भी आगामी चुनाव में अपनी दावेदारी की तैयारी कर रहे हैं। वहीं IAS मनीष वर्मा, जो ओडिशा कैडर से हैं, उन्होंने JDU में शामिल होकर महासचिव पद संभाला है और नालंदा से चुनाव लड़ सकते हैं।
बिहार की परंपरा रही है अफसरों की सियासी मौजूदगी
बिहार में अफसरों का राजनीति में उतरना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी यशवंत सिन्हा, आर.के. सिंह, एन.के. सिंह और आरसीपी सिंह जैसे कई अफसर राजनीति में सफल हो चुके हैं। हालांकि कुछ, जैसे गुप्तेश्वर पांडे, को टिकट नहीं मिलने पर राजनीति से पीछे हटना पड़ा।
मोदी और नीतीश – दोनों का भरोसा अफसरों पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों ही ब्यूरोक्रेट्स पर भरोसा जताते रहे हैं। मोदी सरकार में कई पूर्व अफसर मंत्री हैं, वहीं नीतीश ने भी सेवानिवृत्त अफसरों को अहम पदों पर नियुक्त किया है। उदाहरण के लिए, IAS दीपक कुमार को रिटायरमेंट के बाद दोबारा प्रधान सचिव बनाया गया।
राजनीति का बदलता चेहरा
बिहार चुनाव 2025 में यह नया रुझान देखने को मिलेगा, जहां राजनीति का नेतृत्व अब केवल पारंपरिक नेताओं के हाथ में नहीं रहेगा, बल्कि अफसरशाही की दुनिया से आए अनुभवी चेहरे भी मुकाबले में होंगे। VRS लेने वाले अफसरों की बढ़ती संख्या और राजनीतिक दलों की उनमें रुचि इस बदलाव का संकेत दे रही है।
लेखक: Seemanchal Live News Desk
स्रोत: सोशल मीडिया, जन सुराज, सरकारी रिकॉर्ड, मीडिया रिपोर्ट्स