
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में महागठबंधन के भीतर सीटों का समीकरण उलझता जा रहा है।
सभी घटक दलों — राजद, कांग्रेस, माले, सीपीआई, सीपीआई (एम), आईआईपी और वीआईपी — ने अपनी-अपनी सूची जारी कर दी है,
लेकिन जिन सीटों पर तालमेल की उम्मीद थी, वहां अब ‘फ्रेंडली फाइट’ की स्थिति बन गई है।
कुल 243 विधानसभा सीटों में से महागठबंधन ने 254 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं,
यानि 11 सीटों पर “दोहरी उम्मीदवारी” ने एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राजद ने जारी की 143 उम्मीदवारों की सूची — जातीय समीकरण पर खास फोकस
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने दूसरे चरण के नामांकन के आखिरी दिन
143 उम्मीदवारों की सूची जारी की।
इस सूची में पार्टी ने जातीय संतुलन साधने की पूरी कोशिश की है।
वर्ग | उम्मीदवारों की संख्या | प्रतिशत |
---|---|---|
यादव | 51 | 35.6% |
मुस्लिम | 19 | 13.2% |
सवर्ण | 14 | 9.8% |
कुशवाहा | 11 | 7.6% |
अन्य पिछड़ा वर्ग | 26 | 18.1% |
एससी/एसटी | 22 | 15.4% |
विश्लेषकों का मानना है कि “M-Y (मुस्लिम-यादव)” समीकरण के साथ
राजद ने इस बार सवर्ण और पिछड़ा वर्ग पर भी ध्यान केंद्रित किया है।
यह रणनीति सामाजिक विस्तार और वोट बैंक विविधीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास मानी जा रही है।
कांग्रेस ने 61 उम्मीदवार उतारे — सवर्ण और अल्पसंख्यक वर्ग पर भरोसा
महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस पार्टी ने अब तक
61 उम्मीदवारों की घोषणा की है।
पहली सूची 17 अक्टूबर को जारी हुई थी, जिसमें 48 नाम थे,
जबकि अंतिम सूची में सुपौल से मिन्नत रहमानी का नाम शामिल किया गया।
कांग्रेस की जातीय संरचना पर नज़र डालें तो पार्टी ने
20 सवर्ण, 12 ओबीसी, 5 ईबीसी, 2 अति पिछड़ा वर्ग, 10 मुस्लिम और 10 एससी-एसटी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
‘फ्रेंडली फाइट’ की फेहरिस्त — 10 से ज्यादा सीटों पर भिड़े साथी दल
महागठबंधन की “एकजुटता” की पोल उन सीटों पर खुल गई है,
जहां दो या तीन सहयोगी दल आमने-सामने आ गए हैं।
सीट | मुकाबला | दल |
---|---|---|
सिकंदरा | राजद vs कांग्रेस | RJD – INC |
कहलगांव | राजद vs कांग्रेस | RJD – INC |
सुल्तानगंज | राजद vs कांग्रेस | RJD – INC |
वैशाली | राजद vs कांग्रेस | RJD – INC |
चैनपुर | राजद vs वीआईपी | RJD – VIP |
बाबू बरही | राजद vs वीआईपी | RJD – VIP |
छवाड़ा | कांग्रेस vs CPI | INC – CPI |
करगहर | कांग्रेस vs CPI | INC – CPI |
बिहारशरीफ | कांग्रेस vs CPI | INC – CPI |
राजापाकर | कांग्रेस vs CPI | INC – CPI |
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह “फ्रेंडली फाइट”
असल में “टिकट असंतोष और संगठनात्मक कमजोरी” का नतीजा है।
वामदलों ने भी मैदान संभाला — वैचारिक मजबूती पर ज़ोर
महागठबंधन के वामपंथी घटकों ने भी अपनी रणनीति स्पष्ट की है।
पार्टी | उम्मीदवारों की संख्या | प्रमुख वर्ग |
---|---|---|
माले (CPI-ML) | 20 | 9 ओबीसी, 6 एससी, 2 ईबीसी, 1 सवर्ण, 2 मुस्लिम |
सीपीआई | 9 | 5 ओबीसी, 2 सवर्ण, 2 एससी |
सीपीआई (एम) | 4 | 3 ओबीसी, 1 एससी |
इन दलों ने अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों — भोजपुर, सीवान, जहानाबाद और दरभंगा — में
सीधी टक्कर देने की तैयारी की है।
आईआईपी और वीआईपी ने भी किया दमदार एंट्री
आई.पी. गुप्ता की इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (IIP) ने
3 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं (2 ईबीसी और 1 सवर्ण)।
वहीं, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP)
ने 15 उम्मीदवारों की घोषणा की है —
जिसमें 7 ईबीसी, 5 ओबीसी, 2 सवर्ण और 1 एससी उम्मीदवार शामिल हैं।
इन दोनों पार्टियों के मैदान में उतरने से
महागठबंधन के वोट बैंक में और बिखराव की संभावना बढ़ गई है।
गठबंधन में बढ़ती नाराज़गी — ‘एकता की परीक्षा’
टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष और अंतर्विरोध महागठबंधन के भीतर बढ़ गए हैं।
कई सीटों पर कार्यकर्ताओं ने खुले तौर पर नाराज़गी जताई है।
जन अधिकार पार्टी (JAP) के नेता पप्पू यादव ने तीखा बयान देते हुए कहा —
“12 सीटों पर दोहरे उम्मीदवार उतारना गठबंधन धर्म के खिलाफ है।
कांग्रेस को स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए, नहीं तो जनता भ्रमित होगी।”
वहीं, टिकट कटने से नाराज राजद नेता रितु जायसवाल ने
सीतामढ़ी की परिहार सीट से निर्दलीय नामांकन दाखिल कर
पार्टी नेतृत्व को चुनौती दी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि
“आंतरिक अनुशासन की कमी और सत्ता-साझेदारी की खींचतान”
महागठबंधन की चुनावी रणनीति के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।
समीकरण का विश्लेषण: कौन कहां खड़ा है?
दल | घोषित उम्मीदवार | मजबूत इलाका | प्रमुख फोकस |
---|---|---|---|
RJD | 143 | उत्तर-मध्य बिहार | MY + पिछड़ा वोट |
INC | 61 | सीमांचल, मिथिलांचल | सवर्ण + अल्पसंख्यक |
CPI-ML | 20 | भोजपुर, जहानाबाद | किसान, मजदूर |
CPI | 9 | गया, नालंदा | श्रमिक वर्ग |
CPI(M) | 4 | पश्चिम चंपारण | सामाजिक न्याय |
VIP | 15 | मधुबनी, दरभंगा | ईबीसी वोट बैंक |
IIP | 3 | मुंगेर, नवादा | समावेशी राजनीति |
महागठबंधन की चुनौतियां
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सीटों पर ओवरलैपिंग: कई सीटों पर दोहरी उम्मीदवारी से वोट बैंक में दरार।
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नेताओं की नाराज़गी: टिकट कटने से असंतुष्ट उम्मीदवार निर्दलीय बनकर मैदान में।
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गठबंधन धर्म की कमजोरी: समन्वय की कमी से संगठनात्मक संदेश धुंधला।
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वोटों का बिखराव: सामाजिक संतुलन बनाए रखने में चुनौती।
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NDA की एकजुटता: विपक्षी शिविर की अंदरूनी लड़ाई का फायदा NDA को मिल सकता है।
राजनीतिक विश्लेषण — ‘एकजुटता बनाम अस्तित्व की लड़ाई’
राजनीतिक टिप्पणीकार डॉ. अरुण प्रकाश सिंह कहते हैं —
“महागठबंधन के सामने इस बार सबसे बड़ी चुनौती विपक्ष नहीं,
बल्कि अपनी खुद की एकजुटता बनाए रखना है।”
उन्होंने कहा कि जिस तरह राजद और कांग्रेस
कुछ सीटों पर आमने-सामने हैं,
वह ‘फ्रेंडली फाइट’ नहीं, बल्कि ‘राजनीतिक फूट’ का संकेत है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. बिहार में कुल कितनी विधानसभा सीटें हैं?
A1. बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं।
Q2. महागठबंधन ने कितने उम्मीदवार उतारे हैं?
A2. कुल 254 उम्मीदवार — यानी कुछ सीटों पर दोहरे प्रत्याशी।
Q3. किन सीटों पर राजद और कांग्रेस आमने-सामने हैं?
A3. सिकंदरा, कहलगांव, सुल्तानगंज और वैशाली सीटों पर।
Q4. रितु जायसवाल कौन हैं और क्यों नाराज़ हैं?
A4. राजद की पूर्व उम्मीदवार रितु जायसवाल ने टिकट न मिलने पर निर्दलीय नामांकन किया है।
Q5. महागठबंधन के प्रमुख सहयोगी कौन-कौन हैं?
A5. राजद, कांग्रेस, वामदलों (माले, सीपीआई, सीपीआई-एम), वीआईपी और आईआईपी।
Q6. क्या यह स्थिति NDA को फायदा दे सकती है?
A6. हां, गठबंधन में बिखराव से NDA को कई सीटों पर अप्रत्यक्ष बढ़त मिल सकती है।
🔗 External Source: Election Commission of India – Bihar Assembly Elections 2025 Candidate Data