बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है। एनडीए और इंडिया गठबंधन जहां सीट बंटवारे और चेहरे पर मंथन कर रहे हैं, वहीं मैदान में एक ऐसा खिलाड़ी उतरा है जिसने दोनों गठबंधनों की नींद उड़ा दी है। ये खिलाड़ी हैं — प्रशांत किशोर (PK) और उनकी नई पार्टी जन सुराज।
2020 का उदाहरण और 2025 की नई चुनौती
-
साल 2020 में चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा।
-
उन्होंने सिर्फ 1 सीट जीती, लेकिन 54 सीटों पर हार-जीत का खेल पलट दिया।
-
ठीक उसी तरह, 2025 में PK की एंट्री ने लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
जन सुराज का ऐलान
-
प्रशांत किशोर ने एलान किया है कि जन सुराज पार्टी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी।
-
पिछले साल हुए उपचुनाव में जन सुराज ने करीब 10% वोट शेयर हासिल किया था।
-
ये 10% वोट किसी भी चुनावी नतीजे को पलटने के लिए काफी होते हैं।
लालू यादव के लिए बड़ी चुनौती
-
जन सुराज पार्टी ने 40 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की घोषणा की।
-
जबकि माना जाता है कि मुस्लिम वोट बैंक पारंपरिक तौर पर RJD के साथ है।
-
PK मुस्लिम इलाकों में जाकर कह रहे हैं —
“राजद आपके वोट लेता है लेकिन आपकी आबादी के हिसाब से टिकट नहीं देता।
बिहार में मुस्लिम आबादी करीब 17% है, तो 40 मुस्लिम विधायक क्यों नहीं हैं?
अभी सिर्फ 19 मुस्लिम विधायक हैं, जिनमें से RJD ने सिर्फ 8 दिए।” -
अगर मुस्लिम वोट का एक छोटा हिस्सा भी PK की तरफ गया तो राजद का समीकरण बिगड़ सकता है।
नीतीश कुमार पर भी असर
-
नीतीश कुमार का EBC + महिला वोट बैंक अब तक मजबूत रहा है।
-
लेकिन PK का ग्राउंड कैंपेन सीधे गांव-गांव में इस समीकरण को चुनौती दे रहा है।
-
PK का संदेश है — “नई राजनीति, नया बिहार।”
-
इससे नीतीश कुमार के पारंपरिक वोटर्स में सेंध लग सकती है।
निचोड़
2025 का चुनाव सिर्फ NDA बनाम INDIA गठबंधन की लड़ाई नहीं है।
यहां तीसरे खिलाड़ी के रूप में प्रशांत किशोर मैदान में हैं, जो कम सीट जीतें या ज्यादा, लेकिन हार-जीत का खेल तय जरूर करेंगे।



