
पटना, 23 सितंबर – बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का पटना दौरा महागठबंधन (INDIA Bloc) के लिए बड़ा राजनीतिक मोड़ साबित हो सकता है। माना जा रहा है कि उनके हस्तक्षेप से कांग्रेस और राजद (RJD) के बीच चल रहे मतभेद खत्म हो सकते हैं और सीट बंटवारे पर अंतिम सहमति बन जाएगी।
सोनिया गांधी का पटना दौरा क्यों अहम?
बुधवार को सोनिया गांधी पटना पहुंचेंगी और पार्टी मुख्यालय सदाकत आश्रम में होने वाली कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में शामिल होंगी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ मिलकर वे चुनावी उम्मीदवारों की सूची पर चर्चा करेंगी और महागठबंधन की रणनीति को अंतिम रूप देंगी।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि –
“सोनिया गांधी के सुझावों को महागठबंधन के सभी सहयोगी गंभीरता से लेते हैं। ऐसे में सीट बंटवारे का मसला भी उनके हस्तक्षेप से सुलझ सकता है।”
कांग्रेस और राजद के बीच मतभेद
हाल के दिनों में कांग्रेस और RJD के बीच तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने को लेकर मतभेद सामने आए थे।
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कांग्रेस खुलकर तेजस्वी का समर्थन करने से बच रही थी।
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वहीं RJD ने राहुल गांधी की मतदाता अधिकार यात्रा को समर्थन देकर गठबंधन में मजबूती का संदेश दिया था।
इसी खींचतान के बीच पिछले हफ्ते तेजस्वी यादव ने अकेले ही अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी और यहां तक संकेत दिए कि उनकी पार्टी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।
सीट बंटवारे का नया फॉर्मूला
सूत्रों के अनुसार, सोनिया गांधी की मौजूदगी में सीट बंटवारे का फॉर्मूला लगभग तय हो चुका है:
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कांग्रेस: 70 से घटाकर 58 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
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राजद: 144 से घटाकर 130 सीटों पर लड़ेगी।
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भाकपा-माले: 19 से बढ़ाकर 27 सीटें दी जाएंगी (2020 में 12 जीत हासिल की थी)।
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सीपीआई: 6 सीटें।
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सीपीएम: 4 सीटें।
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वीआईपी (मुकेश साहनी): 14 सीटें।
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JMM और LJP (पशुपति पारस गुट): 2-2 सीटें।
राजद और कांग्रेस का ‘समझौता’
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि लालू प्रसाद यादव ने खुद दखल देकर दोनों पार्टियों को सीटों पर नरमी बरतने के लिए राजी किया।
उनका मानना है कि सीट बंटवारे को विवाद का विषय नहीं बनाना चाहिए, वरना इसका सीधा फायदा एनडीए को मिल जाएगा।
2020 के चुनाव का गणित
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कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल 19 पर जीत पाई।
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राजद ने 144 सीटों पर लड़ा और 75 जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी।
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भाकपा-माले ने 19 सीटों में से 12 जीतीं, जिससे उनका प्रभाव बढ़ा।
यानी इस बार महागठबंधन सीटों के बंटवारे में जीत की संभावना को प्राथमिकता दे रहा है।
✅ निष्कर्ष
सोनिया गांधी का पटना दौरा महागठबंधन के लिए बड़ा टर्निंग प्वॉइंट हो सकता है। कांग्रेस और राजद दोनों सीटों पर समझौता कर गठबंधन की मजबूती का संदेश देना चाहते हैं। अगर यह फार्मूला लागू होता है तो एनडीए के खिलाफ INDIA Bloc ज्यादा एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरेगा।