
बिहार के किसान अब आधुनिक तकनीक से जुड़ते जा रहे हैं। राज्य सरकार और कृषि विभाग लगातार ऐसे कदम उठा रहे हैं, जिनसे खेती आसान, सटीक और लाभकारी हो सके। इसी कड़ी में जहानाबाद जिले में किसानों को ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग देने की योजना बनाई गई है। यह पहल किसानों के लिए न सिर्फ समय बचाने वाली है बल्कि फसल प्रबंधन में भी बड़ी मददगार साबित होगी।
बिहार के किसानों के लिए नई पहल
जहानाबाद जिले में शुरू होगी ड्रोन ट्रेनिंग
कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से जहानाबाद में किसानों को पंचायत स्तर पर ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग दी जाएगी।
पंचायत स्तर पर किसानों को दी जाएगी सुविधा
इस योजना का मकसद है कि हर पंचायत के किसान आधुनिक तकनीक का फायदा उठा सकें और खेती को अधिक लाभकारी बना सकें।
ड्रोन तकनीक से किसानों को क्या लाभ मिलेगा
समय और श्रम की बचत
जहां पहले खेतों में दवा और खाद का छिड़काव करने में घंटों लग जाते थे, वहीं ड्रोन तकनीक से वही काम कुछ ही मिनटों में हो जाएगा।
दवा और खाद का सटीक छिड़काव
ड्रोन से स्प्रे करने पर हर पौधे तक दवा समान रूप से पहुंचती है, जिससे बीमारियों का खतरा कम होता है।
फसल प्रबंधन और उत्पादन में सुधार
ड्रोन से फसल की स्थिति पर नजर रखना आसान हो जाता है, जिससे समय रहते समाधान किया जा सकता है और उत्पादन में बढ़ोतरी होती है।
ट्रेनिंग कार्यक्रम और तारीख
3 से 18 अक्टूबर तक संभावित शिविर
जानकारी के अनुसार, 3 से 18 अक्टूबर के बीच पंचायत स्तर पर किसानों के लिए ड्रोन ट्रेनिंग शिविर लगाए जाएंगे। हालांकि ये तारीखें फिलहाल संभावित हैं।
कृषि संकल्प अभियान और इफको की भूमिका
यह ट्रेनिंग कृषि संकल्प अभियान और इफको (IFFCO) के सहयोग से कराई जा रही है, जिसके तहत किसानों को ड्रोन उपलब्ध भी कराया जा रहा है।
पहले किराए पर लेते थे ड्रोन, अब खुद उड़ाएँगे किसान
300 रुपए प्रति एकड़ का खर्च होगा बचत
अब तक किसान ड्रोन से दवा छिड़काव के लिए 300 रुपए प्रति एकड़ किराया चुकाते थे। लेकिन ट्रेनिंग के बाद किसान खुद ही ड्रोन उड़ाकर यह काम कर पाएंगे और खर्च भी बचा पाएंगे।
कृषि वैज्ञानिकों की राय
सॉफ्टवेयर आधारित खेत का नक्शा और रूट मैपिंग
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि ड्रोन उड़ान से पहले खेत का नक्शा सॉफ्टवेयर से तैयार किया जाता है। इसमें छिड़काव की मात्रा और रूट सेट कर दिया जाता है।
ड्रोन की स्वचालित उड़ान से बेहतर परिणाम
एक बार सेटिंग हो जाने के बाद ड्रोन खुद ही निर्धारित रास्ते पर उड़ान भरता है और सटीक छिड़काव करता है।
किसानों के लिए भविष्य की राह
तकनीकी खेती से उपज में बढ़ोतरी
ड्रोन और अन्य आधुनिक तकनीकें किसानों की मेहनत कम करके उपज बढ़ाने में मदद करती हैं।
युवाओं के लिए रोजगार का नया अवसर
ड्रोन तकनीक युवाओं के लिए एक नया करियर विकल्प भी खोल सकती है, जिससे वे कृषि के साथ टेक्नोलॉजी क्षेत्र में भी आगे बढ़ सकें।
FAQs: बिहार किसान और ड्रोन तकनीक
Q1. बिहार में किसानों को ड्रोन ट्रेनिंग कहां दी जाएगी?
👉 जहानाबाद जिले में पंचायत स्तर पर किसानों को ड्रोन ट्रेनिंग दी जाएगी।
Q2. ट्रेनिंग शिविर कब आयोजित होंगे?
👉 3 से 18 अक्टूबर के बीच संभावित रूप से ट्रेनिंग शिविर लगाए जाएंगे।
Q3. ड्रोन तकनीक से किसानों को क्या फायदा होगा?
👉 दवा और खाद का छिड़काव मिनटों में हो जाएगा, समय और श्रम दोनों बचेंगे।
Q4. क्या अब किसानों को ड्रोन किराए पर लेने की जरूरत होगी?
👉 नहीं, ट्रेनिंग के बाद किसान खुद ही ड्रोन का इस्तेमाल कर सकेंगे।
Q5. ड्रोन तकनीक से फसल उत्पादन पर क्या असर होगा?
👉 इससे फसल की सेहत बेहतर रहेगी और उत्पादन बढ़ेगा।
Q6. इस योजना में कौन-सा संगठन सहयोग कर रहा है?
👉 कृषि विभाग और इफको (IFFCO) की मदद से यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
निष्कर्ष: बिहार के किसानों के लिए तकनीकी क्रांति
बिहार में किसानों के लिए ड्रोन तकनीक खेती को पूरी तरह से बदलने वाली है। इससे समय की बचत, खर्च में कमी और उत्पादन में वृद्धि होगी। जहानाबाद से शुरू होकर यह पहल पूरे राज्य के किसानों तक पहुंचेगी और खेती को हाइटेक बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगी।
🔗 अधिक जानकारी के लिए आप IFFCO Official Website देख सकते हैं।