बिहार में देश का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र तैयार
लखीसराय जिले के कजरा के टाली कोड़ासी गांव में भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा प्लांट बनकर तैयार हो चुका है।
-
यह 1231 एकड़ भूमि पर फैला है।
-
निर्माण में 1500 करोड़ रुपये की लागत आई है।
-
इसमें 4 लाख 32 हजार सोलर प्लेट्स लगाई गई हैं।
बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम
-
इस संयंत्र की खासियत है 254 मेगावाट आवर बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम।
-
इससे 24 घंटे बिजली की आपूर्ति होगी।
-
रात के समय बैटरी चार्ज होकर बिजली देगी।
नवंबर से मिलेगी बिजली
-
नवंबर से सबसे पहले लखीसराय जिले को बिजली मिलेगी।
-
दूसरे चरण में खड़गपुर को बिजली आपूर्ति होगी।
-
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसका उद्घाटन करेंगे।
नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा
-
यह संयंत्र देश की सबसे बड़ी बैटरी स्टोरेज प्रणाली वाला प्रोजेक्ट है।
-
यह जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करेगा।
-
स्वच्छ और सस्ती बिजली का नया मॉडल बनेगा।
रोजगार के नए अवसर
-
फिलहाल 1000 इंजीनियर और मजदूर कार्यरत हैं।
-
आने वाले समय में और लोगों को रोजगार मिलेगा।
-
यह परियोजना स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का वरदान साबित होगी।
ग्रामीणों की उम्मीदें और प्रतिक्रियाएँ
-
स्थानीय निवासी डॉ. आर लाल गुप्ता ने कहा कि अब प्रदूषण मुक्त ऊर्जा मिलेगी।
-
पहले यहां एनटीपीसी परियोजना की योजना थी, लेकिन अब यह स्वच्छ ऊर्जा का केंद्र बन गया है।
चरणबद्ध बिजली उत्पादन
-
पहले फेज में 185 मेगावाट बिजली का उत्पादन।
-
दूसरे फेज में 251 मेगावाट उत्पादन होगा।
-
इंजीनियर गौरव कुमार के अनुसार, 50% बिजली सप्लाई नवंबर से शुरू हो जाएगी।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. इस प्लांट की कुल क्षमता कितनी है?
➡ कुल 436 मेगावाट (185 + 251 मेगावाट फेज़) बिजली उत्पादन होगा।
Q2. बिजली कब से मिलेगी?
➡ नवंबर से लखीसराय और खड़गपुर जिले को सप्लाई मिलेगी।
Q3. कितने लोग रोजगार पाएंगे?
➡ अभी 1000 लोग काम कर रहे हैं, भविष्य में और लोग जुड़ेंगे।
Q4. रात में बिजली कैसे मिलेगी?
➡ 254 मेगावाट आवर बैटरी सिस्टम रात में बिजली सप्लाई करेगा।
Q5. पर्यावरण पर इसका क्या असर होगा?
➡ यह प्रदूषण कम करेगा और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देगा।
Q6. किस कंपनी ने इसका निर्माण किया है?
➡ निर्माण में लार्सन एंड टुब्रो (L&T) और बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड शामिल हैं।
निष्कर्ष
बिहार का यह सौर ऊर्जा संयंत्र देश का सबसे बड़ा ऊर्जा प्रोजेक्ट है, जो लाखों घरों को रोशनी देगा।
यह परियोजना न केवल बिहार की ऊर्जा आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, बल्कि स्वच्छ और हरित भारत की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।



