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इस बार अपने बच्चों के भविष्य के लिए वोट कीजिएगा’: सारण में प्रशांत किशोर का बड़ा संदेश

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Bihar Politics: सारण में गूंजा बदलाव का स्वर, प्रशांत किशोर का जनता से भावुक आग्रह

सारण (Bihar), 22 मई 2025: बिहार में जन सुराज के तहत निकाली जा रही ‘बिहार बदलाव यात्रा’ अब निर्णायक मोड़ पर है। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को सारण जिले के एकमा विधानसभा क्षेत्र में दो जनसभाओं को संबोधित किया। इन जनसभाओं में उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा:

“इस बार नीतीश, लालू या मोदी के चेहरे पर नहीं, अपने बच्चों के चेहरे को देखकर वोट दीजिए।”

नीतीश सरकार पर करारा हमला

जनसभा के बाद मीडिया से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा,

“20 साल मुख्यमंत्री रहने के बावजूद धान का दाम 1500 से 1900 रुपये प्रति क्विंटल रहा। अब जब सरकार जाने वाली है तो अचानक फसल खरीद की बात कर रहे हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि लोग अपने अनाज का सही दाम चाहते हैं, चुनावी जुमले नहीं।

कोविड काल की याद दिलाई

जब स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे पर सवाल किया गया, तो पीके ने कहा,

“मैं उस आदमी को केवल इतना जानता हूं कि जब यह स्वास्थ्य मंत्री था, तब लोग पैदल बिहार लौट रहे थे और कोई व्यवस्था नहीं थी। कोरोना काल की पीड़ा को मत भूलिए।”

‘बच्चों के लिए वोट कीजिए’ – भावनात्मक अपील

जनसभा में प्रशांत किशोर ने कहा,

“अब तक आपने नेताओं के बच्चों के लिए वोट किया, अब अपने बच्चों के लिए कीजिए। उनकी पढ़ाई, नौकरी और भविष्य के लिए वोट कीजिए।”

उन्होंने कहा कि बिहार को ऐसा बनाना है कि हरियाणा, पंजाब और गुजरात से लोग यहां काम की तलाश में आएं।

जनता से बड़े वादे – पेंशन, शिक्षा और रोजगार

  • दिसंबर 2025 से 60 साल से अधिक उम्र के सभी पुरुष और महिलाओं को ₹2000 मासिक पेंशन दी जाएगी।

  • 15 साल से कम उम्र के बच्चों की फीस सरकार देगी, अगर उन्हें प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाया जाए।

  • सरकारी स्कूलों में सुधार प्राथमिक एजेंडा रहेगा।

  • छपरा, सारण के युवाओं को बाहर पलायन नहीं करना पड़ेगा – स्थानीय रोजगार की गारंटी दी जाएगी।

सार्वजनिक समर्थन और सांस्कृतिक जुड़ाव

प्रशांत किशोर ने गोपालेश्वर नाथ धाम में पूजा-अर्चना की और वहां उन्हें लड्डुओं से तौला गया, जो स्थानीय समर्थन का प्रतीक है।

निष्कर्ष:

बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर एक नई सोच और ठोस योजना के साथ उभरे हैं। उनकी अपील केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक भावनात्मक निवेदन है। क्या जनता उन्हें एक मौका देगी? इसका जवाब आने वाला समय देगा, लेकिन इतना तय है कि इस बार का चुनाव सिर्फ चेहरों पर नहीं, “बच्चों के भविष्य” पर लड़ा जाएगा।

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