Home खास खबर सीबीआई ने रेलवे के इंजीनियर और तीन अन्य को ₹98.81 लाख घूस मामले में दबोचा, 11 जगहों पर छापेमारी

सीबीआई ने रेलवे के इंजीनियर और तीन अन्य को ₹98.81 लाख घूस मामले में दबोचा, 11 जगहों पर छापेमारी

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पटना/हाजीपुर: बिहार के हाजीपुर में रेलवे निर्माण विभाग में एक बड़ा भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने ईस्ट सेंट्रल रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर सहित चार लोगों को ₹98.81 लाख की रिश्वत लेने और अवैध लेन-देन करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

यह मामला बिहार में रेलवे निर्माण कार्यों में चल रहे भ्रष्टाचार की एक बड़ी कड़ी माना जा रहा है।

क्या है पूरा मामला?

CBI की टीम को शिकायत मिली थी कि रेलवे निर्माण कार्यों में लगे एक ठेकेदार से अधिकारी बड़ी रकम की रिश्वत मांग रहे हैं। इसके बाद सीबीआई ने एक ट्रैप ऑपरेशन की योजना बनाई, जिसमें:

  • अलोक कुमार — डिप्टी चीफ इंजीनियर (कंस्ट्रक्शन)

  • आलोक कुमार दास — कार्यालय अधीक्षक

  • गोविंद भल्ला — प्रोजेक्ट मैनेजर

  • सुरज प्रसाद — ठेकेदार से जुड़ा सहयोगी

को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया।

सीबीआई ने मौके से ₹98.81 लाख नकद बरामद किया, जो अलग-अलग लिफाफों और बैग में रखा हुआ था।

11 स्थानों पर बड़े पैमाने पर छापे

जांच एजेंसी ने बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में कुल 11 स्थानों पर छापेमारी की।
इन छापों में:

  • संदिग्ध डिजिटल दस्तावेज़

  • बैंक पासबुक

  • निर्माण ठेकों की फाइलें

  • मोबाइल चैट रिकॉर्ड

  • नकद

  • संदिग्ध एग्रीमेंट

बरामद किए गए हैं।

CBI ने कहा है कि यह पहला चरण है और जांच आगे भी जारी रहेगी।

भ्रष्टाचार का पैटर्न कैसे चलता था?

सीबीआई के अनुसार, आरोपियों पर ये आरोप हैं—

  • निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री को पास करवाना

  • माप-तौल में हेरफेर

  • बिल क्लियर करने के बदले रिश्वत लेना

  • ठेकेदारों को गलत तरीके से लाभ देना

  • सरकारी फंड का दुरुपयोग

यानी एक संगठित नेटवर्क की तरह पूरे सिस्टम में धांधली की जा रही थी।

रेलवे विभाग की प्रतिक्रिया

ईस्ट सेंट्रल रेलवे ने कहा है कि:

“हम CBI द्वारा की जा रही कार्रवाई का पूरा समर्थन करते हैं। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।”

रेलवे मंत्रालय ने भी इस मामले को शून्य सहिष्णुता नीति के तहत गंभीरता से लिया है।

कौन-कौन धाराएँ लग सकती हैं?

आरोपियों पर निम्न IPC व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएँ लग सकती हैं:

  • रिश्वत लेना

  • कर्तव्य में लापरवाही

  • सरकारी धन का दुरुपयोग

  • साजिश

  • भ्रष्टाचार निवारण कानून की धारा 7, 8, 13

इन अपराधों में 7 साल तक की सज़ा हो सकती है।

यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?

रेलवे बिहार का सबसे बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर है।
यह घोटाला कई सवाल उठाता है:

  • क्या निर्माण परियोजनाओं में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा था?

  • क्या गुणवत्ता से समझौता कर करोड़ों की परियोजनाएँ बनाई जा रही थीं?

  • क्या यह नेटवर्क बिहार से बाहर भी फैला हुआ है?

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मामला बड़ा रूप ले सकता है।

निष्कर्ष

रेलवे इंजीनियर की गिरफ्तारी और भारी नकदी की बरामदगी ने बिहार में रेलवे परियोजनाओं की पारदर्शिता और गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठा दिए हैं।

CBI की कार्रवाई ने यह साफ कर दिया है कि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियों पर कड़ी निगरानी रहेगी।

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