
हिन्दी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी है। हिन्दी पत्रकारिता के आदि उन्नायक जातीय चेतना, युग बोध और अपने दायित्व के प्रति पूर्ण सचेत थे। गुलाम भारत में कलमकारों को विदेशी सरकार की दमन-नीति का शिकार होना पड़ा था। उसके नृशंस व्यवहार की यातना झेलनी पड़ी थी। उन्नीसवीं शताब्दी में हिन्दी गद्य-निर्माण की चेष्टा और हिन्दी-प्रचार आन्दोलन अत्यन्त प्रतिकूल परिस्थितियों में भयंकर कठिनाइयों का सामना करते हुए भी कितना तेज और पुष्ट था । इसका साक्ष्य ‘भारत मित्र’ (सन् 1878 ई, ) में ‘सार सुधानिधि’ (सन् 1879 ई.) और ‘उचित वक्ता’ (सन् 1880 ई.) के पन्नों पर देखने को मिलता है।भारत में प्रकाशित होने वाला पहला हिंदी भाषा का अखबार, 30 मई 1826 को पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने 30 मई 1826 को कोलकाता से “उदंत मार्तंड” नामक एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर शुरू किया था। इस दरम्यान उन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। चुनौतियों के बावजूद हिंदी पत्रकारिता की उपस्थिति दर्ज कराई। हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत बंगाल से हुई जिसका श्रेय राजा राममोहन राय को जाता है। 30 मई हिंदी पत्रकारिता के लिए महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।क्योंकि इसने हिंदी भाषा में पत्रकारिता की शुरुआत को चिह्नित किया था।वर्तमान में हिन्दी पत्रकारिता ने अंग्रेजी पत्रकारिता के दबदबे को खत्म कर दिया है। पहले देश-विदेश में अंग्रेजी पत्रकारिता का दबदबा था, लेकिन आज हिन्दी भाषा का झण्डा चहुंंदिश लहर रहा है। आप सभी भाइयों को हिंदी पत्रकारिता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
प्रदीप कुमार नायक