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IGIMS: पटना में महिला डाक्टर से अस्पताल में दुर्व्यवहार, उठक-बैठक करानेवाले एचओडी हटाये गये

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IGIMS: पटना में महिला डाक्टर से अस्पताल में दुर्व्यवहार, उठक-बैठक करानेवाले एचओडी हटाये गये

IGIMS: अस्पताल प्रशासन ने एनएमसी जिसको ध्यान में रखते हुए आइजीआइएमएस प्रशासन ने तुरंत कमेटी बनाकर मामले को तो शांत कर लिया है. लेकिन इस घटना के बाद से पीजी छात्रों में नाराजगी है.

आइजीआइएमएस में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की दो पीजी छात्राओं के साथ विभागाध्यक्ष ने दुर्व्यवहार किया और उनसे चार सितंबर को उठक-बैठक कराया. साथ ही, एचओडी का व्यवहार उन दोनों के प्रति बेहतर नहीं रहा. इस घटना के बाद दोनों ने विभागाध्यक्ष के खिलाफ वाटसएप के माध्यम से निदेशक एवं चिकित्सा अधीक्षक- वन से शिकायत की और अपना मोबाइल बंद कर लिया. इस शिकायत के बाद आइजीआइएमएस प्रशासन ने बैठक की और आनन-फानन में एनएमसी के गाइडलाइन के ध्यान में रखते हुए छह सितंबर को एक कमेटी का भी गठन कर लिया, जिसमें समिति के अध्यक्ष डॉ ओम कुमार को बनाया गया. वहीं, उसमें अन्य आठ सदस्य थे. जिनके समक्ष सात सितंबर को विभागाध्यक्ष ने उपस्थित होकर अपनी बातों को रखा और गलती मानते हुए मांफी भी मांगा. इसको लेकर अंतिम बैठक मंगलवार को हुई, जिसमें छात्रों ने मांग रखा कि इन्हें हमारे गाइड और परीक्षक के पद से भी हटाया जाये. जिसे समिति ने मानते हुए छात्रों की मांग को मान लिया है.

एचओडी डॉ गोयल ने रखा अपना पक्ष और मांगी मांफी

स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष नीरु गोयल से घटना के संबंध में पूछताछ करने पर डॉ गोयल ने कहा है कि पीजी डॉक्टरों की शिकायत सही है. मै मानती हूं कि जो मैंने डॉ तोहफा बेंनजीर और ओंगजिंग भूमिया दोनों के साथ जो दुर्व्यवहार किया वह गलत है. उस व्यवहार के लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूं. डा. गोयल ने कहा कि दोनों एक अच्छी छात्रा है. डॉ गोयल ने कहा जब मुझे गलती का एहसास हुआ, तो उन छात्राओं से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनका फोन बंद था. इस कारण से बात नहीं हो सकी.दोबारा उन्हें मोबाइल पर संदेश के माध्यम से क्षमा संदेश भेजी हूं. भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृति नहीं होगी. यह डॉ गोयल ने समिति के समक्ष लिखित रूप से दे दिया है.

एनएमसी की गाइडलाइन

एनएमसी गाइडलाइन के मुताबिक मेडिकल छात्रों के खिलाफ हिंसा की किसी भी घटना की कॉलेज प्रबंधन द्वारा तुरंत जांच की जानी चाहिए और पुलिस में प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए. हिंसा की किसी भी घटना पर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट अनिवार्य रूप से घटना के 48 घंटों के भीतर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को भेजी जानी चाहिए. यह निर्देश एनएमसी ने 13 अगस्त को निकाला था.

पीजी छात्रों का कहना है

आइजीआइएमएस के पीजी छात्राओं का कहना है कि जिस तरह की घटना इन दोनों छात्राओं के साथ हुई है, वह सही नहीं है. इस तरह से उठक- बैठक कराकर छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है. अस्पताल प्रशासन ने एनएमसी जिसको ध्यान में रखते हुए आइजीआइएमएस प्रशासन ने तुरंत कमेटी बनाकर मामले को तो शांत कर लिया है. लेकिन इस घटना के बाद से पीजी छात्रों में नाराजगी है.

क्या कहता है अस्पताल प्रशासन

आइजीआइएमएस चिकित्सा अधीक्षक डॉ मनीष मंडल ने कहा कि स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष नीरु गोयल के लिखित जवाब समिति को सात सितंबर को दे दिया था. इसके बाद मंगलवार की देर शाम समिति की बैठक हुई, जिसमें प्राचार्य, निदेशक, डीन सहित समिति के सभी सदस्य मौजूद थे. समिति ने माना है कि एचओडी से गलती हुई है. छात्रों की मांग थी कि इन्हें उनके गाइड और परीक्षक से हटाया जाये. इसे समिति ने मान लिया है और एचओडी को छात्रों के गाइड और परीक्षक से हटा दिया है.

 

 

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