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भारत नेपाल पत्रकार यूनियन की प्रासंगिकता

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प्रदीप कुमार नायक
स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार
सभ्यता के आदिकाल से आजतक के इतिहास को देखा जाय तो आप पाएंगे कि वैश्विक स्तर पर जो भी घटनाएं घटी, परिवर्तन हुआ,दिशाएं बदली,दशा बदले उसके एक ही कारण “संगठन” परिलक्षित होते हैं।विश्व में जितने भी राष्ट्र हैं,वे अपनी राष्ट्रीय छवि को बनाने तथा सुधारने के लिए आंदोलन किए, क्रान्ति किए और दृश्य बदला।यह कार्य सहज नहीं था,लेकिन संभव हो सका जिसका एकमात्र कारण संगठन था।क्योंकि संगठन और उसमें एकात्मकता रूपी मजबूती से ही कोई क्रान्ति या आंदोलन सफल हो पाती हैं।फ्रांस की क्रान्ति, रूस की क्रान्ति, इंगलैंड व मिश्र की क्रान्ति,नेपाल में राजतंत्र की समाप्ति कुछ ऐसे प्रमुख क्रांतियां इतिहास के पन्नों पर उद्दत हैं।जिसे देखकर खुशी होती हैं,हतप्रभ होना पड़ता हैं कि उतनी बड़ी-बड़ी क्रांतियां को सफलता मिली तो किस वजह से ? तो प्रश्न का उत्तर भी एक मुख्य कारण संगठन ही दिखता हैं।
भारत नेपाल पत्रकार यूनियन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकारिता क्षेत्र से जुड़े प्रदीप कुमार नायक कहते हैं कि भारत तो सदियों से आंदोलित रहा हैं।देश वासियों को डच,हूण यूनानी,मिश्र,मंगोलियनों,मलेच्छों और ब्रितानियों से उलझते रहना पड़ा था और हमेशा उन लुटेरों,कब्जार्थियों को मार भगाने में सफल होता रहा था।उसका भी एक मात्र कारण सामाजिक मजबूत संगठन था।मजबूत संगठन व एकता के बल पर ही भारत वासियों को गांधी-सुभाष के साथ सफल आज़ादी मिली।इतिहास गवाह हैं कि शिवाजी की लघु पर मजबूत संगठन से मुगलियों शासकों और सत्ता प्रतिष्ठानों को तबाही के आलम से गुजरना पड़ा था।छीनी और कब्जाई गई राज्य व राज्य प्रतिष्ठानों को शिवाजी ने पुनः लौटाकर हिंदुओं को गौरवान्वित किया था।
रूस में जार की त्रासदी से बाहर निकलने के लिए भी वहां की जनता को मजबूत संगठन बनाकर क्रान्ति करना पड़ा था,जिसमे जन-गण को भारी सफलता मिली।क्रूर बादशाह चाऊ चेस्कू से तबाह वहां की जनता को एकता बनानी पड़ी,संगठन को मजबूत बनाना पड़ा।तभी उन्हें उनकी आंदोलन को सफलता मिली।जमीन के नीचे सात मंजिली तहखानों से निकालकर सार्वजनिक स्थान पर पूरे परिवार को मृत्यु दण्ड दिया गया।आज वहां की स्थिति अच्छी हैं।सिकन्दर, हिटलर और नेपोलियन का उदय भी अस्त में परिवर्तन हुआ।देश की राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक और धार्मिकता के साथ-साथ साहित्यिक, ऐतिहासिक स्थितियां बदली।
उन कुछ खास ऐतिहासिक उदाहरणों को छोड़ भी दिया जाय तो आज देखने में मिलता हैं कि विश्व के प्रत्येक राष्ट्र में कर्मचारियों,व्यवसायियों, किसानों,मजदुरों, रिक्सा चालकों,टेम्पू वालों,बस मालिकों,चालकों,सरकारी प्रतिष्ठानों के कर्मियों का संघ हैं।जो समय-समय पर अपनी मांगों की पूर्ति हेतु संगठन के अंतर्गत आंदोलन के माध्यम से अपनी मांगे मना लेते हैं।
पत्रकारिता स्तर की बात की जाय तो आज लगभग सभी पत्रकारों का अपना-अपना मजबूत संगठन हैं।फिर दोंनो देशों के पत्रकारों को एकसाथ लेकर चलने वाले हमारा भारत नेपाल पत्रकार यूनियन का क्यों नहीं ?
भारत नेपाल पत्रकार यूनियन के निर्वाचन पदाधिकारी राजू कुमार सोनी का कहना हैं कि आज के परिवेश में भारत नेपाल यूनियन का संगठन एवं संगठित होना अत्यंत प्रासंगिक एवं आवश्यक हैं।क्योंकि आज बिना संगठन के मजबुती दिए तथा गति प्रदान करने की दिशा में पत्रकारिता जगत के बुद्धिजीवियों को सक्रिय होकर संकल्पित भाव से कम से कम संगठन के प्रति श्रद्धा, प्रेम,सौहार्द भाव से मूलधारा में जोड़ने के कार्य सर्व प्रथम किया जाय तो लगता हैं कि भारत नेपाल पत्रकार यूनियन स्वयं मजबूत हो जाएगा,गतिशील हो पायेगा।भारत नेपाल पत्रकार यूनियन और उसकी एकता और मजबूती को अक्षुण्ण बनाएं रखने की दिशा में समय-समय रणनीति बनाना होगा,नीति तय करना होगा तभी संगठन और भारत नेपाल पत्रकार यूनियन अक्षुण्ण समाज व राष्ट्र में प्रतिष्ठा कायम कर पाएंगे।
भारत नेपाल पत्रकार यूनियन के भारत के ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय गुप्ता का कहना हैं कि हमें नकारात्मक भावों को त्यागकर सकारात्मक दिशा धारा में बहने की आदत सृजन करना होगा।हम सबको मातृ एवं युवा शक्ति को मनसा वाचा कर्मना से सहयोग कर भारत नेपाल पत्रकार यूनियन में समयानुसार आई बुराइयों को दूर करते हुए “संघे शक्ति कलयुगे “के मंत्र को आत्मसात कर संकल्प लेना होगा।तभी हमें भारत नेपाल पत्रकार यूनियन के वैभवशाली स्वरूप का दर्शन हो पायेगा।अतः भारत नेपाल यूनियन के सभी पत्रकार भाइयों से निवेदन हैं कि आप अपने पत्रकार संगठन भारत नेपाल पत्रकार यूनियन को ऐसी मजबूती और एकता दे कि दोनों राष्ट्र, समाज और पत्रकार के अन्य वर्गों के समक्ष भारत नेपाल पत्रकार यूनियन प्रतीक बन जाय।
पौराणिक परम्पराओं के तहत स्पृश भावों को त्याग करते हुए एक ऐसा पत्रकारों का संगठन का पुर्नगठन हो जो सर्वरूप में विकसित,बौद्धिक,सभ्य,सुसंस्कृत और मजबुती हो तभी आज के परिपेक्ष में भारत नेपाल पत्रकार यूनियन अपनी समस्याओं के निदान में समग्र रूप से अपनी प्रवल शक्ति का प्रयोग प्रदर्शन कर आगे बढ़ सकेंगे।पत्रकारों का सम्पूर्ण विकास सम्भव हो पायेगा।
भारत नेपाल पत्रकार यूनियन के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश गौरव ने कहां कि एक पत्रकार बैठक में आने में असमर्थ हैं तो यूनियन के पदाधिकारियों को लेकर हम उनके यहां जाएंगे और उन्हें सम्मानित आर्थिक मदद भी करूंगा और उनके हर सुख दुःख में साथ रहूंगा।
उनका यह वाक्य वाकई दिल को छू जाता हैं।ऐसा व्यक्ति भारत नेपाल पत्रकार यूनियन के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर हैं तो यह बड़ी ही खुशी कि बात हैं।हमें उनपर गर्व करना चाहिए।
अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश गौरव कहते हैं कि आज व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण लोंगो के बीच अपनत्व टूट रहा हैं।ऐसे माहौल में टूटते अपनत्व को भारत नेपाल पत्रकार यूनियन के माध्यम से दोनों देशों के पत्रकारों को हम जोड़ने का काम कर रहें हैं।हम समाज व पत्रकारों में छायें अंधकार को दूर करने तथा अलख जगाने के लिए निकल पड़े हैं।
किसी ने कहां हैं कि जिन्दगी हैं तो ख्वाब हैं, ख्वाब हैं तो रास्ते हैं, रास्ते हैं तो मंजिल हैं, मंजिल हैं तो हौसला हैं और हौसला हैं तो विश्वास हैं और यही विश्वास भारत नेपाल पत्रकार यूनियन के अंत राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश गौरव को पत्रकारिता, पत्रकारों सुख दुःख में साथ रहने और समाज सेवा के लिए प्रेरित करता हैं।इस प्रेरणा को अपने जीवन में उतारकर विकास की नई महागाथा लिखने के लिए मुकेश गौरव पूरी तरह तैयार हैं।इनके मन में पत्रकारों के लिए एक गहरी टिश हैं और यह टिश अनायाश यदा-कदा फूट पड़ती हैं।
भारत नेपाल पत्रकार यूनियन सहित दोंनो देशों के पत्रकारों के प्रति समर्पित उनके हर सुख-दुःख दर्द में सहयोगी और सहचरी बनकर विकास की नई गाथा लिखने के लिए तत्पर आज के समय में सच्चें समाज और पत्रकारों के सेवक के रूप में मुकेश गौरव प्रचलित हो रहें हैं।
लेखक – स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, समाचार पत्र एवं चैनलों में अपनी योगदान दे रहें हैं।
मोबाइल – 8051650610

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