नई दिल्ली, 2 दिसंबर 2025 — भारतीय रुपया आज डॉलर के मुकाबले गिरकर ₹89.85 प्रति डॉलर पर पहुंच गया, जो अब तक का रिकॉर्ड-न्यूनतम स्तर है। बाद में रिज़र्व बैंक ने हस्तक्षेप कर रुपये को थोड़ा स्थिर कराया, जिससे कीमतें ₹89.80-₹89.82 के आसपास टिक गईं।
🔹 रुपये के गिरने के कारण
-
विदेशी निवेश प्रवाह (foreign investment flows) में कमी।
-
अमेरिका-भारत के बीच व्यापार समझौते की संभावना न होना और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएँ।
-
निर्यातकों ने डॉलर खरीद बढ़ा दी है, वहीं आयातकों ने डॉलर की मांग बढ़ा दी
🔹 क्या हुआ RBI ने?
रिज़र्व बैंक ने बीच बाजार में हस्तक्षेप कर रुपये को गिरने से बचाया। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि अगर विदेशी पूँजी प्रवाह (foreign flows) नहीं सुधरा, तो रुपये पर दबाव बना रह सकता है।
🔹 असर आम लोगों और व्यापार पर
-
आयातित सामान: जिन उत्पादों/कच्चा माल (विशेषकर पेट्रोलियम, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा-कच्चा माल आदि) का मूल्य डॉलर पर निर्भर है — उनकी कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
-
एयर-टिकट, विदेशी यात्रा और ऑनलाइन शॉपिंग महंगी हो सकती है।
-
विदेश भेजने वाले मजदूरों (remittance) को भारतीय रुपये कम मिल सकते हैं।
-
निर्यातकों को डॉलर अधिक मिलने के कारण फायदा हो सकता है, लेकिन अगर कच्चे माल का आयात महंगा हो — तो लाभ सीमित हो सकता है।



