
न्यूयॉर्क, 23 सितंबर – भारत और अमेरिका के बीच जारी टैरिफ और H-1B वीजा विवाद के बीच भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच सोमवार को अहम बैठक हुई। यह मुलाकात संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें उच्च-स्तरीय सत्र से पहले न्यूयॉर्क के लोटे न्यूयॉर्क पैलेस में हुई।
पृष्ठभूमि: क्यों अहम है यह बैठक?
अमेरिका ने हाल ही में भारत से रूस से तेल खरीदने पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जिससे भारत पर कुल 50% तक का शुल्क लग चुका है।
👉 इसके अलावा, विदेशी पेशेवरों के लिए H-1B वीजा के नए आवेदन पर 1 लाख डॉलर का शुल्क लगाने का फैसला भी भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव का कारण बना।
ऐसे समय में जयशंकर और रुबियो की मुलाकात को रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बैठक में क्या हुई चर्चा?
अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, बैठक में निम्न मुद्दों पर बातचीत हुई:
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व्यापार और निवेश
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रक्षा सहयोग और ऊर्जा साझेदारी
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फार्मास्यूटिकल्स और महत्वपूर्ण खनिज
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इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की रणनीति (QUAD सहयोग)
रुबियो ने कहा –
“भारत, अमेरिका के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण संबंध है। दोनों देश मिलकर एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देंगे।”
जयशंकर का बयान
बैठक के बाद डॉ. एस जयशंकर ने एक्स (X) पर लिखा –
“आज सुबह न्यूयॉर्क में विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मिलकर अच्छा लगा। हमारी बातचीत में कई द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रगति के लिए निरंतर जुड़ाव पर सहमति बनी। हम संपर्क में बने रहेंगे।”
UNGA सत्र में भारत का एजेंडा
डॉ. जयशंकर संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च-स्तरीय सत्र में हिस्सा लेने के लिए रविवार को न्यूयॉर्क पहुंचे।
👉 वे सत्र के इतर कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकें करेंगे।
👉 27 सितंबर को वे UNGA मंच से भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य देंगे।
✅ निष्कर्ष
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते टैरिफ और वीजा विवाद के बीच जयशंकर और रुबियो की मुलाकात से यह संकेत मिला है कि दोनों देश अभी भी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। Indo-Pacific, रक्षा और व्यापार के क्षेत्र में सहयोग जारी रहेगा, जबकि वीजा और टैरिफ पर बातचीत आगे बढ़ेगी।