
युद्ध के बीच पीएम मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की को मिलाया फोन, परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पर भी हुई चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार शाम यूक्रेन संकट पर वहां के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ये जानकारी दी। पीएमओ ने ट्वीट कर कहा कि पीएम मोदी ने आज यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ टेलीफोन पर यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर चर्चा की। इस दौरान पीएम मोदी ने युद्ध को जल्द खत्म करने और बातचीत व कूटनीति के रास्ते पर लौटने की जरूरत को दोहराया।
पीएम मोदी ने एक बार फिर से भारत के दृढ़ विश्वास को दोहराते हुए कहा कि संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता है। उन्होंने जेलेंस्की को किसी भी शांति प्रयासों में योगदान करने के लिए भारत की तत्परता से अवगत कराया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत शांति के किसी भी प्रयास में पूरा सहयोग देने के लिए हमेशा तैयार है। प्रधानमंत्री ने जेलेंस्की के साथ बातचीत में संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून और सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के महत्व को भी दोहराया।
पीएम मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत यूक्रेन सहित सभी परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को महत्व देता है। उन्होंने कहा कि परमाणु प्रतिष्ठानों के खतरे में होने से सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए दूरगामी और विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
गौरतलब है कि यूक्रेन में युद्ध को सात महीने से भी ज्यादा का वक्त हो गया है और फिलहाल कोई समाधान निकलता नजर नहीं आ रहा है। मंगलवार को रूसी संसद के उच्च सदन ने चार यूक्रेनी क्षेत्रों के विलय से जुड़ी संधियों को मंजूरी दे दी। रूसी संसद के ऊपरी सदन ‘फेडरेशन काउंसिल’ ने मंगलवार को पूर्वी दोनेत्सक व लुहान्स्क और दक्षिणी खेरसॉन तथा जापोरिज्जिया क्षेत्रों को रूस का हिस्सा बनाने से जुड़ी संधियों को मंजूरी देने के लिए मतदान किया।
इस बीच, रूसी सैनिकों के शव पूर्वी यूक्रेन के प्रमुख शहर में सड़कों पर पड़े नजर आए। यूक्रेन के बलों द्वारा घेरे जाने के डर के कारण रूसी सैनिक सप्ताहांत में लाइमैन शहर से बाहर आ गए थे। इससे यूक्रेन की कार्रवाई को काफी बल मिला, जो रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों को दोबारा अपने नियंत्रण में लेने के लिए लगातार जद्दोजहद कर रहा है। यूक्रेनी सेना ने लाइमैन में भीषण युद्ध के बाद अपने सैनिकों के शवों को वहां से हटा दिये, लेकिन रूसी सैनिकों के शवों को तत्काल हटाया नहीं गया।