गांधी और जिन्ना: स्वतंत्रता के दो महानायक, जिनके रास्ते अलग हो गए
नई दिल्ली, 15 अगस्त – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महात्मा गांधी और मोहम्मद अली जिन्ना दो ऐसे नाम हैं, जिन्होंने उपमहाद्वीप की राजनीति को हमेशा के लिए बदल दिया। एक ने अहिंसा और एकता के बल पर संयुक्त भारत का सपना देखा, तो दूसरे ने मुस्लिमों के लिए एक अलग राष्ट्र की नींव रखी। दोनों नेताओं की यात्रा, विचारधारा और आपसी मतभेद आज भी चर्चा का विषय हैं।
गांधी: अहिंसा और सत्य के पुजारी
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ। लंदन से कानून की पढ़ाई के बाद उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेद के खिलाफ संघर्ष किया और यहीं सत्याग्रह की अवधारणा विकसित की।
1915 में भारत लौटकर उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कई बड़े आंदोलनों का नेतृत्व किया —
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1919 का रोलेट एक्ट विरोध
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1920 का असहयोग आंदोलन
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1930 का नमक सत्याग्रह
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1942 का भारत छोड़ो आंदोलन
गांधीजी का मानना था कि आज़ादी केवल अहिंसा और सत्य के मार्ग से ही संभव है। वे हिंदू-मुस्लिम एकता को भारत की मजबूती का आधार मानते थे।
जिन्ना: पाकिस्तान के क़ायद-ए-आज़म
मोहम्मद अली जिन्ना का जन्म 25 दिसंबर 1876 को कराची में हुआ। लंदन के Lincoln’s Inn से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे भारत लौटे और वकालत में सफलता पाई।
शुरुआत में जिन्ना कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों से जुड़े रहे और 1916 के लखनऊ समझौते में हिंदू-मुस्लिम एकता के समर्थक थे।
लेकिन 1920 के दशक में गांधीजी की जन-आंदोलन शैली और कांग्रेस की नीतियों से असहमति के चलते उन्होंने मुस्लिम लीग का नेतृत्व संभाल लिया।
1940 के लाहौर प्रस्ताव ने पाकिस्तान की मांग को औपचारिक रूप दिया और 14 अगस्त 1947 को जिन्ना पाकिस्तान के पहले गवर्नर-जनरल बने।
गांधी-जिन्ना वार्ता और मतभेद
1944 में गांधी और जिन्ना के बीच ऐतिहासिक वार्ता हुई। गांधीजी ने मुस्लिमों की सुरक्षा के आश्वासन के साथ संयुक्त भारत का प्रस्ताव रखा, लेकिन जिन्ना ने पाकिस्तान की मांग से समझौता करने से इनकार किया।
मतभेद की मुख्य वजह थी —
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गांधीजी का एक राष्ट्र, बहुधार्मिक भारत का दृष्टिकोण
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जिन्ना का दो राष्ट्र सिद्धांत जिसमें हिंदू और मुस्लिम को अलग राष्ट्र माना गया
इन असहमतियों के चलते 1947 में भारत का विभाजन हुआ।
विभाजन और विरासत
भारत-पाक विभाजन के साथ लाखों लोग विस्थापित हुए और सांप्रदायिक हिंसा में जान गंवा बैठे।
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गांधी – वैश्विक स्तर पर अहिंसा और शांति के प्रतीक बने।
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जिन्ना – पाकिस्तान के संस्थापक और मुस्लिम पहचान के रक्षक के रूप में याद किए जाते हैं।
आज, 78 साल बाद भी, गांधी और जिन्ना के विचार दक्षिण एशिया की राजनीति और समाज को प्रभावित करते हैं।



