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माओवाद की टूटी कमर! बचे हुए टॉप नक्सली कमांडर दक्षिण बस्तर में ले रहे शरण ?

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हैदराबाद: लगातार चल रहे सुरक्षाबलों के ऑपरेशन और आत्मसमर्पण की बढ़ती लहर से देश में माओवादी आंदोलन की जड़ें लगभग कमजोर हो चुकी हैं।
खुफिया एजेंसियों के ताज़ा इनपुट के अनुसार, अब माओवादी संगठन के शीर्ष नेता दक्षिण बस्तर के घने जंगलों में शरण लिए हुए हैं।

सूत्रों का मानना है कि थिप्पिरी तिरुपति उर्फ देवुजी और पूर्व सुप्रीमो गणपति (मुप्पला लक्ष्मण राव) जैसे वरिष्ठ नेता माड़वी हिड़मा की कमान में अब भी छिपे हुए हैं।
ये नेता फिलहाल सुकमा, बीजापुर और दरभा इलाकों के जंगलों में सक्रिय बताए जा रहे हैं।


ऑपरेशनों से माओवादी संगठन को भारी नुकसान

पिछले छह महीनों में सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना सीमा पर कई सफल अभियान चलाए हैं।
इस दौरान न केवल दर्जनों नक्सली मारे गए, बल्कि सैकड़ों ने आत्मसमर्पण भी किया।

सबसे बड़ा झटका उस समय लगा जब माओवादी संगठन के नंबर-2 नेता मल्लोजुला वेणुगोपाल राव (भूपति) और
रणनीतिकार अशन्ना ने लगभग 280 कार्यकर्ताओं के साथ हथियार डाल दिए।

इसके बाद से नक्सलियों की गतिविधियां दक्षिण बस्तर तक सीमित होकर रह गई हैं।
दंडकारण्य क्षेत्र के कई हिस्से — जो कभी माओवादियों के गढ़ माने जाते थे —
अब सुरक्षाबलों के नियंत्रण में आ चुके हैं।


खाली हो रहे हैं नक्सली इलाक़े

खुफिया सूत्रों के मुताबिक, इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान के आसपास का इलाका अब लगभग नक्सल मुक्त हो चुका है।
भूपति के साथ वहां के अधिकतर कार्यकर्ता आत्मसमर्पण कर चुके हैं,
जबकि अशन्ना के साथ उत्तर बस्तर के कई गुटों ने हथियार डाल दिए हैं।

इससे अब नक्सलियों की मौजूदगी केवल दक्षिण बस्तर, सुकमा, बीजापुर और दरभा तक सीमित रह गई है।
सूत्रों का कहना है कि नक्सली फिलहाल तेलंगाना सीमा से लगे कर्रेगुट्टा इलाके में ठिकाना बनाए हुए हैं।


गृह मंत्री अमित शाह बोले — “अब नक्सलवाद सिर्फ इतिहास बनने को है”

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था —

“छत्तीसगढ़ में अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर जैसे इलाकों से नक्सलवाद पूरी तरह खत्म हो चुका है।
अब केवल दक्षिण बस्तर में थोड़ी बहुत सक्रियता है,
और हमें पूरा भरोसा है कि अगले कुछ महीनों में वहां भी माओवाद का सफाया हो जाएगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार “लास्ट माइल मिशन” के तहत
नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क, स्कूल और स्वास्थ्य ढांचे को सशक्त बना रही है।


दक्षिण बस्तर में शरण लिए हुए शीर्ष नक्सली

खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, CPI (Maoist) के शीर्ष नेतृत्व के कुछ सदस्य
अभी भी दक्षिण बस्तर के जंगलों में छिपे हुए हैं।

नाम असली पहचान भूमिका स्थिति
थिप्पिरी तिरुपति उर्फ देवुजी सीपीआई (माओवादी) पोलित ब्यूरो सदस्य संगठन का मौजूदा वरिष्ठ नेता बस्तर के जंगलों में सक्रिय
मुप्पला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति पूर्व महासचिव वैचारिक मार्गदर्शक हिड़मा के साथ छिपे होने की संभावना
मिसिर बेसरा उर्फ सागर केंद्रीय समिति सदस्य झारखंड इकाई का प्रभारी गिरिडीह में सीमित सक्रियता
पुल्लुरी प्रसाद राव उर्फ चंद्रन्ना तेलंगाना समिति सदस्य माओवादी रणनीतिकार तेलंगाना सीमा क्षेत्र में
बड़े दामोदर उर्फ चोक्का राव तेलंगाना इकाई संगठनात्मक समन्वयक बस्तर-तेलंगाना बॉर्डर

हिड़मा के नेतृत्व में दक्षिण बस्तर की नई कमान

माओवादियों के बचे हुए गुटों का नेतृत्व अब माड़वी हिड़मा कर रहा है।
हिड़मा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की पहली बटालियन का प्रमुख है,
और माना जाता है कि उसने पिछले दशक में कई घातक हमलों की रणनीति बनाई थी।

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, हिड़मा वर्तमान में
लगभग 500 से अधिक हथियारबंद माओवादियों के साथ
दक्षिण बस्तर के सुकमा और बीजापुर के बीच सक्रिय है।


तेलंगाना सीमा पर माओवादी जमावड़ा

तेलंगाना के कर्रेगुट्टा और वेंकटपुर क्षेत्र को माओवादी संगठन ने
अपने नए अड्डे के रूप में विकसित किया है।
यह इलाका घने जंगलों से घिरा है और
सुरक्षा बलों के लिए पहुंचना अपेक्षाकृत कठिन है।

खुफिया एजेंसियों का मानना है कि तेलंगाना समिति के नेता चंद्रन्ना और चोक्का राव
भी इसी क्षेत्र में शरण लिए हुए हैं।
सुरक्षाबलों ने इस इलाके में ड्रोन और उपग्रह निगरानी को तेज कर दिया है।


क्यों टूटी माओवाद की रीढ़?

  1. लगातार सुरक्षा अभियान: CRPF, COBRA और राज्य पुलिस के संयुक्त ऑपरेशनों से माओवादी ढांचे को गहरी चोट लगी।

  2. सरकार की विकास नीति: सड़कों, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं ने ग्रामीणों को मुख्यधारा से जोड़ा।

  3. आंतरिक मतभेद: संगठन के भीतर विचारधारात्मक मतभेद और नेतृत्व संकट उभर आया।

  4. आत्मसमर्पण नीति: सरकार की पुनर्वास योजना के तहत हजारों माओवादी मुख्यधारा में लौटे।

  5. तकनीकी निगरानी: ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी और इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस से नक्सली छिपने के ठिकाने सीमित हो गए।


सुरक्षा एजेंसियों का फोकस — “अंतिम सफाया”

छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने दक्षिण बस्तर को फोकस ज़ोन बनाया है।
सुरक्षाबलों का कहना है कि आने वाले महीनों में
‘ऑपरेशन ट्रायम्फ’ के तहत
माओवादी ठिकानों पर निर्णायक कार्रवाई की जाएगी।

सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार,

“अब माओवादी नेतृत्व सिर्फ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।
संगठन में नई भर्ती लगभग बंद हो चुकी है।”


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. क्या नक्सलवाद पूरी तरह खत्म हो गया है?
A1. नहीं, लेकिन इसकी जड़ें बहुत कमजोर हो चुकी हैं और फिलहाल गतिविधियां केवल दक्षिण बस्तर तक सीमित हैं।

Q2. वर्तमान में माओवादी संगठन का प्रमुख कौन है?
A2. थिप्पिरी तिरुपति उर्फ देवुजी संगठन का वरिष्ठतम नेता है, जबकि माड़वी हिड़मा दक्षिण बस्तर इकाई की कमान संभाले हुए है।

Q3. हिड़मा कौन है?
A3. हिड़मा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की बटालियन का प्रमुख है और कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है।

Q4. माओवादी किन राज्यों में सक्रिय हैं?
A4. वर्तमान में इनकी सीमित सक्रियता छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा और झारखंड के कुछ इलाकों में है।

Q5. सरकार की क्या योजना है?
A5. केंद्र सरकार 2026 तक देश को पूरी तरह नक्सल मुक्त करने के मिशन पर काम कर रही है।

Q6. माओवाद की सबसे बड़ी कमजोरी क्या बनी?
A6. संगठन के शीर्ष नेताओं का आत्मसमर्पण और नए कैडर की कमी ने इसकी रीढ़ तोड़ दी है।


🔗 External Source: Ministry of Home Affairs – Left Wing Extremism Status Report

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