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मिथिला की धरती पर संस्कृति और मंडप के बिना हुई शादी

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मिथिला की धरती पर संस्कृति और मंडप के बिना हुई शादी

बनी जिला राजनगर प्रखण्ड के नारायणपट्टी गाँव मे मिथिलांचल की संस्कृति से अलग शादी देखने को मिला । शादी की पंडाल मे सभी महापुरुषों की तस्वीर के साथ पंचशील झंडा लगा था । उन महान पुरुषों की तस्वीर मे संत कबीर साहब , संत रविदास , पेरियार ई रामास्वामी , संत गार्गे जी महाराज , बिरसा मुण्डा , ज्योतिबा फूले , सावित्री बाई फूले , डॉ बाबा साहब भीमराव अम्बेदकर और रामाबाई की तस्वीर लगी थी । पंडाल मे स्टेज के पास तथागत भगवान गौतम बुद्ध और बाबासाहब तथा रामाबाई का बरा तस्वीर लगा था । बौद्ध भिक्षु घूरण सदाय ने महापुरुषों को साक्षी मानकर बुद्ध वंदना और भारतीय संविधान की प्रस्तावना को पढ़कर समाज के सामने वर – वधू के साथ माता -पिता को भी प्रस्तावना के साथ शादी संपन्न कराए ।अंत मे बाबा साहब और रामबाई की तस्वीर उपहार देकर एक प्रेरणा का संदेश दिया । बारात जो किशनगंज से आए थे सभी इस प्रकार की शादी को देखकर आनंदमय हो गये । स्टेज पर नन्द बिहारी और गायिका की मीठी और सुरीली आवाज ने सबको झूमने पर मजबूर कर दिया । वधू के पिताजी लालदेव सदाय शिक्षक है जो बताए की अभी भी मेरा समुदाय बहुत पिछे है यहाँ इस तरह का आयोजन मे सभी ने मेरा साथ दिया मैं सभी का शुक्रगुजार हू । मैं अपने समाज को यह संदेश देना चाहता हू की हमलोगो को जागरूक होने की आवश्यकता है । अपने महापुरुषों की विचार धारा पर चलकर आने जीवन को आनंदमय बना सकते है ।

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