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दिवाली से पहले ही ‘जहरीली’ हुई दिल्ली-एनसीआर की हवा, आतिशबाजी हुई तो घुटेगा दम

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दिवाली से पहले ही ‘जहरीली’ हुई दिल्ली-एनसीआर की हवा, आतिशबाजी हुई तो घुटेगा दम

दिवाली पर दिल्ली में हवा की गुणवत्ता एक बार फिर गंभीर श्रेणी के पास पहुंच गई है। शनिवार को आनंद विहार में प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक रहा। वहीं, सबसे कम प्रदूषण मंदिर मार्ग इलाके में दर्ज किया गया।

शनिवार को पूरी दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 265 अंक पर दर्ज किया गया। हालांकि, कई इलाकों में एक्यूआई 300 अंक के पार पहुंच गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है। इस बीच, सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के अनुसार, दिल्ली में पटाखों के धुएं से हवा खराब होने की आशंका है। इससे वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में जा सकती है। अगले दो दिनों तक हवा ऐसी ही रहने के आसार हैं। दिवाली से पूर्व एक्यूआई के 300 से अधिक होने का अनुमान विशेषज्ञों ने लगाया था। इसके चलते ही दिल्ली में 19 अक्तूबर से ग्रैप का दूसरा चरण लागू किया गया।

आतिशबाजी पर संयम नहीं बरता तो घुटेगा दम
टाखे और आतिशबाजी पर दिल्ली के लिए इस बार संयम बहुत जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता है तो दीपावली के अगले दिन लोगों की सांसें घुट सकती हैं। अगले तीन दिनों के दौरान वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में रहने का पूर्वानुमान है। ऐसे में आतिशबाजी का धुआं हवा को बहुत ज्यादा दमघोंटू बना सकता है। इस बार का मानसून सीजन वायु गुणवत्ता के लिहाज से काफी साफ-सुथरा रहा। जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीने और अक्तूबर के पहले पखवाड़े में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही। लेकिन, बीते छह दिनों से दिल्ली के लोग खराब हवा में सांस ले रहे हैं। प्रदूषण पर बने अर्ली वार्निंग सिस्टम के अनुसार अगले तीन दिनों के दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के अंक के पार यानी बेहद खराब श्रेणी में पहुंचने का अनुमान है। ऐसे में अगर दीपावली पर बहुत ज्यादा आतिशबाजी और पटाखे जलाए जाते हैं तो दिल्ली की हवा बेहद दमघोंटू हो सकती है।

मौसम के चलते ज्यादा टिकेगा प्रदूषण 
अनुमान है कि दीपावली के आसपास हवा की गति दस किलोमीटर प्रति घंटे से नीचे रहेगी। जबकि, न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। ऐसे में प्रदूषक कण हवा में ज्यादा देर तक बने रह सकते हैं।

2017 में पहली बार लगाई गई थी रोक
दीपावली के समय होने वाली आतिशबाजी और पटाखों के धुएं से हर साल ही लोगों का सांस लेना दूभर हो जाता है। इसे देखते हुए वर्ष 2017 से पटाखों पर पाबंदी की कोशिश की जा रही है। लेकिन, इसे अभी तक कामयाबी नहीं मिल सकी है। 2017 में पहली बार पटाखों की बिक्री पर पाबंदी लगाई गई थी। वर्ष 2018 में केवल ग्रीन पटाखों को शाम आठ से दस बजे के बीच चलाने की अनुमति दी गई थी। इसी तरह, 2019 में भी केवल ग्रीन पटाखों को दीवाली की शाम आठ से दस बजे के बीच चलाने की अनुमति दी गई। जबकि, वर्ष 2020 और 2021 में पटाखों की खरीद-बेच पर पूरी तरह से रोक की घोषणा की गई।

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