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मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव में होगी नीतीश-तेजस्वी सरकार की पहली परीक्षा, बीजेपी के लिए खुला मैदान

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मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव में होगी नीतीश-तेजस्वी सरकार की पहली परीक्षा, बीजेपी के लिए खुला मैदान

बिहार की मोकामा और गोपालगंज विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा हो गई है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार की यह पहली परीक्षा होगी। बीजेपी का साथ छोड़कर जेडीयू के तेजस्वी यादव की आरजेडी समेत अन्य दलों के समर्थन में सरकार बनाने के बाद ये पहला चुनाव होने जा रहा है। बिहार उपचुनाव 2022 में बीजेपी के लिए खुला मैदान है। इन दोनों सीटों पर एक तरफ जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस, हम और वाम दल मिलकर लड़ेंगे, तो वहीं बीजेपी अकेले पूरे महागठबंधन को टक्कर देगी।

पटना जिले में आने वाली मोकामा विधानसभा सीट राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का गढ़ मानी जाती है। बाहुबली नेता अनंत सिंह के एके47 मामले में जेल जाने के बाद यह सीट खाली हो गई थी और उपचुनाव की नौबत आई। मोकामा में अनंत सिंह का प्रभाव माना जाता है। भले ही वे अभी जेल में हैं लेकिन अब भी क्षेत्र में उनका दबदबा कायम है। इस सीट पर महागठबंधन की ओर से आरजेडी का ही उम्मीदवार उतारा जा सकता है, जिसे जेडीयू, कांग्रेस समेत अन्य सत्ताधारी दलों का समर्थन होगा। वहीं, आरजेडी के गढ़ में बीजेपी के लिए ये सीट जीतना सबसे बड़ी चुनौती होगी।

दूसरी ओर, गोपालगंज सदर विधानसभा सीट की बात करें तो यह बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री सुभाष सिंह के निधन के बाद खाली हुई। इस सीट पर अगले महीने उपचुनाव होने जा रहे हैं। गोपालगंज शहर को बीजेपी का गढ़ माना जाता है और पार्टी को सहानुभूति लहर का फायदा भी मिल सकता है। ऐसे में महागठबंधन के लिए यहां जीत दर्ज करना बड़ी चुनौती होगी। इस सीट पर बीते चार चुनावों में बीजेपी को जीत मिली थी। गोपालगंज में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा-मुकाबला होता है, इसलिए महागठबंधन की ओर से कांग्रेस की ओर से यहां उम्मीदवार उतारा जा सकता है।

रोचक होगा बिहार का उपचुनाव

बिहार की इन दोनों विधानसभा सीटों पर मुकाबला रोचक होने वाला है। सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद पहली बार चुनावी माहौल बन रहा है। एक तरफ नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव उपचुनाव को जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाकर सरकार को मजबूती देंगे। वहीं आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अपने दम पर बिहार जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही बीजेपी के लिए भी यह उपचुनाव अहम माना जा रहा है। बीजेपी की ओर से केंद्रीय स्तर के नेता उपचुनाव में प्रचार के लिए आ सकते हैं। वहीं, दोनों सीटों पर नीतीश-तेजस्वी समेत महागठबंधन नेताओं की संयुक्त रैलियां हो सकती है।

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