
जमुई, बिहार:
जहां आज के दौर में रिश्ते अक्सर मुश्किलों में टूट जाते हैं, वहीं बिहार के जमुई जिले से आई नीरज और सुमित्रा की प्रेम कहानी ने सच्चे प्यार की एक मिसाल पेश की है। यह कहानी सिर्फ एक प्रेमी जोड़े की नहीं, बल्कि समर्पण, हिम्मत और भरोसे की एक इमोशनल जर्नी है।
इंस्टाग्राम पर शुरू हुआ प्यार
नीरज कुमार (गांव ढीबा) और सुमित्रा कुमारी (गांव धोबटिया) की पहली मुलाकात इंस्टाग्राम पर हुई। चैटिंग से बातचीत और फिर दोस्ती धीरे-धीरे सच्चे प्रेम में बदल गई। परिजनों को जब इस रिश्ते की भनक लगी, तो सुमित्रा को गुजरात के वापी भेज दिया गया।
प्रेम में सीमाएं नहीं होतीं
सुमित्रा के जाने के बाद नीरज भी वापी पहुंच गया, वहां एक कंपनी में नौकरी शुरू की और किराए पर कमरा लेकर सुमित्रा को अपने साथ रहने के लिए मना लिया। दोनों लगभग 6 महीने तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहे।
हादसे में नीरज का हाथ कटा
काम के दौरान एक दिन नीरज का दाहिना हाथ मशीन में आकर कट गया। ऐसे वक्त में जब कोई साथ नहीं था, सुमित्रा ही वह ताकत बनी, जिसने उसका इलाज कराया, सहारा दिया और हर छोटी-बड़ी ज़िम्मेदारी उठाई।
मंदिर में सात फेरे, फिर कोर्ट मैरेज
नीरज के घर लौटने की बात पर सुमित्रा ने भी साथ आने की जिद की। बहन के विरोध के बावजूद दोनों ने जमुई में मंदिर में शादी की और फिर कानूनी रूप से भी विवाह रजिस्टर करवाया। आज वे समाज और परिवार के सामने एक मिसाल के रूप में खड़े हैं।
सुमित्रा का बयान:
“जब हादसा हुआ, तो लगा अब इन्हें अकेला नहीं छोड़ सकती। मैं चाहती हूं कि ज़िंदगी भर इनका साथ निभाऊं।”
नीरज का बयान:
“हाथ चला गया पर सुमित्रा का साथ मिल गया। इससे बड़ा कोई सहारा नहीं।”
निष्कर्ष:
नीरज और सुमित्रा की कहानी यह साबित करती है कि सच्चा प्यार शरीर नहीं, आत्मा से होता है। रिश्तों की मजबूती दिखाने वाली यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो मुश्किलों में भी साथ निभाने की ताकत रखते हैं।