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नीतीश कुमार का बड़ा एक्शन: जदयू से 11 बागी नेताओं की छुट्टी, देखें पूरी लिस्ट

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बिहार की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा कदम उठाते हुए जनता दल (यूनाइटेड) के 11 बागी नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
इन नेताओं पर पार्टी अनुशासन तोड़ने, निर्दलीय चुनाव लड़ने और जदयू के आधिकारिक प्रत्याशियों के खिलाफ काम करने का आरोप है।

यह कार्रवाई विधानसभा चुनाव 2025 से पहले की गई है, जिससे साफ है कि पार्टी अब किसी भी प्रकार की बगावत बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।


बागी नेताओं पर नीतीश कुमार का बड़ा एक्शन क्यों?

बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और टिकट बंटवारे के बाद जदयू के कई नेताओं ने नाराजगी जताई थी।
कुछ ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान किया, तो कुछ विपक्षी दलों से संपर्क में बताए गए।
इस पर सीएम नीतीश कुमार ने साफ संदेश दिया —

“अनुशासनहीनता किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

इसी आदेश के बाद पार्टी ने 11 नेताओं को निष्कासित करने का फैसला लिया।


किन नेताओं पर गिरी गाज – पूरी लिस्ट देखें

पार्टी ने जिन नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया है, उनमें एक मौजूदा विधायक, एक पूर्व मंत्री, दो पूर्व विधायक और एक पूर्व विधान पार्षद शामिल हैं।
यह रही पूरी सूची:

नाम विधानसभा क्षेत्र पद / स्थिति
शैलेश कुमार जमालपुर (मुंगेर) पूर्व मंत्री
संजय प्रसाद चकाई (जमुई) 2020 उम्मीदवार
श्याम बहादुर सिंह बड़हरिया (सिवान) पूर्व विधायक
रणविजय सिंह बरहरा (भोजपुर) पूर्व विधायक
सुदर्शन कुमार बरबीघा (शेखपुरा) मौजूदा विधायक
अमर कुमार सिंह साहेबपुर कमाल (बेगूसराय) नेता
आसमा परवीन महुआ (वैशाली) महिला नेता
लव कुमार नवीनगर (औरंगाबाद) नेता
आशा सुमन कदवा (कटिहार) महिला नेता
दिव्यांशु भारद्वाज मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) युवा नेता
विवेक शुक्ला जीरा देई (सिवान) स्थानीय कार्यकर्ता

इनमें से कुछ नेताओं ने पहले ही निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया है।


पार्टी के भीतर अनुशासन की पुनर्स्थापना

जदयू के प्रदेश महासचिव और मुख्यालय प्रभारी चंदन कुमार सिंह ने इन सभी 11 नेताओं के निष्कासन की आधिकारिक घोषणा की।
उन्होंने कहा कि यह निर्णय नीतीश कुमार के निर्देश पर लिया गया और इसका मकसद पार्टी अनुशासन को सख्ती से लागू करना है।

पार्टी की ओर से कहा गया —

“जदयू में अनुशासन सर्वोच्च है। जो पार्टी लाइन से हटेगा, उसे बाहर किया जाएगा।”


बिहार चुनाव 2025 पर क्या असर पड़ेगा?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इन 11 बागी नेताओं में से कई अपने क्षेत्रों में प्रभावशाली हैं।
ऐसे में उनके निर्दलीय या विपक्षी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने से जदयू को नुकसान हो सकता है।
खासकर मुंगेर, सिवान, शेखपुरा और कटिहार जैसे जिलों में मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

हालांकि, नीतीश कुमार की संगठनात्मक पकड़ और एनडीए गठबंधन की रणनीति को देखते हुए पार्टी ने कहा है कि वे हर स्थिति के लिए तैयार हैं।


नीतीश कुमार की रणनीति क्या है?

नीतीश कुमार की छवि एक सख्त प्रशासक और अनुशासनप्रिय नेता की रही है।
यह कदम उसी छवि को मजबूत करता है।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, नीतीश नहीं चाहते कि चुनाव से पहले किसी तरह की “अंदरूनी बगावत” हो।
इसलिए उन्होंने पहले ही चरण में कार्रवाई करते हुए साफ कर दिया कि जदयू में बागी प्रवृत्ति की कोई जगह नहीं है।


राजनीतिक विश्लेषण: यह फैसला कितना सही?

कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला पार्टी के संगठनिक एकजुटता के लिए सही है, लेकिन चुनावी स्तर पर जोखिम भरा भी साबित हो सकता है।
क्योंकि कई बागी उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्रों में लोकप्रिय हैं।
अगर वे निर्दलीय चुनाव जीत जाते हैं, तो यह जदयू के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

फिर भी, विशेषज्ञ मानते हैं कि नीतीश कुमार ने यह कदम दीर्घकालिक अनुशासन और पार्टी साख के लिए उठाया है।


जनता की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया की चर्चा

सोशल मीडिया पर इस फैसले को लेकर बहस तेज है।
कुछ लोगों ने कहा कि नीतीश ने सही समय पर सख्ती दिखाई, जबकि कुछ ने इसे “चुनावी आत्मघाती कदम” बताया।
कई यूज़र्स ने लिखा —

“यह कदम दिखाता है कि नीतीश कुमार पार्टी से ऊपर किसी को नहीं मानते।”


बागी नेताओं की प्रतिक्रिया

निष्कासित नेताओं ने इसे “अन्यायपूर्ण” बताया और कहा कि उन्हें टिकट न मिलने की वजह से बाहर किया गया।
बरबीघा के विधायक सुदर्शन कुमार ने कहा,

“मैंने जनता की सेवा की है, अब जनता ही मेरा फैसला करेगी।”

दूसरी ओर, पूर्व मंत्री शैलेश कुमार ने कहा कि वे निर्दलीय चुनाव लड़कर पार्टी को अपनी ताकत दिखाएंगे।


निष्कर्ष: नीतीश का बड़ा एक्शन – सख्ती या रणनीति?

जदयू के 11 नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाकर नीतीश कुमार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी अनुशासन से कोई समझौता नहीं होगा
यह कदम भले ही चुनावी समीकरणों को प्रभावित करे, लेकिन इससे जदयू के भीतर संगठनात्मक अनुशासन मजबूत हुआ है।
अब देखना यह होगा कि बिहार चुनाव 2025 में यह निर्णय जदयू के लिए फायदे का सौदा साबित होता है या चुनावी चुनौती


FAQs: नीतीश कुमार के बड़े एक्शन पर आम सवाल

1. यह कार्रवाई कब और क्यों हुई?

विधानसभा चुनाव से पहले बागी रुख अपनाने वाले नेताओं पर पार्टी अनुशासन लागू करने के लिए।

2. कितने नेताओं को निष्कासित किया गया?

कुल 11 नेताओं को, जिनमें एक मौजूदा विधायक और एक पूर्व मंत्री शामिल हैं।

3. क्या इन नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है?

हाँ, ज्यादातर नेताओं ने निर्दलीय या अन्य दलों से टिकट लेकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

4. क्या इससे जदयू को नुकसान होगा?

कुछ सीटों पर असर संभव है, लेकिन पार्टी नेतृत्व आत्मविश्वास में है।

5. क्या और नेताओं पर कार्रवाई की संभावना है?

पार्टी सूत्रों के अनुसार, अनुशासनहीनता पर आगे भी सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।


🔗 संदर्भ लिंक:
NDTV इंडिया – बिहार चुनाव अपडेट्स


निष्कर्षतः,
नीतीश कुमार का बड़ा एक्शन बिहार की राजनीति में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।
यह कदम जदयू की आंतरिक साख को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया है —
अब देखना है कि जनता इस सख्ती को “अनुशासन” के रूप में देखती है या “असंतोष” के रूप में।

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