Home खास खबर चुनाव के दौरान पैसे बांटकर फंस गए पप्पू यादव, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने भेजा नोटिस – जानें पूरा मामला

चुनाव के दौरान पैसे बांटकर फंस गए पप्पू यादव, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने भेजा नोटिस – जानें पूरा मामला

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पटना (बिहार):
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के प्रचार के बीच पूर्णिया से निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव एक बार फिर सुर्खियों में हैं।
आयकर विभाग (Income Tax Department) ने उन्हें एक नोटिस भेजा है, जिसमें उनसे यह पूछा गया है कि उन्होंने बाढ़ पीड़ितों को जो 3,000 से 4,000 रुपये नकद दिए, उसका सोर्स ऑफ इनकम (आय का स्रोत) क्या था।

दरअसल, यह मामला चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद का है, जब पप्पू यादव ने वैशाली जिले के मनियारी गांव में बाढ़ पीड़ितों के बीच नकद राशि बांटी थी।


क्या है पूरा मामला?

8 अक्टूबर 2025 को वैशाली जिले के नयागांव पूर्वी पंचायत के मनियारी गांव में बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री देने के दौरान पप्पू यादव ने 3,000 से 4,000 रुपये प्रति परिवार नकद दिए।
इस दौरान वहां मौजूद कई लोगों ने उनका वीडियो बना लिया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

वीडियो वायरल होने के बाद चुनाव आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया और मामले की जांच के आदेश दिए।
इसके बाद सहदेई बुजुर्ग की सीओ अनुराधा सिंह के आवेदन पर महनार एसडीओ नीरज कुमार सिन्हा ने पप्पू यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई।

अब इसी मामले में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पप्पू यादव को नोटिस भेजा है।


क्या लिखा है आयकर विभाग के नोटिस में?

आयकर विभाग की ओर से भेजे गए नोटिस में लिखा गया है:

“संज्ञान में आया है कि दिनांक 08.10.2025 को आपने वैशाली जिले के मनियारी गांव में बाढ़ प्रभावित निवासियों को प्रति व्यक्ति 3,000 से 4,000 रुपये की नकद राशि वितरित की है।
इस संबंध में आपको उक्त नकद वितरण हेतु उपयोग की गई धनराशि के स्रोत को दर्शाने वाले दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है।”

विभाग ने पप्पू यादव से कहा है कि वे लिखित स्पष्टीकरण दें और यह स्पष्ट करें कि पैसे कहां से आए थे और किस मद में वितरित किए गए।


पप्पू यादव की प्रतिक्रिया – “अगर गरीब की मदद अपराध है, तो मैं अपराधी हूं”

पप्पू यादव ने सोशल मीडिया (X / पूर्व में ट्विटर) पर नोटिस साझा करते हुए केंद्र सरकार और आयकर विभाग पर तीखा हमला बोला।
उन्होंने लिखा:

“अगर बाढ़ पीड़ितों की मदद करना अपराध है तो मैं यह अपराध बार-बार करूंगा।
जिनके घर गंगा में बह गए, अगर मैं उनकी मदद नहीं करता तो क्या मौन दर्शक बना रहता?”

उन्होंने यह भी कहा कि गरीबों की मदद करने के लिए उन्हें नोटिस भेजना अन्यायपूर्ण है और सरकार को अपने “संवेदनहीन रवैये” पर शर्म आनी चाहिए।


आचार संहिता उल्लंघन का आरोप

बिहार में उस समय आचार संहिता लागू थी।
ऐसे में किसी भी उम्मीदवार या सांसद द्वारा नकद वितरण करना स्पष्ट रूप से चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।
पप्पू यादव ने उस समय पत्रकारों से कहा था कि

“मुझे फर्क नहीं पड़ता कि आचार संहिता है या नहीं।
मैं गरीबों की मदद करता रहूंगा, जिसको जो करना है करे।”

उनका यह बयान भी चुनाव आयोग की नज़र में आया था, जिसके बाद प्रशासनिक कार्रवाई शुरू की गई।


चुनाव आयोग और प्रशासन की भूमिका

चुनाव आयोग ने इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिया कि वे इस मामले की विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश करें।
महनार एसडीओ ने प्राथमिकी दर्ज कराई और जांच की जिम्मेदारी वैशाली जिला प्रशासन को सौंपी गई।

अब, आयकर विभाग की एंट्री ने मामले को और पेचीदा बना दिया है, क्योंकि इसमें वित्तीय स्रोत की पारदर्शिता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।


राजनीतिक माहौल में बढ़ी हलचल

यह मामला सामने आने के बाद बिहार की सियासत में हलचल बढ़ गई है।
विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि पप्पू यादव “जनता की भावनाओं का उपयोग कर रहे हैं” जबकि उनके समर्थक कह रहे हैं कि वे “सच्चे जनसेवक” हैं।

सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है —
कुछ लोगों ने कहा कि यह “गरीब की मदद का सज़ा” है, जबकि कुछ ने कहा कि “चुनाव में कैश बांटना वोट खरीदने की कोशिश” है।


कानूनी रूप से मामला कितना गंभीर है?

चुनाव आचार संहिता के तहत नकद वितरण धारा 171B और 171E (भारतीय दंड संहिता) के अंतर्गत “Bribery and Electoral Offence” माना जाता है।
यदि यह सिद्ध होता है कि पैसे चुनाव प्रभावित करने के लिए दिए गए थे, तो यह अवैध कार्यवाही होगी।

साथ ही, आयकर विभाग के नियमों के तहत 2 लाख रुपये से अधिक नकद वितरण पर वित्तीय स्रोत बताना अनिवार्य है।
इसलिए पप्पू यादव को अपने फंडिंग स्रोत के दस्तावेज़ पेश करने होंगे।


पप्पू यादव का पक्ष और राजनीतिक संदेश

पप्पू यादव ने कहा कि वे “वोट के लिए नहीं, सेवा के लिए” पैसे देते हैं।
उन्होंने कहा —

“मेरे पास जो भी है, वो जनता का है। मैं बाढ़ पीड़ितों के बीच गया क्योंकि उनका सब कुछ गंगा में बह गया।
ऐसे में मदद करना मेरा कर्तव्य था।”

उनकी इस प्रतिक्रिया ने सोशल मीडिया पर “ह्यूमैनिटेरियन बनाम पॉलिटिकल” बहस छेड़ दी है।


प्रशासन क्या करेगा आगे?

वैशाली जिला प्रशासन और आयकर विभाग दोनों ने कहा है कि वे साक्ष्य जुटाने और आय के स्रोत की जांच कर रहे हैं।
अगले हफ्ते पप्पू यादव को विभागीय दफ्तर में पेश होकर जवाब देना होगा
अगर उनका जवाब संतोषजनक नहीं होता, तो मामला आगे प्रवर्तन निदेशालय (ED) को भेजा जा सकता है।


FAQs: पप्पू यादव केस से जुड़े सामान्य प्रश्न

1. पप्पू यादव पर क्या आरोप लगा है?

चुनाव प्रचार के दौरान बाढ़ पीड़ितों को नकद राशि बांटने का आरोप।

2. नोटिस किस विभाग ने भेजा है?

आयकर विभाग (Income Tax Department)।

3. नोटिस में क्या पूछा गया है?

नकद वितरण के लिए इस्तेमाल की गई धनराशि का स्रोत बताने को कहा गया है।

4. क्या FIR दर्ज हुई है?

हाँ, सहदेई प्रखंड की सीओ के आवेदन पर महनार एसडीओ ने प्राथमिकी दर्ज कराई है।

5. क्या यह आचार संहिता का उल्लंघन है?

हाँ, चुनावी दौरान नकद वितरण आचार संहिता का उल्लंघन है।

6. पप्पू यादव का क्या कहना है?

“गरीबों की मदद अपराध है तो मैं अपराधी हूं।”

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