
लॉकडाउन की बंदिश के दायरे में आने वाले 90% सेक्टर भले ही खुल गए हों लेकिन जो पटना छोड़ गए, वे अभी लौटे नहीं। मार्च से 5 सितंबर के बीच शहर छोड़ने और नहीं लौटने वालों की संख्या करीब 8 लाख है। इनमें अधिकांश वह हैं जिनकी लॉकडाउन में या तो नौकरी चली गई या उनके संस्थान, खासकर कोचिंग-स्कूल आदि अभी तक खुले ही नहीं।
परिवहन क्षेत्र और जिला प्रशासन के जानकारों की मानें तो पटना नगर निगम क्षेत्र की आबादी 22 लाख है। लॉकडाउन से पहले करीब 4 लाख लोग रोज कमाई, दवाई, पढाई-लिखाई, कोर्ट-कचहरी, घूमने-फिरने शहर आते थे। इनमें करीब दो लाख वापस हो जाते थे और दो लाख एक-दो दिन बाद लौटते थे।
फिलहाल आने-जाने वाली 4 लाख की आबादी में से भी अब एक लाख ही रह गई है। राजधानी से हुए इस रिवर्स माइग्रेशन का असर चौतरफा पड़ा है। सबसे बड़ा झटका शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कारोबार पर पड़ा है क्योंकि शहर छोड़ने वालों में सबसे बड़ी संख्या छात्रों की ही है।