पटना: पटना हाईकोर्ट ने बिहार की शराबबंदी कानून (बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम 2016 व नियम 2021) को लेकर बड़ा बयान दिया है। कोर्ट ने इसे ‘ड्रैकोनियन लॉ’ (कठोर और दमनकारी कानून) करार देते हुए कहा कि यह प्रावधान अधिकारियों को मनमाने अधिकार देता है।
शराब मिलने पर घर सील करना मनमाना कदम
एक्टिंग चीफ जस्टिस पीबी बाजनथ्री और जस्टिस एसबी पीडी सिंह की खंडपीठ महेंद्र प्रसाद सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिकाकर्ता का घर सिर्फ इसलिए सील कर दिया गया क्योंकि उसके परिसर से शराब बरामद हुई थी।
कोर्ट ने कहा कि —
“सिर्फ परिसर से शराब मिलने पर मकान मालिक का घर सील करना या नीलाम करना पूरी तरह मनमाना कदम है।”
कोर्ट की प्रमुख आपत्तियां
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अपर्याप्त दिशा-निर्देश: धारा 57(B) और नियम 12B, 13B, 14 को अपर्याप्त बताया गया।
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किराएदार का मामला: कोर्ट ने पूछा — क्या किराए के घर से शराब मिलने पर मकान मालिक जिम्मेदार होगा?
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संयुक्त परिवार: यदि परिवार का एक सदस्य शराब रखे तो क्या पूरा घर सील किया जाएगा?
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सरकारी क्वार्टर: क्या वहां शराब मिलने पर सरकार खुद अपना घर नीलाम करेगी?
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जुर्माना व्यवस्था: कोर्ट ने कहा कि चाहे 100 मिलीलीटर मिले या 1 लाख लीटर, न्यूनतम जुर्माना 1 लाख रुपये है, जो पूरी तरह असंगत और अनुच्छेद 19(6) के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता को राहत
कोर्ट ने साफ किया कि मकान मालिक को उसकी जानकारी या मंशा के बिना पकड़ी गई शराब के लिए परेशान नहीं किया जा सकता।
अदालत ने अधिकारियों को याचिकाकर्ता का घर तुरंत खोलने का आदेश दिया और रिट याचिका स्वीकार कर ली।
क्या कहा कोर्ट ने?
“शराब मिलने पर पूरे घर को सील करना और नीलाम करना प्रशासन का मनमाना कदम है। यह प्रावधान संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।”
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