
पटना की सड़कों पर 15 अगस्त की शाम एक ऐसा दर्दनाक मंजर सामने आया जिसने पूरे शहर को झकझोर दिया। समस्तीपुर से रोज़गार की तलाश में पटना आए गरीब दंपत्ति के दो मासूम बच्चों की लाशें एक बंद कार से बरामद हुईं। यह घटना न सिर्फ उस परिवार पर दुखों का पहाड़ बनकर टूटी, बल्कि पूरे समाज के सामने इंसानियत पर सवाल खड़ा कर गई।
कैसे हुआ हादसा?
15 अगस्त की दोपहर दीपक (5 साल) और लक्ष्मी (7 साल) ट्यूशन पढ़ने गए थे। जब शाम तक दोनों घर नहीं लौटे तो परिजनों की बेचैनी बढ़ी। देर शाम पटना के इंद्रपुरी रोड नंबर 12 स्थित एक बंद कार से दोनों बच्चों की लाशें बरामद हुईं।
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दीपक के शरीर पर जलने जैसे निशान थे।
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लक्ष्मी के गले पर दबाव और चोट के निशान पाए गए।
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परिजनों के अनुसार, जब बच्चों को कार से निकाला गया, तब तक लक्ष्मी की सांसें चल रही थीं, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले उसने दम तोड़ दिया।
ट्यूशन टीचर का बयान
बच्चों की शिक्षिका इंदु देवी ने बताया कि 15 अगस्त को दोनों बच्चे ढाई बजे उनके घर से निकले थे। साढ़े तीन बजे जब बच्चों की मां ने पूछताछ की, तो उन्होंने भी बच्चों को ढूंढना शुरू किया। देर शाम दोनों की लाश मिलने की खबर आई।
पुलिस जांच
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पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है।
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एफएसएल की टीम साक्ष्य जुटा रही है।
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आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं।
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बच्चों के पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है।
डीएसपी (लॉ एंड ऑर्डर) मोहिबुल्ला अंसारी ने कहा कि जल्द ही आरोपी पुलिस की गिरफ्त में होंगे।
शोक और सवाल
गरीब माता-पिता जो अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर आगे बढ़ाना चाहते थे, अब उनकी लाशें गांव लेकर लौटे। इस दर्दनाक घटना से गांव और शहर दोनों जगह मातम पसरा हुआ है।
यह घटना सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के लिए बड़ा सवाल है —
आखिर कौन इतनी हैवानियत पर उतारू हो सकता है कि मासूम बच्चों को इस तरह बेरहमी से मार डाले?
फिलहाल, पटना और पूरे बिहार में इस घटना को लेकर गुस्सा और सदमा है।