
फणीश्वरनाथ रेणु, उनके जुलुम क़िस्से, उनमें जुलुम पात्र और उनकी जुलुम बातें – बोलती, हंसती, रोती, रूठती, मनाती बातें, गाती-गुनगुनाती जीवंत दुनियाँ
जहाँ बैल भी ‘कान चुनियाकर’ बातें सुनते हैं और जहाँ बावनदास भी ‘महतमा’ जी से विराट सत्याग्रही हो जाते हैं!
फणीश्वरनाथ रेणु, उनके जुलुम क़िस्से, उनमें जुलुम पात्र और उनकी जुलुम बातें – बोलती, हंसती, रोती, रूठती, मनाती बातें, गाती-गुनगुनाती जीवंत दुनियाँ – जहाँ बैल भी ‘कान चुनियाकर’ बातें सुनते हैं और जहाँ बावनदास भी ‘महतमा’ जी से विराट सत्याग्रही हो जाते हैं! pic.twitter.com/KzYSOvJVBQ
— Pushpam Priya Choudhary (@pushpampc13) March 4, 2021
प्रेमचंद और रेणु हिन्दी उपन्यास और कहानी के संसार के विष्णु और शिव हैं – शास्त्रीय और लोक – दोनों विराट, दोनों व्यापक! इनको भारत रत्न मिलता तो भारत और रत्न दोनों सम्मानित हो जाते, हिन्दी तो इनसे सम्मानित है ही!
— Pushpam Priya Choudhary (@pushpampc13) March 4, 2021