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“कोरोना महामारी की लड़ाई अगर प्रधामंत्री कार्यालय तक सीमित रहा तो हार जाएंगे हम”: राहुल गांधी

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राहुल गाँधी ने कहा, “राज्य सरकार और केंद्र सरकार को साथ आकर करना होगा देश में उबरे इस संकट से मुक़ाबला”

कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के द्वारा मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा की केंद्र सरकार 17 मई तक के लॉक डाउन के बाद देश की लिए क़दमों के जानकारी में पारदर्शिता लाये। उन्होंने अपने बयान में आगे जोड़ते हुए कहा की, देश को एक मजबूत प्रधानमंत्री के साथ साथ देश के हर राज्यों के लिए मजबूत मुख्यमंत्री भी चाहिए और अगर ये कोरोना वायरस से निपटने वाले हर कदम प्रधानमंत्री के ऑफिस से ही लिया जाएगा तो देश कोरोना महामारी की लड़ाई हार जाएगा।

वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के द्वारा राहुल गाँधी ने कहा, “अगर हम कोरोना बिमारी की लड़ाई को प्रधानमंत्री के ऑफिस तक ही सीमित रकते है तो हम जल्द ही हार जाएंगे, प्रधानमंत्री को अपनी पावर बांटनी चाहिए।”

प्रधानमंत्री के तरफ इशारा करते हुए विपक्षी नेता राहुल गाँधी ने कहा, “देश के प्रधानमंत्री के काम करने का अपना एक अंदाज़ है लेकिन शायद वह किसी और परिस्तिथि में काम आ सकता है, फिलहाल नहीं। ये अंदाज़ उनके खुद के लिए कारगर साबित हो सकता है लेकिन जब पूरा देश एक अभूतपूर्व संकट के दौर से गुज़र रहा हो, तब हमे बस एक मजबूत प्रधानमंत्री की नहीं बल्कि उनके साथ साथ हर राज्य में एक मजबूत मुख्यमंत्री और कई मजबूत जिला मजिस्ट्रेट की भी आवश्यकता है। इस समय इस देश को अपने पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर और राज्य स्तर पर एक मजबूत देशभक्त नेता की भी जरूरत है। हमे इस बिमारी को तुरंत स्थानीय स्तर पर ही मुक़ाबला करना चाहिए ना की इसे राष्ट्रीय स्तर तक ले जाना चाहिए।”

उदहारण देते हुए राहुल गाँधी ने कहा, “देश के हर इलाके को रेड, ऑरेंज, एवं ग्रीन जोन में राष्ट्रीय स्तर पर बांटा गया है जबकि इसे राज्य स्तर पर बांटना चाहिए था क्यूंकि हर राज्य की पुख्ता जानकारी उस राज्य के मुख्यमंत्री के पास होती है इसीलिए वो अच्छे तरीके से अपने राज्य के इलाको को बाँट सकते है।”

प्रधानमंत्री को सुझाव देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने कहा की प्रधानमंत्री को हर राज्य के मुख्यमंत्रियों से लगभग हर 1 से 2 दिन पार बातें करते रहना चाहिए और बात एक साथी के तरह करना चाहिए ना की एक बॉस की तरह।

राहुल गाँधी देश के तात्कालिक हालत को मद्देनज़र रखते हुए कहा, “हम उनलोगो को जो इस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए है, उनको बस मदद के साथ आगे नहीं बढ़ सकते। एक महामारी से हुआ लॉक डाउन एक मनोवैज्ञानिक बदलाव भी लाता है और फिलहाल अभी देश के लोग बहुत डरे हुए है इसीलिए हमे उनके मनोवैज्ञानिक बदलाव को समझना होगा और उनकी मदद करनी होगी। सरकार को डर के माहौल को उनके आत्मविश्वास में बदलना होगा।”

आर्थिक मुद्दे पर जोड़ देते हुए उन्होंने कहा की सरकार को हर गरीब को उनके हाथ में लगभग 7500 रुपये देने चाहिए नहीं तो अचानक इस देश में बेरोज़गारी की भारी बाढ़ आ जाएगी जिससे निपटना काफी मुश्किल होगा।

देश के प्रवासी मजदूर जो इस वक्त काम एवं पैसों और खाने के आभाव में अपने राज्य जा रहे है, उनके सवाल पर राहुल गांधी ने कहा, “ये वक़्त सरकार की निंदा करने नहीं है, ये वक़्त साथ में खड़े होकर एवं मिलकर इस लड़ाई को लड़ने का है ताकि देश वापस एकजुट होकर अपनी पटरी पर आ सके।

कांग्रेस के प्रमुख नेता राहुल गाँधी ने कहा की ये वक़्त राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को मिलकर काम करने का है और हर लोगो को ध्यान में रखकर और उनका साथ लेकर इस लड़ाई से अच्छे से लड़ा एवं इसे हराया जा सकता है।

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