Home खास खबर नहीं रहे ‘बिहार की शान’ 20 इंच के रामअवतार यादव, मंदिर में पूजा करने गए थे, चली गई जान – RAM AVTAR YADAV

नहीं रहे ‘बिहार की शान’ 20 इंच के रामअवतार यादव, मंदिर में पूजा करने गए थे, चली गई जान – RAM AVTAR YADAV

3 second read
Comments Off on नहीं रहे ‘बिहार की शान’ 20 इंच के रामअवतार यादव, मंदिर में पूजा करने गए थे, चली गई जान – RAM AVTAR YADAV
0
21

नहीं रहे ‘बिहार की शान’ 20 इंच के रामअवतार यादव, मंदिर में पूजा करने गए थे, चली गई जान – RAM AVTAR YADAV

गया सड़क हादस में 20 इंच के रामअवतार यादव की मौत. मंदिर से पूजा कर निबंधन कार्यालय जा रहे थे तभी हादसा हो गया.

गया: बिहार के गया में सड़क हादसे में 20 इंच के रामअवतार यादव की मौत हो गई है. शुक्रवार की सुबह कोतवाली थाना क्षेत्र के किरानी घाट के पास की घटना है. जहां अज्ञात वाहन ने दिव्यांग रामअवतार की ट्राई साइकिल में पीछे से टक्कर मार दी. राम अवतार मंदिर का दर्शन कर के निबंधन कार्यालय जा रहे थे तभी यह दुर्घटना हुई है.

रामअवतार यादव की मौत: घटना में घायल रामावतार यादव को जेपीएन अस्पताल में इलाज के लाया गया था लेकिन चिकित्सा में देरी की वजह से उनकी मौत हो गई. बताया जा रहा है कि रामावतार यादव दुख हरनी मंदिर में माथा टेकने के बाद वह लौट रहे थे. तभी किरानी घाट चौराहे के पास किसी अज्ञात वाहन ने जोरदार टक्कर मार दी. जिससे वह अपनी ट्राई साइकिल से गिर गए और गंभीर रूप से घायल हो गए.

इलाज में लापरवाही: स्थानीय लोगों ने उन्हें जेपीएन अस्पताल लेकर पहुंचे वहां मौजूद लोगों ने बताया कि अस्पताल में इलाज होने में देरी हुई जिसके कारण अस्पताल में ही उनकी मौत हो गई. सत्येंद्र प्रसाद ने बताया कि अगर समय से इलाज शुरू कर दिया जाता तो शायद रामअवतार यादव की जान बच सकती थी.

सबसे छोटे कद के थे रामअवतार: रामअवतार फतेहपुर प्रखंड के बगाही गांव के रहने वाले थे. 45 वर्षीय रामावतार यादव गया रजिस्ट्री ऑफिस में कातिबो ‘ डीड राइटर ‘ के साथ रहकर मुंशी के रूप में कार्य करते थे. रामावतार यादव जिला के सबसे छोटे कद के व्यक्ति थे. उनकी हाइट 20 इंच थी. कड़ी मेहनत और अपने कार्यों से जिला में उन्होंने एक अलग पहचान बनाई थी.

बनना चाहते थे इंजीनियर: 31 मार्च 2025 को ईटीवी भारत ने ’20 इंच के रामअवतार से मिलिए’ के शीर्षक से विशेष रिपोर्ट प्रकाशित किया था. रामावतार यादव ने ईटीवी भारत से बात करते हुए अपने संघर्षों, कठिनाई और समाज के ताने-बाने पर बात की थी. उन्होंने बताया था कि वो इंजीनियर बनना चाहते थे लेकिन कॉलेज में रैगिंग के कारण पढ़ाई नहीं कर सके, कॉलेज तो गए लेकिन रैगिंग के कारण इंजीनियर बनने का सपना अधूरा रह गया.

छोटा कद को नहीं मानते थे कमजोरी: रामअवतार यादव अपने छोटे कद को लेकर चिंतित नहीं होते थे. वह कहते थे कि बौने व्यक्ति के प्रति समाज के कुछ लोगों की सोच आज भी वही वर्षों पुरानी है लेकिन हम अपनी मेहनत से आगे बढ़ते हैं पर दुख दूसरों को होता है. छात्र जीवन में ही कुछ शरारती तत्वों के कारण माता-पिता को मेरे लिए चिंता बड़ी थी. मेरी सुरक्षा और भविष्य की चिंताएं उन्हें थी.

25 वर्षों से निबंधन कार्यालय में करते थे काम: रामअवतार यादव की दुखद मृत्यु से निबंधन कार्यालय के सभी लोग दुखी हैं. रामअवतार यादव को याद कर वह भावुक भी होते हैं. डीड राइटर विजय कुमार कहते हैं कि रामावतार यादव विकलांग होने के बावजूद भी किसी कार्य को करने से पीछे नहीं हटते थे. पिछले 25 वर्षों से वह उन्हें यहां देख रहे हैं. बड़े सरल व्यक्ति थे. आज उनके जाने का हम सभी को दुख है.

“घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची थी. परिवार के लोगों को सूचित किया जा चुका है. पोस्टमार्टम के लिए शव को अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया गया था. पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा.” – धनंजय कुमार, कोतवाली थानाध्यक्ष

Load More Related Articles
Load More By Seemanchal Live
Load More In खास खबर
Comments are closed.

Check Also

बेगूसराय: इतिहास, संघर्ष और सांस्कृतिक चेतना की भूमि- नाम की उत्पत्ति – ‘बेगू की सराय’ से ‘बेगूसराय’ तक

जब कोई बिहार के दिल की बात करता है, तो बेगूसराय का नाम स्वतः ही उभर आता है। गंगा की कल-कल …