
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपनी स्थापना के 100 साल पूरे कर लिए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित आरएसएस शताब्दी समारोह में पीएम मोदी ने हिस्सा लिया। पीएम मोदी ने इस अवसर पर विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया और संघ की यात्रा को अभूतपूर्व और प्रेरणादायक बताया।
डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में हुआ आयोजन
स्मारक डाक टिकट और सिक्के का विमोचन
प्रधानमंत्री मोदी ने समारोह में स्मारक डाक टिकट और एक विशेष स्मारक सिक्का जारी किया। यह कदम संघ की सदीभर की यात्रा और योगदान को सम्मान देने के लिए उठाया गया।
आरएसएस की स्थापना और इतिहास
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का योगदान
आरएसएस की स्थापना 1925 में नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने विजयादशमी के दिन की थी। उनका उद्देश्य था कि समाज में अनुशासन, राष्ट्रभक्ति और सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा दिया जाए।
गुरुजी गोलवलकर का नेतृत्व
हेडगेवार के निधन के बाद गुरुजी माधव सदाशिव गोलवलकर ने इस संगठन को आगे बढ़ाया। उन्होंने संघ के सिद्धांतों को मजबूत किया और इसे एक व्यापक सामाजिक आंदोलन का रूप दिया।
पीएम मोदी का भाषण और मुख्य संदेश
100 साल की यात्रा को बताया प्रेरणादायक
पीएम मोदी ने कहा कि आरएसएस की 100 साल की यात्रा उतनी ही अद्भुत, अभूतपूर्व और प्रेरणादायक है।
स्वतंत्रता से पहले पहचान के संकट का उल्लेख
उन्होंने याद दिलाया कि 1925 में जब संघ की स्थापना हुई, तब भारत सदियों से गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और भारतीय समाज स्वाभिमान व आत्मविश्वास के संकट से गुजर रहा था।
‘राष्ट्र प्रथम’ दृष्टिकोण की सराहना
मोदी ने कहा कि आरएसएस हमेशा से ‘राष्ट्र प्रथम’ की विचारधारा पर चलता आया है। उन्होंने संघ की सेवाभावना और आपदा के समय राहत कार्यों में सहयोग की भी सराहना की।
सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान
अनुशासन और सेवा की भावना
संघ अपने स्वयंसेवकों में अनुशासन, सामाजिक जिम्मेदारी और सेवा की भावना को प्रोत्साहित करता है।
आपदा राहत कार्यों में भागीदारी
कई बार प्राकृतिक आपदाओं के दौरान आरएसएस के स्वयंसेवकों ने देशभर में राहत और बचाव कार्यों में सक्रिय भागीदारी की है।
मन की बात में पीएम मोदी की सराहना
शताब्दी समारोह से पहले ही पीएम मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में संघ की यात्रा को “अभूतपूर्व और प्रेरणादायक” बताते हुए इसकी सराहना की थी।
शताब्दी समारोह का महत्व
विजयादशमी और आरएसएस का ऐतिहासिक संबंध
संघ की स्थापना विजयादशमी के दिन हुई थी और इसीलिए यह अवसर संघ और उसके कार्यकर्ताओं के लिए आस्था और इतिहास दोनों का प्रतीक है।
FAQs
Q1: आरएसएस की स्थापना कब और किसने की थी?
👉 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में स्थापना की थी।
Q2: आरएसएस शताब्दी समारोह में पीएम मोदी ने क्या किया?
👉 पीएम मोदी ने स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया और संघ की 100 साल की यात्रा को प्रेरणादायक बताया।
Q3: गुरुजी गोलवलकर कौन थे?
👉 वे आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक थे, जिन्होंने संगठन को मजबूत बनाया।
Q4: पीएम मोदी ने अपने भाषण में कौन-सा मुख्य संदेश दिया?
👉 उन्होंने “राष्ट्र प्रथम” दृष्टिकोण और संघ की सेवाभावना को सराहा।
Q5: संघ की स्थापना विजयादशमी पर क्यों की गई थी?
👉 विजयादशमी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, इसलिए इसे आरएसएस की स्थापना के लिए चुना गया।
Q6: आरएसएस किस प्रकार की गतिविधियों में सक्रिय है?
👉 सांस्कृतिक जागरूकता, अनुशासन, सेवा कार्य और आपदा राहत।
निष्कर्ष
आरएसएस शताब्दी समारोह में पीएम मोदी का भाषण इस बात को रेखांकित करता है कि संघ की 100 साल की यात्रा न केवल संगठन की मजबूती का प्रतीक है, बल्कि यह राष्ट्रभक्ति, अनुशासन और सेवा भावना का भी परिचायक है।