12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण शुरू; ममता बनर्जी ने लगाया ‘गुपचुप धांधली’ का आरोप
नयी दिल्ली/कोलकाता | Seemanchal Live Desk:
निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने मंगलवार को 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू कर दिया है। यह कदम आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर कुछ राजनीतिक दलों ने गंभीर आपत्तियाँ जताई हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पुनरीक्षण को ‘गुपचुप धांधली’ बताते हुए केंद्र सरकार और आयोग दोनों पर सवाल खड़े किए हैं।
निर्वाचन आयोग का बयान
निर्वाचन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि
“एसआईआर का उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन और त्रुटि-मुक्त बनाना है। इसमें नए मतदाताओं के नाम जोड़ने और अप्रासंगिक प्रविष्टियों को हटाने की प्रक्रिया शामिल है।”
यह विशेष गहन पुनरीक्षण नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में एक साथ शुरू हुआ है। आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया से चुनावों की विश्वसनीयता और पारदर्शिता में सुधार होगा।
ममता बनर्जी का तीखा बयान
कोलकाता में आयोजित एक रैली में ममता बनर्जी ने कहा,
“वे (निर्वाचन आयोग) यह सब चुपचाप, बिना किसी सार्वजनिक सूचना के कर रहे हैं। यह लोकतंत्र में गुपचुप धांधली है। हमें इसे उजागर करना होगा।”
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि आयोग द्वारा यह कदम राजनीतिक रूप से प्रेरित हो सकता है और इससे राज्य के मतदाताओं की सही पहचान पर असर पड़ेगा।
राजनीतिक हलचल और विपक्ष की प्रतिक्रिया
ममता बनर्जी के बयान के बाद विपक्षी दलों ने भी एसआईआर प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। वहीं, सत्तारूढ़ दल का कहना है कि
“यह एक नियमित और संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसमें किसी प्रकार की धांधली की गुंजाइश नहीं।”
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह विवाद आने वाले चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल को और गर्म कर सकता है।
एसआईआर का उद्देश्य क्या है?
| पहलू | विवरण |
|---|---|
| प्रक्रिया का नाम | विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) |
| मुख्य उद्देश्य | मतदाता सूची को अद्यतन और त्रुटिरहित बनाना |
| लाभार्थी | नए मतदाता, स्थानांतरित मतदाता, मृतक के नाम हटाना |
| समयावधि | नवंबर 2025 तक |
| लागू क्षेत्र | 9 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश |
लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग
नागरिक संगठनों ने भी मांग की है कि
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आयोग सार्वजनिक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए,
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और हर संशोधन की सूचना जन डोमेन में पारदर्शी तरीके से साझा करे।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम तभी सफल होगा जब आयोग सभी राजनीतिक दलों को समान रूप से शामिल करे और नागरिकों के भरोसे को मजबूत बनाए।
FAQs — मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) से जुड़े आम प्रश्न
Q1. एसआईआर (Special Intensive Revision) क्या है?
एसआईआर निर्वाचन आयोग की एक प्रक्रिया है, जिसके तहत मतदाता सूची का गहन सत्यापन और अद्यतन किया जाता है।
Q2. यह किन राज्यों में शुरू किया गया है?
यह प्रक्रिया फिलहाल नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में एक साथ शुरू की गई है।
Q3. क्या इसमें नए मतदाता जुड़ सकते हैं?
हाँ, कोई भी पात्र नागरिक इस अवधि में अपना नाम मतदाता सूची में जोड़ सकता है।
Q4. ममता बनर्जी ने इसे धांधली क्यों कहा?
उन्होंने आरोप लगाया है कि यह प्रक्रिया गुपचुप तरीके से चल रही है और पारदर्शिता की कमी है।
Q5. क्या निर्वाचन आयोग ने इस पर प्रतिक्रिया दी है?
हाँ, आयोग का कहना है कि यह एक नियमित और संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य सूची को त्रुटिरहित बनाना है।
Q6. आम नागरिक को क्या करना चाहिए?
उन्हें अपने नाम की स्थिति निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर जाकर जांचनी चाहिए।
निष्कर्ष
मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है। लेकिन इसे लेकर उठे राजनीतिक विवाद यह दर्शाते हैं कि पारदर्शिता और भरोसे की आवश्यकता पहले से अधिक बढ़ गई है।



