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Shardiya Navratri 2019: अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग में शारदीय नवरात्र, भगवान शिव और मां गौरी की भी बरसेगी कृपा

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Shardiya Navratri 2019: अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग में शारदीय नवरात्र, भगवान शिव और मां गौरी की भी बरसेगी कृपा

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत रविवार 29 सितंबर से हो जाएगी। नवरात्र में पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना की जाएगी। इस बार किसी भी तिथि की क्षय नहीं है। दसवें दिन विजयादशमी होगी। इधर नवरात्र को लेकर शहर में तैयारियां जोरों पर हैं। सड़कों पर विशाल पूजा पंडाल खड़े होने लगे हैं। पंडालों को अधिक से अधिक आकर्षक बनाने के लिए उन्हें देश-दुनिया के चर्चित मंदिर, ऐतिहासिक स्मारकों की शक्ल दी जा रही है। मां दुर्गा की प्रतिमा निर्माण का काम तेजी से हो रहा है।

Shardiya Navratri 2019: इस नवरात्रि बन रहा है दुर्लभ संयोग, पूजा का मिलेगा कई गुना फल

ज्योतिषाचार्य प्रियेंदु प्रियदर्शी के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्र कई वर्षों के बाद शुभ संयोगों को लेकर आ रहा है। सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का संयोग बना है। इससे दुर्गा मां की आराधना बेहद ही शुभ फलदायी होगी। इस दौरान दो सोमवार पड़ने से चंद्रसूचक योग भी बन रहा है। भगवान शिव और मां गौरी की भी कृपा बरसेगी। बृहस्पति और चंद्रमा केग्रहों से प्रभावित लोगों के लिए देवी की पूजा अति फलदायी रहेगी।
सुबह 11 से 12 बजे कलश स्थापना का खास मुहूर्त : वैदिक ज्योतिषी पं.भ्धीरेंद्र कुमार तिवारी के मुताबिक रविवार को सुबह  11:36 से 12:24 के बीच अभिजीत मुहूर्त है। दोपहर 11:45 तक वृश्चिक लग्न में गुरु ग्रह की उत्तम स्थिति है। इस तरह सुबह 11 से 12 बजे के बीच कलश स्थापना के लिए उत्तम समय है। इसमें तिथि की शुभता, गुरु ग्रह की अनुकूलता और अभिजीत मुहूर्त की उत्तम स्थिति है। यह आध्यात्मिक भाव आनंद और शुभता के जागरण के लिए उत्तम स्थिति है।

Navratri 2019: इस दिन से शुरु हो रहे हैं नवरात्र, जानें किस दिन करें किस देवी का पूजन

विदा होंगी बिना किसी वाहन के  : ज्योतिषी पं. तिवारी ने देवी भागवत के हवाले से बताया कि शशि सूर्य गजरुढ़ा…यानी रविवार और सोमवार को माता का आगमन गज यानी हाथी पर माना जाता है। इस तरह मां दुर्गा इस बार धरती पर हाथी पर सवार होकर आएंगी। ऐसे में हाथी पर आगमन से भारी बारिश की संभावना भी है। विजयादशमी को मंगलवार के कारण माता बिना किसी वाहन के अपने धाम को जाएंगी। अत: माता का आगमन जहां फलदायक है, वहीं उनका जाना नष्टकारक है। भारतवर्ष की कुंडली के हिसाब से चंद्रमा में गुरु की अंतर्दशा चल रही है। नवरात्र काल में राहु का प्रत्यंतर 27 सितंबर से लग रहा है तो इस पूजा और ग्रह गोचर के संयुक्त प्रभाव से नवंबर तक में बहुत सारे धार्मिक विषयों पर संदेह की स्थिति रहेगी। लेकिन 9 दिसंबर के बाद कोई महत्वपूर्ण धार्मिक निर्णय भारत के लिए ऐतिहासिक होगा। ज्योतिषाचार्य पीके युग के अनुसार नवरात्र में हर दिन सिद्धि कुंजिका स्त्रोत पाठ करने से सभी प्रकार की विघ्न-बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। लाल अड़हुल और अपराजिता फूल को ईत्र व अबरख के साथ दुर्गा जी पर अर्पण करने से सभी कष्ट दूर होंगे और मनोवांक्षित फल की प्राप्ति होगी।

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