
पटना, 23 सितंबर – बिहार की राजनीति में एक बार फिर से लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने सुर्खियां बटोरी हैं। हमेशा अपने बयानों और अंदाज को लेकर चर्चा में रहने वाले तेज प्रताप ने साफ शब्दों में कह दिया है कि वह अब कभी भी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में वापसी नहीं करेंगे। उन्होंने यहां तक कहा कि चाहे कोई कितना भी बुलाए, वह वापस नहीं जाएंगे, क्योंकि उन्होंने गीता और भगवान श्रीकृष्ण की कसम खाई है।
‘RJD की ओर वापसी नहीं होगी’ – तेज प्रताप यादव
तेज प्रताप यादव ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा –
“जब घर वापसी हो जाएगी तो जनता के दुख-दर्द का क्या होगा? इसलिए मैं दोबारा RJD में नहीं जाऊंगा। मैं गीता और कृष्ण भगवान की कसम खाता हूं कि अब कभी भी पार्टी में वापसी नहीं करूंगा। कोई बुलाएगा तब भी नहीं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि राजनीति अपनी जगह है, लेकिन माता-पिता उनके लिए भगवान हैं। वह हमेशा उनकी तस्वीर अपने दिल में रखते हैं।
तेजस्वी को दिया आशीर्वाद, लेकिन राहें अलग
जब तेजस्वी यादव के हालिया बयान का जिक्र हुआ, जिसमें उन्होंने साफ कर दिया कि महुआ सीट से सिर्फ RJD का उम्मीदवार ही चुनाव लड़ेगा, तो तेज प्रताप ने संयमित लहजे में जवाब दिया –
“मेरी राह अलग है। मुझे सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाना है। किसी को मुझे मेरे काम गिनाने की जरूरत नहीं है। तेजस्वी मेरे छोटे भाई हैं और उन्हें मेरा आशीर्वाद हमेशा रहेगा।”
क्या है विवाद की असली वजह?
मई महीने में हुए अनुष्का यादव प्रकरण के बाद लालू प्रसाद यादव ने बेटे तेज प्रताप को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था। इसके साथ ही उन्हें घर से भी बेदखल कर दिया गया था।
इसके बाद से ही तेज प्रताप अपनी नई राजनीतिक पार्टी – जनशक्ति जनता दल (JJD) के बैनर तले सक्रिय हैं। उन्होंने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी।
किस सीट से लड़ेंगे चुनाव?
तेज प्रताप यादव अभी समस्तीपुर जिले की हसनपुर सीट से विधायक हैं। लेकिन इस बार सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि वे महुआ या हसनपुर में से किस सीट से चुनाव लड़ेंगे। महुआ से पहले भी वे विधायक रह चुके हैं और वहां हाल के दिनों में उनकी सक्रियता लगातार बढ़ी है।
बहन रोहिणी आचार्य का साथ
तेज प्रताप को इस कठिन दौर में परिवार के ज्यादातर सदस्यों ने किनारा कर लिया है। लेकिन चर्चा है कि उनकी बहन रोहिणी आचार्य उनके साथ खड़ी हैं। हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया पर संजय यादव की तस्वीर साझा की थी और परिवार के कई सदस्यों को अनफॉलो कर दिया था। राजनीतिक गलियारों में इसे संकेत माना जा रहा है कि रोहिणी अपने भाई के साथ हैं।
राजनीति में नई जंग की तैयारी
तेज प्रताप यादव की इस घोषणा ने बिहार की राजनीति में नए समीकरण बना दिए हैं। जहां एक ओर RJD और तेजस्वी यादव अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटे हैं, वहीं तेज प्रताप का अलग मोर्चा आगामी विधानसभा चुनाव में वोट बंटवारे का कारण भी बन सकता है।
राजनीतिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि तेज प्रताप भले ही संगठनात्मक रूप से कमजोर हों, लेकिन उनकी जनसंपर्क शैली, बयानों की धार और सोशल मीडिया पर पकड़ उन्हें सुर्खियों में बनाए रखती है।
✅ निष्कर्ष:
तेज प्रताप यादव ने यह साफ कर दिया है कि अब उनकी राजनीति की राहें पूरी तरह अलग हैं। श्रीकृष्ण की कसम खाकर RJD से दूरी बनाने का उनका ऐलान न सिर्फ भावनात्मक है बल्कि राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा माना जा रहा है। आने वाले विधानसभा चुनाव में उनका अगला कदम बिहार की राजनीति में बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।