Home खास खबर बिहार में बढ़ा क्राइम ग्राफ, पुलिस पर हमले, क्या चुनाव से पहले बढ़ रही नीतीश कुमार की टेंशन?

बिहार में बढ़ा क्राइम ग्राफ, पुलिस पर हमले, क्या चुनाव से पहले बढ़ रही नीतीश कुमार की टेंशन?

4 second read
Comments Off on बिहार में बढ़ा क्राइम ग्राफ, पुलिस पर हमले, क्या चुनाव से पहले बढ़ रही नीतीश कुमार की टेंशन?
0
8

बिहार में बढ़ा क्राइम ग्राफ, पुलिस पर हमले, क्या चुनाव से पहले बढ़ रही नीतीश कुमार की टेंशन?

बिहार में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष लगातार एनडीए सरकार और सीएम नीतीश कुमार पर हमलावर है। पिछले कुछ सालों में बिहार में क्राइम की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में आइये जानते हैं क्या बिहार में सीएम नीतीश कुमार का इकबाल खत्म हो गया है?

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को लेकर सियासत गरमाई हुई है। आरजेडी और कांग्रेस जहां एक ओर बढ़ते क्राइम को लेकर सीएम नीतीश पर निशाना साध रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर एनडीए सरकार के मंत्री बचाव में लालू राज के जंगलराज की याद दिला रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या बिहार की कानून व्यवस्था वास्तव में इतनी बिगड़ गई है कि विपक्ष चुनाव से ऐन पहले उसे मुद्दा बना रहा है।

तेजस्वी यादव जारी कर रहे क्राइम बुलेटिन

बिहार में पिछले 4 दिनों में 2 पुलिस अधिकारियों की मौत हो चुकी है। दोनों पुलिसकर्मी लोगों द्वारा किए हमले का शिकार हुए हैं। इनमें से एक तो होली पर झगड़ा सुलझाने के लिए गए थे। इसके बाद मुंगेर के खड़गपुर थाना क्षेत्र में एक कांस्टेबल गंभीर रूप से घायल हो गया। इसके अलावा बालू माफिया से पुलिस के टकराव की खबरें आए दिन सुर्खियां बनती है। इसके अलावा शराब की सूचना पर जब्ती करने पहुंचने वाली पुलिस भी अक्सर पिटते हुए नजर आती है।

बिहार में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर तेजस्वी लगातार सरकार पर हमलावर है। आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के मुखिया और सीएम फेस तेजस्वी यादव पिछले कुछ महीनों से लगातार क्राइम बुलेटिन जारी कर रहे हैं। भोजपुर में तनिष्क के शो रूम में हुई लूट ने तो सभी को चौंका दिया। तेजस्वी यादव इन सभी घटनाओं के लिए सीएम नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराते हैं क्योंकि गृह विभाग के मुखिया वे स्वयं हैं ऐसे में कानून -व्यवस्था की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है।

नीतीश ने सत्ता में आते ही अपराध पर लगाई लगाम

बता दें कि 2005 से पहले बिहार में इस प्रकार की घटनाएं ज्यादा हुआ करती थी। इसके बाद बीजेपी और जेडीयू ने बिहार में आरजेडी के शासन को जंगलराज कहना शुरू कर दिया। 2005 में सत्ता बदली और नीतीश कुमार बीजेपी के सहयोग से सीएम बने। इसके बाद कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ। 2010 आते-आते सीएम नीतीश कुमार को बिहार की जनता ‘सुशासन बाबू’ के नाम से बुलाने लगी। उन्होंने अपराधियों के खिलाफ पुलिस को सख्त एक्शन लेने का निर्देश दिया। ऐसे में अब विपक्ष के हमले इतने बढ़ गए कि बिहार पुलिस को कल प्रेस वार्ता कर बताना पड़ा कि बिहार में अपराध को लेकर क्या स्थिति है? जो विपक्ष कह रहा है, उसमें सच्चाई नहीं है। बल्कि आंकड़ों के जरिए बिहार क्राइम की रिपोर्ट पेश करने की कोशिश की।

सांप्रदायिक तनाव रोकने में सफल रही पुलिस

पिछले कुछ दिनों में पुलिसकर्मियों पर जो हमले हुए हैं उसके पीछे पर्याप्त पुलिस टीम का नहीं होना है। वहीं पर्व और त्योहार का माहौल है, इसलिए पुलिस लोगों पर बल प्रयोग नहीं कर रही है। बिहार पुलिस की एक और बड़ी उपलब्धि सांप्रदायिक तनाव को रोकना है। सांप्रदायिक तनाव को रोकने में पुलिस पूरी तरह कामयाब रही है। एक-दो जगहों पर छिटपुट संघर्ष हुआ, इसके अलावा बाकी सभी जगहों पर त्योहार के दौरान पूर्णतया शांति रही।

पुलिस पर हमला आम लोग नहीं करते हैं, बल्कि शराब और बालू से जुड़े माफिया अक्सर पुलिस टीम पर हमला करते हैं। घटनाएं पहले भी होती रही है, लेकिन चुनावी माहौल है इसलिए यह मुद्दा बन रहा है।

 

 

Load More Related Articles
Load More By Seemanchal Live
Load More In खास खबर
Comments are closed.

Check Also

बेगूसराय: इतिहास, संघर्ष और सांस्कृतिक चेतना की भूमि- नाम की उत्पत्ति – ‘बेगू की सराय’ से ‘बेगूसराय’ तक

जब कोई बिहार के दिल की बात करता है, तो बेगूसराय का नाम स्वतः ही उभर आता है। गंगा की कल-कल …