
बिहार में आर्थिक न्याय का नारा — तेजस्वी यादव बोले, “हर परिवार को नौकरी देना अब सपना नहीं, संकल्प है”
रिपोर्टर: सीमांच लाइव ब्यूरो
स्थान: पटना / दरभंगा / पूर्णिया
तारीख: 10 अक्टूबर 2025
घटना का सारांश:
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने एक बार फिर राज्य की राजनीति में रोजगार और आर्थिक न्याय का मुद्दा प्रमुखता से उठाया है।
उन्होंने कहा कि बिहार में अब केवल “सामाजिक न्याय” नहीं, बल्कि “आर्थिक न्याय” की नई क्रांति शुरू होगी।
तेजस्वी यादव का बयान:
तेजस्वी यादव ने कहा —
“सामाजिक न्याय के बाद अब बिहार आर्थिक न्याय का गवाह बनेगा।
हमारी सरकार बनते ही 20 दिन के अंदर ‘एक विशेष नौकरी-रोजगार अधिनियम’ बनेगा,
और 20 महीने में हर परिवार को नौकरी देने का काम पूरा करेंगे।”
उन्होंने कहा कि यह योजना हर परिवार के एक सदस्य को रोजगार देने पर केंद्रित होगी,
ताकि बिहार से पलायन रुके और युवाओं में नई उम्मीद जगे।
तेजस्वी यादव का ट्रैक रिकॉर्ड:
तेजस्वी यादव ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने पहले ही
17 महीनों में 5 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देकर दिखाया है कि
वह केवल वादा नहीं करते, बल्कि उसे पूरा भी करते हैं।
“जब हमने 5 लाख नौकरी दी, तो 20 महीने में हर परिवार को नौकरी क्यों नहीं देंगे?
बिहार के हर घर में नौकरी की रौशनी जलेगी।”
‘आर्थिक न्याय’ का नया एजेंडा:
तेजस्वी यादव की यह घोषणा आगामी विधानसभा चुनाव से पहले
राजनीतिक रूप से “मास्टरस्ट्रोक” मानी जा रही है।
उन्होंने कहा कि अब बिहार का फोकस
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सामाजिक समानता,
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युवाओं को रोजगार,
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और आर्थिक स्वावलंबन
पर होगा।
राजद इसे “नौकरी नव-जागरण (Job Renaissance)” का नाम दे रही है।
‘विशेष नौकरी-रोजगार अधिनियम’ की झलक:
तेजस्वी यादव ने कहा कि इस अधिनियम में —
पहल | विवरण |
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नौकरी गारंटी | हर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की गारंटी |
समय सीमा | 20 महीने के अंदर सभी जिलों में भर्ती प्रक्रिया पूरी |
केंद्र-राज्य सहयोग | केंद्र सरकार से समन्वय कर फंडिंग |
स्थानीय रोजगार | प्राथमिकता बिहार के युवाओं को |
पारदर्शिता | डिजिटल पोर्टल और ग्राम स्तर पर निगरानी समिति |
उन्होंने कहा कि योजना का उद्देश्य सिर्फ नौकरी देना नहीं,
बल्कि “बिहार को आत्मनिर्भर बनाना” है।
राजनीतिक विश्लेषण:
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अरविंद मिश्रा का कहना है —
“तेजस्वी यादव ने ‘सामाजिक न्याय से आर्थिक न्याय’ की दिशा में
नया विमर्श शुरू किया है।
यह नारा युवाओं और मध्यम वर्ग दोनों को एक साथ जोड़ता है।”
यह घोषणा भाजपा और जदयू के लिए
रोजगार के मोर्चे पर दबाव बढ़ा सकती है।
जनता की प्रतिक्रिया:
सोशल मीडिया पर तेजस्वी के इस बयान के बाद
#Jobs और #TejashwiForBihar ट्रेंड करने लगे।
कई युवाओं ने इसे “युवा बिहार का एजेंडा” बताया।
एक यूज़र ने लिखा —
“तेजस्वी ने जो कहा, वो पहले भी किया है। अब बिहार को नौकरी चाहिए, नारे नहीं।”
संदेश का राजनीतिक महत्व:
तेजस्वी यादव का यह बयान बिहार की राजनीति को
‘जाति समीकरण’ से हटाकर ‘रोजगार विमर्श’ की ओर मोड़ने की कोशिश है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि अब उनका फोकस
“बेरोजगारी, पलायन और गरीबी खत्म करने” पर है।
“अब बिहार का बेटा बाहर नौकरी नहीं ढूंढेगा,
नौकरी बिहार उसके घर तक आएगी।”
निष्कर्ष:
तेजस्वी यादव की “नौकरी अधिनियम” की घोषणा
बिहार में चुनावी बहस को नया मोड़ दे रही है।
अगर यह वादा जनसमर्थन जुटा लेता है,
तो बिहार की राजनीति में “रोजगार क्रांति” की शुरुआत हो सकती है।
संदर्भ स्रोत:
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[Tejashwi Yadav Official X (Twitter) Handle – Oct 10, 2025]
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[PTI / Language Bureau – Patna]