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एच-1बी वीज़ा पर ट्रंप की ‘गहरी और व्यावहारिक राय’ है: व्हाइट हाउस का बयान

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न्यूयॉर्क/वॉशिंगटन | 25 नवंबर (भाषा)
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने सोमवार को कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एच-1बी वीज़ा को लेकर “बहुत गहरी और व्यावहारिक राय” है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ट्रंप अमेरिकी कर्मचारियों के स्थान पर अन्य देशों के कर्मियों को नौकरी देने का समर्थन नहीं करते और वीज़ा प्रणाली को कड़ा, पारदर्शी और अमेरिकी नौकरी बाजार के हित में बनाने पर ज़ोर देते हैं।

यह बयान उस समय आया है जब अमेरिका में एच-1बी वीज़ा की नीतियों में संभावित बदलाव और सख्ती को लेकर नई चर्चाएं तेज़ हो गई हैं।


एच-1बी क्या है और विवाद क्यों बढ़ रहा है?

एच-1बी वीज़ा अमेरिकी कंपनियों को विदेशी पेशेवरों—जैसे इंजीनियर, आईटी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और चिकित्सक—को भर्ती करने की अनुमति देता है।
भारत के लाखों तकनीकी पेशेवर इस वीज़ा के मुख्य लाभार्थी रहे हैं।

लेकिन ट्रंप प्रशासन का कहना है कि:

  1. कई टेक कंपनियां इसे “कम लागत वाले विदेशी श्रमिकों” की भर्ती के लिए इस्तेमाल करती हैं।

  2. इससे अमेरिकी नागरिकों के रोजगार अवसर कम होते हैं।

  3. वीज़ा धोखाधड़ी और दुरुपयोग के मामलों में वृद्धि हुई है।


व्हाइट हाउस का आधिकारिक बयान

प्रेस सचिव लेविट ने कहा:

“राष्ट्रपति ट्रंप का मानना है कि एच-1बी का उपयोग तभी होना चाहिए जब वास्तव में इसकी आवश्यकता हो।
वह अमेरिकी कर्मचारियों के स्थान पर विदेशी कर्मियों को नौकरी देने का समर्थन नहीं करते हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति का उद्देश्य:

  • अमेरिकी नौकरी बाजार की रक्षा

  • तकनीकी उद्योग में वास्तविक कौशल अंतर को भरना

  • कंपनियों द्वारा वीज़ा के दुरुपयोग को रोकना

  • आव्रजन प्रणाली को सुधारना

है।


टेक उद्योग की चिंता

अमेरिका की प्रमुख टेक कंपनियों—गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न, मेटा—ने पहले भी कहा है:

  • एच-1बी वीज़ा अमेरिका के इनोवेशन सिस्टम का आधार है

  • उच्च कौशल वाले विदेशी पेशेवरों के बिना विकास बाधित होगा

  • वीज़ा प्रतिबंध से प्रतिस्पर्धा क्षीण होगी

भारत की आईटी कंपनियों और स्टार्टअप इकोसिस्टम पर भी इसका बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।


भारत क्यों चिंतित है?

भारत एच-1बी वीज़ा का सबसे बड़ा लाभार्थी देश है।
हर वर्ष जारी होने वाले एच-1बी वीज़ा का लगभग 70% भारतीयों को मिलता है

ट्रंप प्रशासन के:

  • वीज़ा सख्ती

  • शुल्क बढ़ोतरी

  • आव्रजन सख्ती

  • लंबी जांच प्रक्रिया

जैसे कदम भारत के टेक वर्कर्स, छात्रों और स्टार्टअप्स के लिए चिंताजनक हो सकते हैं।


आगे क्या हो सकता है?

विशेषज्ञों के अनुसार:

  • एच-1बी नीतियों में “व्यावहारिक” बदलाव हो सकते हैं

  • वीज़ा कैप (सीमा) संशोधित हो सकता है

  • कंपनियों के लिए स्किल प्रूफ की प्रक्रिया सख्त हो सकती है

  • दुरुपयोग रोकने के लिए नई पारदर्शिता नियम आ सकते हैं

लेकिन कोई आधिकारिक नीति दस्तावेज अभी जारी नहीं हुआ है।


निष्कर्ष

व्हाइट हाउस का बयान साफ करता है कि ट्रंप प्रशासन एच-1बी वीज़ा को लेकर “व्यावहारिक लेकिन सख्त” रुख अपनाने जा रहा है।
यह नीति भारतीय पेशेवरों, अमेरिकी टेक कंपनियों और वैश्विक रोजगार बाजार पर व्यापक असर डाल सकती है।

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