प्रसिद्ध साहित्यकार और भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई नेताओं, लेखकों और कवियों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
भारतीय साहित्य जगत को एक अपूरणीय क्षति हुई है। भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का मंगलवार शाम निधन हो गया। उन्होंने रायपुर के एक सरकारी अस्पताल में वृद्धावस्था से जुड़ी बीमारियों के कारण अंतिम सांस ली। वह 1 जनवरी को 89 वर्ष के होने वाले थे।
विनोद कुमार शुक्ल के निधन की खबर फैलते ही देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई वरिष्ठ नेताओं, साहित्यकारों, लेखकों और कवियों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया।
🏛️ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने शोक संदेश में कहा कि विनोद कुमार शुक्ल का साहित्य भारतीय संस्कृति और संवेदनाओं की अमूल्य धरोहर है। उनके निधन से साहित्य जगत को गहरी क्षति पहुंची है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विनोद कुमार शुक्ल अपनी सरल भाषा, गहरी संवेदना और अनूठी लेखन शैली के लिए सदैव याद किए जाएंगे। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।
📚 साहित्य जगत में शोक
देश के कई प्रसिद्ध लेखक, कवि और साहित्य प्रेमियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से शोक संवेदनाएं व्यक्त कीं। सभी ने उनके साहित्यिक योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के उन दुर्लभ रचनाकारों में शामिल थे, जिनकी रचनाओं में आम जीवन की गहरी संवेदनाएं देखने को मिलती हैं। उनका निधन साहित्य जगत के लिए एक युग के अंत जैसा माना जा रहा है।
❓ विनोद कुमार शुक्ल कौन थे?
वह भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार थे।
❓ विनोद कुमार शुक्ल का निधन कब और कहां हुआ?
मंगलवार शाम रायपुर के एक सरकारी अस्पताल में उनका निधन हुआ।
❓ उनकी उम्र कितनी थी?
वह 89 वर्ष के होने वाले थे।



