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दिल्ली में यमुना प्रदूषण पर ‘आप’ और ‘भाजपा’ में तीखी तकरार – छठ पर्व के बाद नदी की स्थिति फिर गंभीर!

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दिल्ली में यमुना प्रदूषण को लेकर आप और भाजपा के बीच तकरार

नई दिल्ली, 2 नवंबर (भाषा):
दिल्ली में यमुना नदी का प्रदूषण एक बार फिर राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। छठ पर्व के तुरंत बाद, नदी के पानी में झाग और बदबू की स्थिति सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।

आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने रविवार को आरोप लगाया कि “छठ पर्व समाप्त होते ही यमुना नदी फिर से प्रदूषित हो गई है। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और साफ़ दर्शाती है कि प्रदूषण नियंत्रण के उपाय प्रभावी नहीं हो रहे।”


1. यमुना में बढ़ता प्रदूषण: एक स्थायी संकट

यमुना, जिसे उत्तर भारत की जीवनरेखा कहा जाता है, पिछले कई वर्षों से प्रदूषण की गंभीर समस्या झेल रही है।
दिल्ली से होकर बहने वाले इसके हिस्से में घरेलू सीवेज, औद्योगिक कचरा और नालों का पानी मिलना इसकी सबसे बड़ी समस्या है।

दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार, राजधानी में प्रतिदिन 720 मिलियन गैलन से अधिक सीवेज उत्पन्न होता है, लेकिन शोधन क्षमता इससे काफी कम है। नतीजा — बिना उपचारित पानी सीधे नदी में जा रहा है।


2. छठ पर्व के बाद यमुना की स्थिति फिर गंभीर

छठ पर्व के दौरान यमुना के किनारों पर लाखों श्रद्धालु पूजा करने पहुंचे।
दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि नदी की सफाई और झाग कम करने के लिए रासायनिक उपचार (defoaming agents) का उपयोग किया गया।

लेकिन जैसे ही पर्व समाप्त हुआ, तस्वीरें और वीडियो सामने आए जिनमें यमुना के पानी में फिर से झाग और गंदगी दिखाई दी।
सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाया — “क्या सफाई सिर्फ दिखावे के लिए की गई थी?”


3. आप का आरोप: केंद्र और एलजी की नाकामी

आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,

“केंद्र सरकार और दिल्ली के एलजी कार्यालय ने प्रदूषण नियंत्रण की ज़िम्मेदारी पूरी नहीं निभाई। छठ से पहले यमुना को साफ़ दिखाने के लिए सिर्फ सतही उपाय किए गए।”

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए झूठे दावे कर रही है, जबकि असली काम दिल्ली सरकार ने किया है।


4. भाजपा का पलटवार: “आप ने खुद स्वीकार की अपनी नाकामी”

दिल्ली भाजपा प्रवक्ता हरीश खुराना ने जवाब देते हुए कहा,

“सौरभ भारद्वाज ने यह स्वीकार कर लिया है कि यमुना की स्थिति वैसी ही है जैसी आप सरकार के कार्यकाल में थी। अब वह केंद्र को दोष देकर अपनी नाकामी छिपा नहीं सकते।”

भाजपा ने कहा कि दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन धरातल पर कोई परिणाम नहीं दिखा।


5. अदालतें भी दे चुकी हैं निर्देश

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और सुप्रीम कोर्ट कई बार दिल्ली सरकार और केंद्र को यमुना प्रदूषण रोकने के निर्देश दे चुके हैं।
2023 में अदालत ने कहा था कि “यमुना की सफाई पर जितना खर्च हुआ, उसके अनुपात में सुधार नगण्य है।”


6. प्रदूषण का वैज्ञानिक पहलू

विशेषज्ञों के अनुसार, यमुना में बढ़ता झाग मुख्य रूप से डिटर्जेंट और औद्योगिक रसायनों के कारण होता है।
इनमें फॉस्फेट की मात्रा अधिक होती है, जिससे ऑक्सीजन स्तर घट जाता है और जलीय जीवन पर विपरीत असर पड़ता है।


7. दिल्ली सरकार के अब तक के कदम

दिल्ली सरकार ने “यमुना एक्शन प्लान (YAP)” के तहत 24 बड़े नालों को ट्रीटमेंट प्लांट्स से जोड़ने की योजना बनाई थी।
इसके अलावा, 2024 तक “यमुना को स्नान योग्य” बनाने का वादा किया गया था।
हालांकि, ज़मीनी रिपोर्ट बताती हैं कि कई प्रोजेक्ट या तो अधूरे हैं या देरी का शिकार हैं।


8. भाजपा की दलील: केंद्र के सहयोग से ही समाधान संभव

भाजपा नेताओं का कहना है कि जब तक दिल्ली सरकार केंद्र और हरियाणा प्रशासन के साथ मिलकर काम नहीं करेगी, तब तक समस्या खत्म नहीं होगी।
भाजपा ने यह भी कहा कि दिल्ली की सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता को बढ़ाने की दिशा में बहुत कम प्रगति हुई है।


9. यमुना प्रदूषण का असर दिल्लीवासियों पर

प्रदूषित यमुना न केवल पर्यावरण बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन चुकी है।
दिल्ली में जलजनित बीमारियाँ जैसे डेंगू, टाइफाइड और हैजा बढ़ने के पीछे यमुना प्रदूषण एक बड़ा कारण बताया जाता है।


10. जनता की प्रतिक्रिया: “राजनीति बंद करो, सफाई करो”

सामान्य नागरिकों का कहना है कि पार्टियाँ सिर्फ एक-दूसरे पर आरोप लगाती हैं, लेकिन वास्तविक सुधार नहीं दिखता।
एक स्थानीय निवासी ने कहा,

“छठ के समय नदी थोड़ी साफ़ दिखती है, लेकिन त्योहार के बाद वही हालत वापस आ जाती है। अब बस राजनीति नहीं, कार्रवाई चाहिए।”


11. आगे की राह: समाधान क्या हो सकता है?

पर्यावरण विशेषज्ञों का सुझाव है कि:

  • सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की संख्या और क्षमता बढ़ाई जाए।

  • औद्योगिक इकाइयों की नियमित निगरानी हो।

  • दिल्ली-हरियाणा-उत्तर प्रदेश के बीच समन्वय तंत्र बने।

  • जनभागीदारी को बढ़ावा दिया जाए।


12. निष्कर्ष: राजनीति से परे, एकजुट प्रयास की जरूरत

यमुना सिर्फ दिल्ली की नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत की जीवनरेखा है।
यह मुद्दा किसी पार्टी का नहीं, बल्कि जनता के स्वास्थ्य और भविष्य का है।
“डेस्क सीमांचल लाइव” का मानना है कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनसहयोग मिले, तो यमुना एक बार फिर स्वच्छ बह सकती है।


FAQs: यमुना प्रदूषण विवाद से जुड़े प्रश्न

Q1: यमुना प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?
👉 बिना शोधन वाला सीवेज और औद्योगिक कचरा।

Q2: क्या छठ पर्व के दौरान सफाई की गई थी?
👉 हाँ, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वह केवल अस्थायी उपाय था।

Q3: आप और भाजपा में विवाद क्यों हुआ?
👉 ‘आप’ ने केंद्र और एलजी पर आरोप लगाया, जबकि भाजपा ने इसे सरकार की नाकामी बताया।

Q4: क्या यमुना एक्शन प्लान प्रभावी है?
👉 अभी नहीं। प्रोजेक्ट धीमी गति से चल रहे हैं।

Q5: अदालतों ने क्या निर्देश दिए हैं?
👉 सुप्रीम कोर्ट ने यमुना की सफाई के लिए स्पष्ट समयसीमा तय करने को कहा है।

Q6: यमुना को साफ करने में जनता की भूमिका क्या हो सकती है?
👉 प्लास्टिक, केमिकल और कचरा नालों में फेंकने से बचें और जन जागरूकता अभियानों में भाग लें।


🔗 External Source:
Central Pollution Control Board (CPCB) – Yamuna River Data

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