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Supaul:- अंग्रेजी हुकूमत के समय से मां दुर्गा की होती आ रही है पूजा-अर्चना

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अंग्रेजी हुकूमत के समय से मां दुर्गा की होती आ रही है पूजा-अर्चना

डहरिया पंचायत स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। इस मंदिर का इतिहास भी काफी पुराना है। इस मंदिर में जो भक्त सच्चे मन से मन्नते मांगते हैं, उसे मां दुर्गा अवश्य पूरी करती है। लोगों ने बताया कि अंग्रेजी हुकूमत के जमाने से ही यहां माता की पूजा-अर्चना होती आ रही है। आसपास के इलाकों में इस मंदिर के प्रति लोगों की अटूट आस्था है। इस मंदिर को लेकर लोगों की मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले हर भक्तों की मनोकामना माता पूरी करती है। यूं तो इस मंदिर में सालों भर पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालु आते हैं लेकिन नवरात्र में यहां भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। बताया जाता है कि इस मंदिर में 1802 से ही शारदीय नवरात्र पर प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना किए जाने की परम्परा कायम है। मंदिर के इतिहास की बात करें तो यह मंदिर पहले दूसरे जगह स्थापित था। 1931 में आए प्रलयंकारी भूकंप में ध्वस्त हो गया था। उन्हीं दिनों एक भक्त को माता दुर्गा ने स्वप्न में मंदिर बनाने की प्रेरणा दी। इसके बाद मंदिर का निर्माण किया गया।

ग्रामीणों ने बताया कि माता की प्रेरणा से लोगों के सहयोग से 1931 के बाद झोपड़ीनुमा मंदिर बनाकर वहां पूजा अर्चना शुरू की गई। स्थापना काल में फूस की छोटी सी झोपड़ी में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना शुरू हुई थी। वर्तमान में यह भव्य भवन के रूप में परिवर्तित हो गया है। यहां शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा, काली सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है। हर साल नवमी और दशमी के दिन सैकड़ों श्रद्धालुओं द्वारा माता को छाग बलि दी जाती है। इसमें भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है।भक्तों की मनोकामनाएं होती है पूरी

लोगों ने बताया कि जो भी भक्त यहां सच्चे मन से मन्नतें मांगते हैं वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता है। कहा कि मां दुर्गा काफी शक्तिशाली है और मां के दरबार में जो भी अपने कष्ट और दुख दर्द लेकर आते हैं माताओं उनके कष्ट को हर कर लेती है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां हर साल दुर्गा पूजा के मौके पर मेला का आयोजन किया जाता है। इसमें अगल-बगल के गांव के लोग भी आकर सामानों की खूब खरीदारी करते हैं।

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